Its never going to be perfect....
Its ur initiative to let this messy be perfect..!!!
©avii29
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avii29 95w
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avii29 95w
बचपन मैं जिस धुए को तुम पकड़ना चाहते.....
आज उसने तुम्हें ही जकड़ लिया...!!!
©avii29 -
avii29 119w
ना जाने क्यूँ आज सबके बीच होकर भी स्वयं को अकेला सा महसूस करने लगी.......
ना जाने क्यूँ अकेले होकर भी ख़ुद को सबके बीच पाने मैं लगी....!!!
@avii29 -
एक नया रंग..
वो माँ कहलाने का पल...
आया एक ऐसा पल..
जिसने रंग रंग मैं घोल दिया उसका कल..!!
वक़्त- वक़्त होता था संकोच...
पर बन गया था वह उसकी ज़िंदगी का संजोग..!!
अब तक जो थी अपने बचपने मैं...
आज अचानक पाया ज़िम्मेदारी सा एक एहसास.
जिसने बदल डाली उसकी भी कल्पनाएँ...!!
मन ही मन ख़ुशी सी ख़ीलख़ीलाती वो गयी..
अपने आप को माँ के रूप मैं समजती वो गयी..!!
जैसे जैसे उसे अपने आप मैं महसूस करती रही...
वैसे वैसे उसमें समाती सी वो रही..!!!!
आज... नहीं कल.., हर वक़्त उसके इंतज़ार मैं ये कहती थीं वो....
अपने आप को उसके पास देखतीं थीं वो...!!
आख़ीर आया वो पल..,
लेकर कुछ ऐसे जज़्बात....,
जिसने बदल दिया उसका स्वरूप...
जलते अंगारों के दर्द को सहकर भी ख़ुशी के आँसुओ से किया उसका स्वागत....
आख़ीर आ ही गया वो पल.....!!!!!!
©avii29 -
यही है तेरी दुनिया का खेल....
कभी आसमानों सा ऊंचा है तू,
कभी धरती सा नीचा है तू!!!
हो ना हताश देख कर इस डूबते सूरज को....
आएगा कल फिर यही सूरज लेकर नयी उम्मीद की किरण...,
बस निरंतर बढ़ता तू चल....
स्वयं को खोजता तू बढ़!!!
ना बंधने दे बेड़ियों से पैर....
कदम- कदम...
अपने आत्मविशवास को सहजता तू चल!!!
फिर रचेगा यही खेल दुबारा....
फिर आएगा तू भी..,
परंतु इस बार होगा एक नया जज़्बा....
देखेगी तेरी दुनिया भी तेरा खेल....
बस कदम- कदम बढ़ाए तू चल
निरंतर बढ़ता तू चल..!!!!
©avii29 -
avii29 131w
Expections comes with trust....!!!!
©avii29 -
The inspiration you are finding.....
Is inside you...
©avii29 -
avii29 133w
The one you think understands you..
Is the one who don't even listens to you...!!!
©avii29 -
हु उस मोड़ पर खड़ा.....
समझ ना पाऊं कुछ भी!!
ज्ञान देने वाले रायचंद कही....
पर समझनें वाला साथी कोई नहीं!!
दिल मेरा कुछ और पुकारें...
मस्तिष्क मेरा चिंता में खोये!!
दिन-दिन सोचता मैं गया...
वक़्त-वक़्त ढलता मैं गया..!!
ना जाने कहा गयी वो चमक...
ना जाने कहा गयी वो समझ!!!
देख कर चिंता उनकी भी आंखों मैं...
रह गया हताश मैं भी सांसो मैं!!!
पहचान न पाऊं ज़िंदगी तेरे इस प्रपंच को...
समझ ना पाऊं तेरे ऐसे रंगमंच को...!!!!!
©avii29 -
avii29 134w
Every beautiful thing is a evolution of something worst....
Only thing u have to do is hardwork to make it beautiful...!!
