उई
सभालना
drusha
Dr.Usha
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drusha 2d
गिरकर संभलना मुझे आता है,,,,,,,,,,,,
बिखरकर जुड़ना मुझे आता है,,,,,,,,,,,
ख़ोफ का माहौल इस क़दर हैं हावी ,,,,,,,,,,,,,,,
फिर भी बेखौफ जीना मुझे आता है,,,,,,,,,,,,
समेटती हूं बाजुओं में खुला आसमां,,,,,,,,,,,,,,,,
कुतरे पंखों से उड़ना मुझे आता है,,,,,,,,,,,,,,
कोशिश करने में कसर न की हमने,,,,,,,,,,,,,,
जो मिला उसमे जीना मुझे आता है,,,,,,,,,,,,,,,
सफ़र मुफलिसी का है मेरे यारों,,,,,,,,,,,,,,,,
टपकती छत सीना मुझे आता है,,,,,,,,,,,,,,
शिकायती मिजाज़ नही है मेरा,,,,,,,,,,,,,,
कमियां है मुझमें नजर मुझे आता है,,,,,,,,,,,,,
निहारती हूं आईने में शक्ल अपनी,,,,,,,,,,,,,,,,
खूबसूरत सा अक्स मुझे नज़र आता है,,,,,,,,,,,,
हर शख़्स खूबसूरत है समझ मुझे आता है,,,,,,,,,,,,, -
शब
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drusha 3w
इकरार न कर समझ जाती हूं,,,,,,,,
तेरी बेकरारियो से तड़प जाती हूं,,,,,,,,,
तू गुजरता है अंजुमन से मेरी,,,,,,,,,,
तेरी खुश्बू से सवर जाती हूं,,,,,,,,,,,,,
तेरी तकलीफ का अहसास है हरसु,,,,,,,,,,,
यूं ही नहीं बाहों में सिमट जाती हूं,,,,, ,,,,,,,दामन
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इश्क
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drusha 3w
दिल के कई दरवाज़े नहीं होते,,,,,,,
जो बिखरते है, कमज़र्फ नहीं होते,,,,,,,,,
तकलीफ़ का समंदर समेटे जिंदा है,,,,,,,,,,,
चंद आसुओ से दरियाओ में सैलाब नहीं होते,,,,,,,,,,,,
तेरी मुहब्बत ही ज़िंदगी का सहारा है,,,,,,,,,,,
वर्ना जीने में खून एं जिगर कम नहीं होते,,,,,,,,,सैलाब
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drusha 3w
उम्मीदों की गठरी कांधे धर,,,,,,,,,,,
ता उम्र फिरता रहा,,,,,,,,,,
ओ मुसाफ़िर बाबरा बन,,,,,,,,,,
दर्द तू भरता रहा,,,,,,,,,,
व्यर्थ है सब रिश्ते नाते,,,,,,,,,,
मोह तू करता रहा,,,,,,,,,
ना जपा हरि नाम,,,,,,
रहमत करता रहा,,,,,,,,,,Gathri
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drusha 4w
ग़म की बारिशे हम पे कभी कम नहीं होती,,,,,,,
तमाशाई है ये दुनिया सरीके ग़म नहीं होती,,,,,,,,,,
तू दामन गर बचा भी ले निगाहें चुरा भी ले,,,,,,,,,,,
कसक तेरी कभी दिल में हमदम कम नहीं होती,,,,,,,,,,,,,,
मुहब्बत है तो है तुमसे इबादत कम नहीं होती,,,,,,,,,,,,,,
गुजराती हूं मुफलिसी में तेरी ज़रूरत कम नहीं होती,,,,,,,,,,,
,बारिश
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drusha 5w
कदमों के निशान से कुछ सीख पाती,,,,,,,,,,
काश मै भी तेरी हमकदम बन पाती,,,,,,,,,
रोज उठाता है तू मेरे नाज और नखरे,,,,,,,,,,,
काश मै तेरी तरह समंदर बन पाती,,,,,,,,,,,,,i नखरे
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drusha 5w
दिल में तुमको यू छुपाया है,,,,,,,,,,
अपना क्या तूने जीना सिखाया है,,,,,,,,,,,,
जब अपना वजूद तलाशती हूं ,,,,,,,,,,,
हरसू तेरा अक्स नज़र आया है,,,,,,,,,,,,शक्श
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drusha 5w
इक कसक मेरे दिल में कहीं रह गई,,,,,,,,,,,,
जिंदगी में तुम्हारी कमी रह गई,,,,,,,,,,,,
उम्र गुजरी ख़ुमारी उतरती नहीं,,,,,,,,,,,,,
तेरी तस्वीर दिल में दबी रह गई,,,,,,,,,,,,,
है खुला आसमां चांद तारे सभी,,,,,,,,
मेरे दिल की अधेरी गली रह गई,,,,,,,,,,,,,कसक
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एक रात मृत्यु खड़ा द्वार मेरे!
