दुःखद....नारी,
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घर की चक्की ही तो है,
ज़्यादा चल गयी तो क्या?
रोटियां सेकना काम है उसका,
उँगलियाँ गर जल भी गयी तो क्या?
अपना घर छोड़ के जाना होगा,
ज़िन्दगी जो पूरी बदल गयी तो क्या?
पति है परमेश्वर, कुछ भी कहे,
ज़ुबान ही तो है, चल गयी तो क्या?
तुमको चलना है बच बच कर,
आदमी की नीयत मचल गयी तो क्या?
ग्रहस्थी संजोना देखो संभल कर,
पुरुष से फिसल गयी तो क्या?
गाड़ी दो पहियों पे है चलती,
मेरी एक पे चल गयी तो क्या?
उसकी उम्र बढ़ाने को रखना व्रत,
तुम्हारी अपनी उम्र निकल गयी तो क्या?
सुनो वो थक जाता है ऑफिस के काम से,
तुम दिन भर खट के ढल गयी तो क्या?
पैदा तुमने किया, बच्चे पालो भी तुम,
बिन सोये कई रातें निकल गयी तो क्या?
कल तक चलती थी पति की,
अब बच्चों की चल गयी तो क्या?
घर की लक्ष्मी हो, है घर ये तुम्हारा ,
घर के बाहर " नाम की तख़्ती " से,
ओंस बनके पिघल गयी... तो क्या???
सुनो, हो कौन तुम? क्या पहचान है?
Mrs.....बनके ही दुनियां से निकल गयी तो क्या?
©chouhanmamta
chouhanmamta
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chouhanmamta 15h
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chouhanmamta 1w
इश्क़ को अपने ऐसे अंजाम तक लेकर जाना है
सदियों तक कहावतें हो एक ऐसा नाम देकर जाना है
खुदा की रहमत मानते है जो तुझसा यार मिला है
जिंदगी को उम्मीद से भी ज्यादा तुझसे प्यार मिला है
इश्क़ को जन्मों जन्मों के लिये खुदा का नाम देकर जाना है
रूठ भी जातें है कभी कभी कुछ बेवजह की बातों से
मगर डर लगता है कहीं छूट ना जाये हाथ कभी तेरे हाथों से
©chouhanmamta -
chouhanmamta 4w
जब मिलती हैं बहने
उफ्फ! कितना हंसती हैं,
गालों में दर्द होने लगता है,
क्योंकि आदत नहीं रही ना,बेवजह खिलखिलाने की।
जब मिलती हैं बहने
कितनी जोर जोर से बोलती हैं।
शोर सा मच जाता है,
क्योंकि आदत नहीं रही ना ,बात करने की।
जब मिलती हैं बहने
बस एक दूजे के चेहरे और,
सेहत की ही बात करती हैं।
क्योंकि आदत नहीं ना ,खुद को आइने में निहारने की।
जब मिलती हैं बहने
कितनी हल्की हो जाती हैं,
उड़ेल कर अपनी दुविधाएं एक दूजे पर,
पूरे अधिकार और विश्वास से।
क्योंकी अब वक्त नही है ना किसी के पास उनकी परेशानी जानने का।
जब मिलती हैं बहने
कितनी रौनक अा जाती है चेहरे पर।
हल्की फुल्की सी , उड़ती उड़ती, गुनगुनाती,
वापस आती हैं अपने अपने घर।
देखकर उन्हें लोग जल भुन जाते हैं।
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chouhanmamta 5w
तुझे खबर नहीं अब तक
के तुझे किस कदर इश्क़ हम करते हैं
जीना चाहते है सनम तेरे लिये
और बिना तेरे पल पल हम मरते हैं
जिस पल भी तुझसे बात ना हो
तड़फ सी रहती है दिल में जब खाबों में मुलाक़ात ना हो
एक बोल तेरी जुबान से सुनने के खातिर
हम पल पल सनम आहें भरते हैं
जीना चाहते है सनम तेरे लिये
और बिना तेरे पल पल हम मरते हैं
बैठे होते है जब तेरे ख्यालों में
उलझें से रहते है खुद के ही सवालों में
खाबों से जाग जाते हैं हम
जब तेरे आने की खबर पाते हैं
मुश्किल है अब जीना जुदा होके तुझसे
तुझे खोने से भी सनम हम डरते है
जीना चाहते है सनम तेरे लिये
और बिना तेरे पल पल हम मरते हैं
©chouhanmamta -
chouhanmamta 5w
कभी मत सोचना की ज़िन्दगी किताब होती ...