©avii29
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देख रहा हूँ जिधर दुशासन दिखता है,
सच, कितने छिपे महाभारत है भारत में!
- रीतेय -
कदम बहकना छोड़ देते हैं ,
जब जूता ज़िम्मेदार हो जाए !!
©ro_hit -
न जाने क्यूँ हीन मानी जाती हैं बेटियाँ ,
जहाँ इक घर का चिराग़ कहलाते हैं बेटे ,
वहीं दो दो घरों की लक्ष्मी कहलाती हैं बेटियाँ
©monikakapur -
अस्तित्व है तू मेरा
मुझमें समाया खुदा है तू
मेरी पहचान तुझसे है
तेरा अंश हूँ मैं
तुझसे अलग क्या हूँ मैं
शब्दों के इस अथाह समंदर में डुबकि लेकर निकल आई हूँ
पर निराशा ही मिली
तेरी तस्वीर का असल रूप
इन शब्दों से दर्शाना बहुत मुश्किल सा प्रतीत होता है
तेरा वो निस्वार्थ प्रेम हमारे लिए
तेरी वो चिंता हमारे लिए
तेरी वो ख़ुशी जो हमारी खुशियों में मिलती है तुझे
तेरा वो डर जो हमें मुश्किलों के दौर से गुजरता देख कर होता है तुझे
मुमकिन है क्या बयाँ करना उन्हें इन शब्दों के माध्यम से?
©udyalkarai -
बताऊं क्या शहर तुझको, हुआ क्या माँ के आने से,
किराए का मकान भी आज मुझे घर सा लगता है।
© रीतेय -
anne28 145w
#hindiwriters #writersnetwok #kathua #justiceforashifa #rip #ashifa
शर्मशार "इंसानियत" को करके
कौन सा "धर्म" निभाओगे,
थू-थू करता जग सारा
कब तक बच पाओगे,
मैला किया भारत
माँ का दामन
चैन कहा से पाओगे,
बचते जा रहे पहन होलिका की चादर,
वक़्त चादर हटाएगी
और भष्म तुम हो जाओगे।
तीन "माँ" को दुख दे के
सच तुम चैन न कभी
पाओगे।
शर्मसार "इंसानियत" को
कर के कौन सा धर्म निभाओगे।
©anne
@laughing_soul @rhapsodist_ @viditaa @saumya_mis @vandana_bhardwaj @nikhilincredible @mushaaiir @feelingsbywords @d_tachedघोर संकट है छाया,
चिंता का है साया।
बेटी हुई तो सुरक्षा कैसे देंगे,
बेटा हुआ तो परवरिश कैसी देंगे।
©anne -
उस शाम
जिस शाम उसकी इज़्ज़त नीलाम हुई ,
उस शाम ख़रीद्दार सारी आवाम हुई ।
पत्रकार ख़बरों पर ख़बरें लिखते रहे ,
और अख़बार के अख़बार बिकते रहे ।
न्यूज़ चैनल्स पर विवाद चलता रहा ,
और एक्स्पर्ट्स से संवाद चलता रहा ।
क्रोध से लाल कवि की दवात हुई ,
लाखों कविताओं की बरसात हुई ।
गरम ख़ून भी देश का उतरा मैदान में ,
पर तीर नहीं मोमबत्ती रखकर कमान में ।
उधर वो लाश मौत से लड़ती रही ,
इधर प्रजा राजा से भिड़ती रही ।
लेकिन जो होता है हर बार इस बार हुआ ,
फिर इंसानियत के वजूद पर वार हुआ ।
ज़िंदगी हार गयी मौत के हाथ से ,
सूरज तब्दील हुआ अमावस की रात में ।
गुज़र गया एक शख़्स-सौ किरदार भी ,
टूटकर बिखर गया एक परिवार भी ।
हालात सुधारने का झूठा वायदा हुआ ,
इस त्रासदी में भी कुछ का फ़ायदा हुआ ।
