चित्रण
प्रेम और बेरोजगारी
बाली उमरिया देखिए, लगा प्रेम का रोग ।
साथ चाहिए छोकरी,नहीं नौकरी योग ।।
रखते खाली जेब हैं,कैसे दें उपहार।
प्रेम दिवस भी आ गया,चढ़ता तेज बुखार।।
दिया नहीं उपहार जो,कहीं न जाये रूठ।
रोजगार तो है नहीं,उससे बोला झूठ ।।
स्वप्न दिखाए थे उसे,ले आऊँगा चाँद ।
अब भीगी बिल्ली बने,छुप जाऊँ क्या माँद।।
साथ छोड़ते दोस्त भी,देते नहीं उधार ।
जुगत भिड़ानी कौन सी,आता नहीं विचार।।
भोली भाली माँ रही,पूछे नहीं सवाल ।
बात बात पर रार है, करते पिता बवाल।।
नहीं दिया उपहार जो,साथ गया यदि छूट।
लिए अस्त्र तब चल पड़े,करनी है कुछ लूट।
मातु पिता का मान अब ,सरेआम नीलाम।
आये ऐसे दिन नहीं,थामो प्रेम लगाम ।।
रोजगार अरु प्रेम में,सदा रहे ये तथ्य ।
दोनों का ही साथ हो ,जीवन सुंदर कथ्य ।।
©anita_sudhir
#hindikavyasangam
6633 posts-
anita_sudhir 2w
-
nikkutiwari_ 3w
"दिल कितना गहरा है देखो
वो समंदर पी रहा है देखो"
©nikkutiwari_ -
dm_malang 3w
#readwriteunite #writersnetwork #hindikavyasangam #hindipost #mirakeeworld #reposter24 #hindishayari #urdushayari #hindiwriters #hindikavita #shayari #sheroshayari #rekhta #ishqurdu #soulwriter #soulwriters #mirakee #mirakeeapp #writer #writing #writingcommunity #writersofmirakee #writers_paradise #mirakeefamily #poet #poetry #poetryworld #mirakeeworld #poetrycommunity #poetsociety #quoteoftheday #postoftheday #poemoftheday #lovepoem #lovepost #selflove #lovequotes #lovelife #sadpoetry #sadstory #hind #urdupoetry #urdughazal #ghazal #sings
ये कहाँ खोई रहती हो तुम,
जाने क्या सोचती हो तुम...
मेरी हर सुबह महक उठती है,
जैसे सिरहाने बैठी हो तुम...
क्या कहा अब भी मैं याद आता हूँ?
अच्छा मज़ाक करती हो तुम...
कहती हो कयामत तुम पर गुजरी,
अभी मुझसे नहीं मिली न तुम...
वो शक्स हुआ किसी और का,
अब भी उसके दीवाने तुम...??
©_malang -
anita_sudhir 4w
षड़यंत्र
आज विदेशी ताकतें, खूब रचें षड़यंत्र।
सत्य झूठ के फेर में,घूम रहा जनतंत्र।।
तर्क बुद्धि रख ताक पर,रचते रहे कुचक्र।
राजनीति हित साधती,चाल सदा से वक्र।।
दूध धुला अब कौन है,लगा मुखौटे आज।
खेल खेल षड्यंत्र का,चाह रहे सब ताज।।
पासे शकुनी फेंकता,फँसते पक्ष विपक्ष।
कब तक का षड्यंत्र है,प्रश्न पूछते यक्ष।।
राजनीति के क्षेत्र में,घुट घुट मरता साँच ।
खबर बिके बाजार में,करें तीन अरु पाँच।।
अनिता सुधीर
©anita_sudhir -
anita_sudhir 4w
बजट
भानुमती का खोल पिटारा
बाहर आया जिन्न
नचा रहे हैं बड़े मदारी
नाचें छम छम लोग
तर्क पहनता नूतन चोला
कहता उत्तम योग
वायुयान में बैठ विपक्षी
आज हुए हैं खिन्न।।
बाहर आया जिन्न
दाल गलाए जनता कैसे
नायलॉन का मेल
टुकुर टुकुर वो बगले झाँके
रहे आँकड़े खेल
सोच रहे हैं अमुक फलाने
स्वप्न हुए अब छिन्न।।
बाहर आया जिन्न
अर्थ पड़ा बीमार कभी से
कबसे रहा कराह
बाजार उछलता जोरों से
लाया नया उछाह
सत्य झूठ आपस में लड़ते
बुद्धि रखें हैं भिन्न।।
बाहर आया जिन्न
अनिता सुधीर आख्या
©anita_sudhir -
"काश! तुम रुक जाते"
काश! के तुम रुक पाते
खामोशी की जुबां समझ जाते।
तुम्हें चाहता कितना मेरा दिल,
काश!के तुम जान पाते...।।
गलतफहमियो की दीवार,
बन गई रिश्तों के बीच दरार।
कुछ देर तुम ठहर गये होते,
रिश्ते भी संभल गये होते।
याद कर प्यार के हंसी पल,
काश! तुम रुक जाते...।।
तुम बिन अधूरी हर शाम,
तुम बिन कहाँ दिल को आराम।
तकरार, प्यार दोनों हैं जरूरी,
पर दिलो मे न होने पाये दूरी।
जाते हुए कदमों को जो रोक लेते,
काश! के तुम रुक जाते..।।
आज हर तरफ है सन्नाटा,
तुम बिन कुछ भी न भाता।
उल्फ़त को मेरी रुसवा कर,
कहाँ चले हो हमें बेज़ार कर।
कहती है ये तिश्नगी हमारी,
काश!! के तुम रुक जाते...।
खामोशी की जुबां समझ पाते।।
©archanatiwari_tanuja -
तसव्वुर के लम्हात में ही नहीं ;
तुझे तो एक अरसे से मैंने अपने
दिल में बसा रखा है ;
तेरी इबादत में अपने सिर को
झुका रखा है |
तू ख़्वाब नहीं, इश्क़ है मेरा ;
तेरी चाहत में मेरी आँखों ने नींदों से
जफ़ा कर रखा है|
मेरा दिल कहता है ;
तू मुझे मिलेगा ज़रूर !
