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#Sach
530 posts-
vy_thoughts 1d
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पिछले साल...!!
यादों की किताब उठाकर देखी मैंने...,
पिछले साल,इन दिनों तुम मेरे थे...!!
©vanshika__pareta0102 -
अगर सच बोलना "कड़वा" है तो
हमें दिखावे का मीठा बोलना नहीं आता...
अगर आप इसे "बगावत" समझते हो तो, समझो
क्योंकि हम भी बागी हैं.....
_ शैफाली
©shaifali15011999 -
Kisi k liye kitna bhi karlo,
Usko aap yaad tbhi honge,
Jab unhe aapse koi kaam hoga!!
©kahaani_ -
Tere juth ka muqadma kuch is kadar chala
Aagaz se ant tak ki is kahani me
Me apna sach dhoondhti reh gayi...
©vintage_soul -
nida_the_writer 11w
Kuch aisa zamana aagya
Jhut par etmaad Or
Sach par shak aagya.
©nida_the_writer -
कभी किसी ने इसे बड़े करीब से देखा है
तो किसी के लिए ये एक हवा का झोंका है
इसका ना किसी को संदेशा है
इसका ना किसी को अंदेशा है
इसका ना कोई बाप है ना बेटा है
इसने फिर भी सबका दर्द समेटा है
कोई इसे याद करने से भी डरता है
कोई इसे सच समझ कर हंसता है
किसी के लिए ये एक धोखा है तो
किसी ने इस पर सारा दम झोका है
किसी का दर्द इस पे जाया है
तो किसी के लिए राहत की छाया है
इस पर वश किसी ने नहीं पाया है
ये मौत है जनाब इसने सबको बुलाया है
©mayank_333 -
anmolsaini 13w
एक सच
मेरी खुशियां तेरे लिए कहॉं कुछ मायने रखती हैं
तू तो अपने गुरूर को मुझ से भी ऊपर समझती है।
@Anmol Saini -
preranarathi 14w
#Maut #Death #Dhanda #Trade #Duniya #World #Sach #Truth #Preshaniya #Problems #Sukun #Peace #Ruh #Soul #Jannat #Haven #Khuda #God #Sidhiya #Stairs #Mukdma #Case #Arzi #Permission #Mukti #Free #Panah #Shadyantra #Game #Narak #Hell #Barbad #Destroyed #Reha #Free #Bazar #Market #Mirakee #Hindi #Poetry #Tribute to Shushant Singh Rajput......
मौत का धंधा
जब मौत को गले लगाया,
तब दुनिया का एक और सच सामने आया।
सुना था, मरने के बाद सारी परेशानियाँ खत्म हो जाती हैं,
सुकून होता है और रुह को जन्नत मिल जाती हैं।
मैं भी चढ़ा था उस खुदा के घर की सीढ़ियाँ,
पर न आया वो बाहर, न खोली उसने खिडकियाँ।
फिर कही से एक आवाज़ आई-
तु तो मर कर भी नहीं मर पाया,
इस दुनिया ने तुझ पर मुकदमा हैं चलाया।
जा पहले उन से अर्जी लेकर आ,
इस दुनिया से मुक्ती लेकर आ।
तुझे अपने घर में पनाह नहीं देनी तो मत दे, नाटक क्यों करता है,
जिन्होंने मेरी मौत का षड़यंत्र रचा, उन्हीं से भीख माँगने को कहता है।
क्या फर्क पडता हैं, मैने खुदखुशी कि या उन्होनें मुझे मार डाला,
दोनों ही तस्वीरो में, कीचड़ मुझ पर ही तो उछाला।
मेरे शरीर को कभी नहीं अपनाया,
और आज मेरी रूह पर भी है दाग लगाया।
और तु कहता है कि इन फर्जी लोगों कि अर्जी लेकर आऊ,
मुकदमा जो चलाया इन्होनें मुझ पर, उसमें बेकसूर साबित होकर आऊ।
ओ मेरे खुदा, तु कितना भोला है, जाकर नीचे तो देख,
नरक से भी बत्तर सर्वग, इंसान ने खोला हैं।
पर तुझसे क्या शिकायत करू, तु तो अपना काम कर रहा है,
जन्नत मिले उसी को, जो बेगुनाह है।
बर्बाद तो मुझे तेरी बनाई दुनिया ने कर दिया,
छीन ली मेरे पैरों से जमींन, अब आसमान भी ले लिया।
पर अगर तु चहाता हैं, तो थोड़ा और भटक लूगाँ, थोड़ा और तड़प लूगाँ,
जब तक बेगुनाह साबित नहीं हो जाता, बर्बादी का दर्द थोड़ा और सह लूगाँ।
पर तुझसे एक वादा मैं लेना चहाता हुँ,
होगा इस मुकदमे का अंत, बस इतना यकीन दिला दे तू।
क्योंकि मुझे इस दुनिया पर पूरा भरोसा है, ये मुझे कभी रिहा नहीं होने देगें,
मेरी मौत को धंधा बनाकर हर रोज बाजार में बेंचेगे।
- प्रेरणा राठी
©preranarathi -
Apne
Aj kl pyar nhi chalde Sat
Aj kl tn vapaar chlde ne
Jina nu apna manno
Saale ohi jalde ne
©dil_de_bol_by_sat -
aaditi_ 15w
‛अगर’
क्या यह ‛अगर’ छुपाकर नज़रें चुराना,
आपको युहीं मंजूर हो जाता है।
#ager #sach
#i_am_a_day_dreamer
Turn on my post notifications if you want to read more posts...अगर...