मीडिया वालों ने ख़बरों से कमाई लूटी ,
कवियों ने महफ़िल में वाहवाही लूटी ।
युवाओं को लुभाने वाले भाषण हुए ,
संसद में विपक्ष के दंगे भीषण हुए ।
नेता अपने भाषण से आकर्षित करते रहे ,
वो चुनाव के लिए वोट सुरक्षित करते रहे ।
युवाओं की मोमबत्ती पिघलती चली गयी ,
सूरत बिगड़ती रही- बिगड़ती चली गयी ।
कुछ दिन गुज़रे फिर कुछ बीतीं रातें ,
और पुरानी हो चली हैं ये बीतीं बातें ।
उसकी माँ शायद आज भी उसे पुकारती है ,
उसकी तस्वीर को हार से सँवारतीं है ।
उसे खोने का गम उसके परिवार को आज भी है ,
उससे मिलने की आस एक यार को आज भी है ।
मिट चुका अब सबका आक्रोश है ,
देश का ज़र्रा ज़र्रा अब ख़ामोश है ।
लेकिन सबके सब्र का बाँध फिर टूटेगा ,
इन शान्त सड़कों पर ग़ुस्सा फिर फूटेगा ।
इंसानियत फिर बदनाम होगी ,
कटघरे में फिर आवाम होगी ।
मोमबत्तियाँ फिर जलाई जाएँगी ,
आँसुओं की नदियाँ बहाई जाएँगी ।
फ़िलहाल निश्चिन्त बैठी जनता और सरकार है ,
शायद एक और सोलह दिसम्बर का इंतज़ार है ।
©_aafreen -
shahbaz8786 145w
ASIFA
इक मासूम थी वो
शायद अपने घर का चिराग थी वो
अभी तो सांस लेना शुरू किया था उसने
अभी तो अपने पंख भी न खोले थे उसने
इस खुले आसमान में उड़ने के लिए
इस खुशरंग समां को देखने के लिए
इक नई दुनिया का रोशन संवेरा था उसके सामने
उसे क्या पता था कि वो संवेरा कब अंधेरा बन जायेगा
उसकी हंसती खेलती ज़िन्दगी को इक पल में निंगल जायेगा,
उसे क्या पता था कुछ हैवान भी है उस बस्ती में जो उसे नोंच खाएंगे
उसके नन्हें नन्हें सपनों को इक पल में कुचल जाएंगे,
जिन्होंने उस मासूम को भी न बख्शा था
वो मासूम थी ये भी न सोचा था
किस ज़ुर्म में उसे इक दर्दनाक मौत की सज़ा सुनाई?
क्या उसका इक लड़की होना ही गलती था
या फिर ये उन हैवानों की सोच का फ़र्क था,
लेकिन अभी भी कुछ लोग समर्थन कर रहे हैं इस बर्बर हत्याकांड का
इक रंग नया देना चाहते है इसे राजनीति का,
उन्होंने फिर से इक मासूम को जला दिया
एक बार और हिन्दू-मुस्लिम मुद्दा बना दिया।
©shahbaz8786 -
soul_stalker 145w
"Beti bachao" is a warning, not a slogan...
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नारी
दो पाटन मे पीस गई मैं
हर रंग में रंग गई मैं.....
बेटी हूँ तक्कदीर से
सौभाग्य किसी का बन गई मैं
एक से निकली दूजे से जुड़ी
हर रिश्ते की डोर मैं
कभी कभी उलझ जाती हूँ
रिश्तो को सुलझाने मैं
नाम आ जाता है एक तरफा
मोहब्बत के अफ़साने में
कोई पूछता नही , मैं जताती नहीं
अपने अस्तित्व पे
स्वयं सवाल उठाती नही
गुमान नही , न ही अहंकार है
आखिर जन्म से कर्म तक
हर पल् रहा जो मेरा योगदान है.....
©krishnajha