काश....जिदंगी सचमुच किताब होती पढ़ सकती मैं कि आगे क्या होगा ?
क्या पाऊँगी मैं और क्या दिल खोयेगा मेरा......????
कब थोड़ी खुशी मिलेगी कब दिल रोयेगा मेरा....???
काश जिदगी सचमुच किताब होती....
फाड़ सकती मैं उन लम्हों को जिन्होने मुझे रुलाया है
जोड़ती कुछ नये पन्ने जिनकी यादों ने मुझे हँसाया है
हिसाब तो लगा पाती कितना खोया और कितना पाया है...?
काश जिदंगी सचमुच किताब होती.......
वक्त से आँखें चुराकर पीछे चली जाती
टूटे सपनों को फिर से अरमानों से सजाती कुछ पल के लिये मैं भी मुस्कुराती
काश.....जिदंगी सचमुच किताब होती.....
क्यूँके ज़िन आने बाले दुख्खो से हम अंजान हे ...
तो हम आज आनांद ले पा रहे हे ...
बरना कल का सुधार करने मे हम अपना आज का ...
कीमती समय भी कल के आने बाले दुख मे ...
दुखी होके निकालते ...
भगवान पे भरोसा ओर कर्मो पे विश्वास हमेशा हो ..
तो ना आज खराब समय हे ...
ना कल खराब समय आयेगा ....
ओर विश्वास नहीं कर्म अच्छे नहीं हे तो ...
आज भी दुख होगा ओर कल भी दुख ही मिलेगा ...
©chouhanmamta -
chouhanmamta 6w
मेरी जिंदगी में दर्द बहुत है मगर....
कभी किसी को दिखाया नहीं....
और बिना दिखाये मेरे दर्द कोई.....
समझ सके ऐसा खुदा ने मेरे लिए....
कोई बनाया नी......
©chouhanmamta -
chouhanmamta 6w
रोते हुए भी अपने आंशू रोक लेती हू मै,
ज़ब से ज़माने ने कहा वो तेरी आँखों मे बसता है,,.....
©chouhanmamta -
chouhanmamta 6w
एक बार जो माँ का साथ छूट गया,,
तो पूरी उम्र माँ की याद मे तड़फते रह जाओगे,,
इसलिये ज़ब तक माँ है जी भर के जी लो यारों,,
©chouhanmamta -
chouhanmamta 6w
"ये गृहणियाँ भी थोड़ी पागल होती हैं"
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सलीके से आकार दे कर
रोटियों को गोल बनाती हैं
और अपने शरीर को ही
आकार देना भूल जाती हैं
ये गृहणियाँ भी
थोड़ी पागल सी होती हैं।।
ढेरों वक्त़ लगा कर घर का
हर कोना कोना चमकाती हैं
उलझी बिखरी ज़ुल्फ़ों को
ज़रा सा वक्त़ नही दे पाती हैं
ये गृहणियाँ भी
थोड़ी पागल सी होती हैं।।
किसी के बीमार होते ही
सारा घर सिर पर उठाती हैं
कर अनदेखा अपने दर्द
सब तकलीफ़ें टाल जाती हैं
ये गृहणियाँ भी
थोड़ी पागल सी होती हैं ।।
खून पसीना एक कर
सबके सपनों को सजाती हैं
अपनी अधूरी ख्वाहिशें सभी
दिल में दफ़न कर जाती हैं
ये गृहणियाँ भी
थोड़ी पागल सी होती हैं।।
सबकी बलाएँ लेती हैं
सबकी नज़र उतारती हैं
ज़रा सी ऊँच नीच हो तो
नज़रों से उतर ये जाती हैं
ये गृहणियाँ भी
थोड़ी पागल सी होती हैं।।
एक बंधन में बँध कर
कई रिश्तें साथ ले चलती हैं
कितनी भी आए मुश्किलें
प्यार से सबको रखती हैं
ये गृहणियाँ भी
थोड़ी पागल सी होती हैं।।
मायके से सासरे तक
हर जिम्मेदारी निभाती है
कल की भोली गुड़िया रानी
आज समझदार हो जाती हैं
ये गृहणियाँ भी.....
