हजारों फेरे लगाये थे उसके मोहल्ले में
कोई सिर्फ़ सात फेरे लगाकर उसे ले गया
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कहते हैं पीने वाले मर जाते हैं जवानी में
हमने तो बुजुर्गों को जवान होते देखा हैं मैखाने में
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क्या खूब है आदाब इश्क में तुम्हारे
हमें भी सिखाओ नजरों से कत्ल करना
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कल जो फिर तुमको देखा दीवार की ओट से
जिंदगी फिर मुस्करा उठी नजरों की चोट से
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काले - गोरे रंगों पर कहर हो
तुम सावली सी हो पर ज़हर हो
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इश्क़ में मज़हब याद नहीं रहा
ज़नाब वो व्रत रख बैठी सोलह सोमवार का
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ख्वाहिशें तो बहुत हैं
मगर जिम्मेदारियों के बोझ के नीचे
दबा बैठा हूँ
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मेरे जनाजे में एक कंधा मेरे यार का भी रखना
उसे मालूम है मैं किस गली से मुस्कुराकर निकलता हूँ
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चेहरे की हकीकत ये दुनिया कहाँ जानती है
कल रात में फिर भूखा रहा
ये बात तो सिर्फ माँ जानती है
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अगर सफेद रंग में वफा होती
तो नमक जख्मो की दवा होती
©_the_introvert_boy__
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जब से तुम्हारी यादों में खोया हूँ
ना जागा हूँ ना सोया हूँ
©untold_diaries_story