प्रेम रुपी अश्रुधारा से सह्रदय किया स्वागत!
मृत्यु के स्नेह सभर स्पर्श से हुई रोमांचित!
पढ़ा मृत्यु का हुकमनामा नही थे ईश्वर के हस्ताक्षर!
छोड़ मुजे अकेला चला गया !
©ruchitashukla -
जिन्दगी में बस इतनी सी इनायत हो रब की..
प्यार सात दिनों की ही नही, उम्र भर की नैमत हो..
©shobharani -
shobharani 1w
#hindi #mirakee
क्यो औरतें ही सहती है..
न चाहते भी क्यो बान्धे रखती है खुद को उन रिश्तों में...
जिन रिश्तों को दिल नही मानता उनका..
कुछ तो होती होंगी मजबुरियाँ उनकी..
कुछ तो होते होंगे दायरे उनके...
कुछ मजबुरियाँ, तो कुछ संस्कारों के बोझ...
तो कुछ रुसवाइयों का डर...
न जाने क्यों हर बन्धन में बन्धती हैं सिर्फ औरतें ही..
कभी रिवाजों की संकरी गलियों के दायरे...
तो कभी संस्कारों की चादर में लिपटी बेवशी...
हालातों की जंजीरों में क्यो जकडी़ होती है सिर्फ ये औरते ही..क्यो औरतें ही सहती हैं..
न चाहते भी क्यो बान्धे रखती है खुद को उन रिश्तों में...
जिन रिश्तों को दिल नही मानता उनका..
कुछ तो होती होंगी मजबुरियाँ उनकी..
कुछ तो होते होंगे दायरे उनके...
कुछ मजबुरियाँ, तो कुछ संस्कारों के बोझ...
तो कुछ रुसवाइयों का डर...
न जाने क्यों हर बन्धन में बन्धती हैं सिर्फ औरतें ही..
कभी रिवाजों की संकरी गलियों के दायरे...
तो कभी संस्कारों की चादर में लिपटी बेवशी...
हालातों की जंजीरों में क्यो जकडी़ होती है सिर्फ ये औरते ही..
©shobharani -
shobharani 4d
कुछ बातें ऐसी भी होती हैं,
जिन्हे हम कभी किसी से बोल नही पाते..
और वो हमारे दिल में ही दबी रह जाती हैं...
और वो ही खामोश बातें हमारे अन्दर बहुत शोर मचाती हैं...
©shobharani -
hamsafar 1w
वो फुरसत लेकर आए है.....उन्हें कहो मेहरबानी ना करे....
©hamsafar -
hamsafar 1w
तेरा आना ना हुआ जैसे मरहम हो कोई......
के तेरे आते ही मेरी तबीयत बहल सी जाती है.....
शिकायत कितनी भी हो तुमसे कमबख्त तुझे देखते हि बदल सी जाती है......
©hamsafar -
hamsafar 1w
जिनकी आवाज बनने की थी तमन्ना मेरी...
उनसे ही खामोश होकर सफर पर चल दिए.....
©hamsafar -
hamsafar 3d
शिद्दत तो दोनों तरफ से थी मोहब्बत के दर्मिया.....
बस मैंने प्यार निभाने में दिखाई तो उसने तोड़ने में.....
©hamsafar -
©hamsafar
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hamsafar 3d
मेरी हर पसंद को वो खराब कहा करता था......
शायद उसके बारे में भी उसकी ही बात सही निकली...
©hamsafar