कभी- कभार ख्याल आता है,
अरे ज्यादा गौर मत करो,
ख्याल तो हमे रोज़ ही आता है।
यह थोड़ा अलग है...
हाँ तो कभी- कभार यह ख्याल आता है,
कि यह जो प्राणी इंसान है,
ये ‛अगर’ के बीच क्यों फस जाता है?
क्यों नहीं ‛अगर’ को छोड़ किसीका हाथ बटाता है?
क्यों नहीं ‛अगर’ को छोड़ किसीकी जान बचाता है?
क्यों नहीं ‛अगर’ को छोड़ किसीकी मजबूरी समझ पाता है?
क्यों नहीं ‛अगर’ को छोड़ किसीके भाव समझ पाता है?
क्यों ये प्राणी इंसान इस ‛अगर’ के,
जाल में हर बार फस जाता है?
क्या है ये ‛अगर’ शब्द किं इंसान,
खुदको बचाने के लिए किसीके भी सामने गिर जाता है?
क्या कोई ‛अगर’ आपकी जिंदगी का,
आपसे बढ़कर हो जाता है?
या वो ‛अगर’ आपके अपनों की,
सोच से बढ़कर हो जाता है?
क्या यह ‛अगर’ छुपाकर नज़रें चुराना,
आपको युहीं मंजूर हो जाता है?
मेरी मानो तो एक ‛अगर’ हमारी,
सालों कि नींद एक झटके में खा जाता है।
अगर कोई सच किसीको आपके मनको,
समझने में काम आ सकता है।
तो सच में यह ‛अगर’ आपको,
अपनो से दूर करने की बड़ी बुरी वजह बन जाता है।
कभी-कभार ख्याल आता है,
की इंसान इतना क्यों शब्दों के बीच जूझ जाता है?
की 2 शब्दों के ‛सच’ के बजाय,
उसे ये तीन शब्दों का ‛अगर’ भा जाता है?
-आदिती शिंदे... -
geet_001 15w
मजबूरी के हाथों
सच बिक जाता है
ईमान के दाम पर
©geet_001
#hindiwriters #hindiurdu #sahitya #twoliners #sach #jhoot #khreedar #gareebi #majbori
@dipps_ @shiv__ @aquariansoul199 @aaditi_ @journey_of_life'किसी' के सच को खरीद लिया जाता है
'किसी' के ईमान को बेचकर
©geet_001 -
Jo dost khte ho khud ko tum mera
Ek baat puchun to kya bta paoge?
Agr Hass dun aaj tumhare Saamne main khull kr.
Sach kaho, kya tum seh paoge?
Jo dekh kr tumhaari aankhon me
Ek sawal puchu to kya bta paoge?
Bna kr itna bura hme duniya ki nazron me,
Sach kaho, Kya hmse aankhe mila paoge?
Jo jhuthi maafiyan maangte ho tum,
Ek sawal puchu to kya bta paoge?
Jo tumne kiya agr hm kare,
Sach kaho, kya maafi depaoge?
Btao na,
Agr dost bna bhi len hm tumhe firse
Sach kaho,
Iss bar dosti nibha paoge?
©laconic_words -
"Maasum"❣️
Bohot Maasum hote h vo dil ,
jisse sach bolne ki saja mili ho !
©tathambika -
झूठ-सच
लोग मुँह फेरने लगे है उसे देखते ही,
शायद उसने सच बोलना शुरू कर दिया..
©tamas93 -
सच -झूठ
"सच" को तमीज़ ही नहीं बात करने की...
"झूठ" को देखो कितना मीठा बोलता है..!!
©rk_emotions -
rishabh9rb 16w
Khuda teri rehmat ka dastoor kuch aisa hai, daulat se pichda har insaan, sadko pe beekh maangte bikhari jaisa hai...
©rishabh9rb -
anshikasinha_ 16w
बदलते चेहरे
मीठे अल्फाजों के पीछे की करवी सोच को समझने लगी हूं,
अब शायद मैं भी ज़िन्दगी के सच को जानने लगी हूं,
नहीं होता ताज़्जुब किसी करीबी के बदल जाने पे अब क्यूंकि,
अपनों के साए में छिपे बदलते चेहरे को मैं भी अब पहचानने लगी हूं।
©anshikasinha_ -
झूठा इल्जाम
Iss liye sach nhi bataya humne,
ki ilzam bhale jhoota hi sahi,
par lagaya to tumne hi hai.
©nomadic_thoughts -
सच
अगर किसी की मौत से
किसी की ज़िंदगी मे
खुशियों का आगाज़ होता है
तो उस इंसान का मर जाना
ही बेहतर है।।
©mahamantri_writes
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