तलाक
सिर्फ शब्द नही
नश्तर है।
विष बुझा खंजर है।
जब भी चलता है
दे जाता है ज़ख्म
कभी न भरने वाला।
एक झटके में
बिखर जाते हैं सपने
जो देखे होते है
टूट जाते है कितने रिश्ते
जो जुड़े होते है।
काश मिटा पाता
इस शब्द को
लिखे हर जगह से
निकाल पाता इसको
हर जेहनोदिल से
बचा पाता
बर्बाद होने से
कई मासूम जिंदगियो को।