वक्त़ के साथ ढल जाती हैं।।
©chouhanmamta -
chouhanmamta 7w
*शब्दों का भी अपना तापमान है*
*ये ठंडक भी देते है और जलन भी*
*वक्त की धारा में अच्छे अच्छों को मजबूर होता देखा है*
*कर सको तो किसी को खुश करो दुःख देते हुए तो हजारों को देखा है*
©chouhanmamta
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वक़्त है
वक़्त है
गुजर जायेगा एक दिन
फिर कभी
किसी जन्म में मिले ना मिले
कभी मैं
तेरे शहर आऊं ना आऊं
जब तक सांस है
याद को शिने में बसा कर रखूं
हर बुरे वक़्त में
बस तुहि तो याद आयेगा
आँशु भी छलकेंगे
आँखों से उम्र भर मेरी
नहीं मालूम
के क्या रिस्ता है ये
मगर तुजसे जुदा होना मुश्किल सा लगता है
तेरे शहर का रास्ता
अब अपना सा लगता है
तुझसे ख्यालों
में भी बिछड़ना मुस्किल है अब
उम्र के
किसी दौर में याद जो करूंगा
एक एक पल
बस आहें मैं भरूंगा
कुछ रास्तों पर
अकेले चलना ना मुनकीन सा होगा
ज़ब आखिरी
सांस लूंगा इस जिंदगी की मैं
उस घड़ी
भी दिल के हर कोने में तू होगी
©rajput_pankaj -
जीने की वजह
नहीं मालूम की इश्क़ है
या रिस्ता ये बेवजह है
बस इतना जानते हैं
के तू ही अब जीने की वजह है
कहां जिंदगी अब मुकमल तेरे बिना है
तू ही हर वक़्त आँखों के मुख़ातिब है
तू जो बिछड़े एक पल भी
तो लगे जैसे जिंदगी एक सजा है
बस इतना जानते हैं
के तू ही अब जीने की वजह है
खुशबू अब मुझे तन्हाईओं से भी
तेरी ही सनम पल पल आती है
जो जुदा होजाऊं एक पल भी कभी
उस पल ही समझ जाऊं के तेरे बिना जीना बेवजह है
बस इतना जानते हैं
के तू ही अब जीने की वजह है
रूठ जाना तेरा हर वक़्त रुलाता है
सब कुछ होते हुऐ भी कुछ ना समझ आता है
रुहों का इश्क़ है जो तुझसे हुआ है
अब तेरे साथ जिन्दा रहने में ही मजा है
बस इतना जानते हैं
के तू ही अब जीने की वजह है
©rajput_pankaj -
इतिहास
लाख महोब्बत है हमें अपनी पैदा करने वाली माँ से
मगर इश्क़ इस देश की मिट्टी से भी पाक है हमारा
हम जब तक दिल से लगाते हैं तो खुशकिस्मती समझो
वरना औकात बताने का भी नजरिया बेबाक है हमारा
चुप बैठें है तो ये भी दया का एक रूप है हमारी
वरना दुश्मनों को नाकों चने चबाने का इतिहास है हमारा
रहो दायरों में तो जिंदगी जी सकते हो बेखौफ तुम
नहीं जानते हो लेहराता केसरिया भी कितना खास है हमारा
जो तुमको बताया गया वो एक फरेब था हमें बदनाम करने का
नहीं तो स्वाभिमान के लिये आग को गले लगाने का रीवाज है हमारा
बहुत हुआ अब फिर से एलाने जंग होगी मैदानों में
उगते सूरज के साथ हुआ एक नया आगाज है हमारा
चुप बैठें है तो ये भी दया का एक रूप है हमारी
वरना दुश्मनों को नाकों चने चबाने का इतिहास है हमारा
©rajput_pankaj -
कुछ पाने के लिए खोना पड़ता है
और
कुछ पाने के लिए लड़ना भी पड़ता है
©thakur_vishu -
rajput_pankaj 12w
उलझन
अजीब सा महसूस कर रहा हूं कुछ
जैसे कुछ खोज रहा हूं कई दिन से
बिना वजह ही उलझा हुआ सा हूं खुद में
जैसे अकेला सा घूम रहा हूं तुम बिन में
कई बार रास्तों में भटक जाता हूं
जिंदगी के गहरे सागर में बिना सहारे के लटक जाता हूं
चला जा रहा हूं बिना मंजिल के ही वीरान सी राहों पर
एक अधूरे से खाब की तरह नींद खुलते ही चटक जाता हूं
ना कोई रास्ता मिल रहा है ना मंजिलें नजर आती है
अकेला ही खड़ा नजर आता हूं जहाँ तक नजर जाती है
अथाहा सागर में जैसे बिना किनारों के खो गया हूं
बिना मंजिल के रास्तों पर ही अकेला सा हो गया हूं
©rajput_pankaj