क्योंकि क़ायनात ने मेरे
हाथों की लकीरों में तेरा
नाम उकेर रखा है |
©borntowin -
आत्मचिंतन
जब से मै कलम संग आत्मचिंतन कर रही हूँ,
तब से खुद के दोषों का दमन कर रही हूँ।
पतझड़ आके गुजर गया बसंत का है इंतज़ार,
माँ वीणावादिनी का चित से आवाहन कर रही हूँ।
है दोष बहुत मेरे भावों और शब्दकोष मे,
अब खुद का बारीकी से आंकलन कर रही हूँ
समाहित कर लू थोड़ी शान्ति और सुकून,
घर गृहस्थी को मै अपनी चमन कर रही हूँ।
जिस-जिस ने है सिखाया और निखारा मुझे,
हृदयतल से उन सभी को मै नमन कर रही हूँ।
देख के देश की बेटियों की निर्मम हालत,
क्या कहूँ किस तरह से दर्द ये सहन कर रही हूँ?
कैसी ये मानसिकता लोगों की हो गई है?
बस इस बात पर आज-कल चिंतन कर रही हूँ।
युग बदला लोग बदले पर नारी के हालत नही!
कब-कैसे बदलेगी ये क्रूरता यही मनन कर रही हूँ?
बहुत कुछ कहने को आतुर हृदय की वेदना,
पर अल्फ़ाज़ अपने यहीं पर दफ़न कर रही हूँ।।
21/01/2021
©archanatiwari_tanuja -
ज़िन्दगी के रंग
ज़िन्दगी के है रंग हजार,
सुख-दुःख इसके आधार।
क्या भला है क्या बुरा,
सत रंगी लगे है ये संसार।
माँ की ममता का आँचल,
पिता का मिले हमें दुलार।
भाई-बहनों की नोक-झोक,
इससे रिश्तों मे आये निखार।
सभ्यता और संस्कारों से,
करो जीवन का बनाव,श्रृंगार।
सखियों की हंसी, ठिठोली,
पतझड़ मे भी ला देती बहार।
जिस रोज चढा हल्दी का रंग,
खुशियों ने दस्तक दी मेरे द्वार।
लाल रंग कुमकुम कहता,
तुम्ही मिलो सजना हर बार।
तुम्हारे स्नेह का रंग फीका न हो,
बस यही करती तुमसे दरकार।
धूप-छाव सा रंग बदलता जीवन,
हर रंग अगल होते विविध प्रकार।
संतोष,धैर्य,समर्पण के रंग निराले,
इनसे हो जाता जीवन गुलजार।।
21/12/2020
©archanatiwari_tanuja -
यही तो है वो ज़मीं-आसमां...
यही तो है वो जमीं- आसमां,
यही पर हैं अपने दोनों जहां।
घुटनो के बल चलते थे कभी,
कभी लड़खड़ाते कदम बढ़ाये।
खेला है गोद तेरी मेरा बचपन,
आँचल की छाया मे हुई मै जवां।।
मिलता मुझे सुकून बड़ा ही...
तेरा प्यार-दुलार मुझे है मिला,
सारे गम मै अपने भूल जाती हूँ,
मिलती है जो तेरे पल्लू की हवा।।
मेरे वतन की माटी मे जो नशा है,
मिलती नही वो सारे जहां मे कही।
बस इक आसरा है तेरा ही "माँ"
दर तेरा छोड़ कर जाऊँ मै कहाँ??
नाता जुड़ा है तुझसे जन्मों का,
है आरजू ये जीवन मिले तो यही!
वरना जीवन का कोई मतलब नही!!
या रब तुझसे है मेरी बस यही इल्तजा।।
यही तो है वो ज़मीं-आसमां।
यही पर है अपने दोनों जहां।।
20/01/2021
अर्चना तिवारी तनुजा
©archanatiwari_tanuja -
archanatiwari_tanuja 6w
#hindikavyasangam#hindiwriters#mirakee
धुन:- कर चले हम फिदा जान तन साथियों......ग़ज़ल:- 27
वज़्न:- 212 212 212 212
आसमां से कहो...जय हिंद
आसमां से कहो अब घटा चाहिए,
खूबसूरत हमें इक छटा चाहिए।1।
आग सी है जलन वादियों मे घुली,
गंग की धार बहती जटा चाहिए।2।
दौर ये मुश्किलों का हमें बदलना,
बा-असर हो अज़ीयत हटा चाहिए।3।
सोच कर मै बहुत हूँ परेशान ये,
मुल्क़ मेरा न टुकड़ों बँटा चाहिए।4।
काफ़िला है जवानों का जय घोष हो,
नारा जय हिंद सब को रटा चाहिए।5।
शान है ये तिरंगा हमारी जहाँ,
अब तो दुश्मन जब़ी ही कटा चाहिए।6।
वालिदा है हमारी वतन की जम़ी,
ढाल फौलाद सा तू डटा चाहिए।7।
कर शहादत को"तनुजा"नमन देख ले,
हिंद का सीना न जख्मों फटा चाहिए।8।
20/01/2021
©archanatiwari_tanuja -
shikha___ 6w
Raat Sannate Deti Hain
Aur Sannate, Sukoon
©shikha___ -
sarvangi 6w
मो'जिज़ा
सांकल लगे कमरे के
एक कोने में पड़ा,
ताकता रहता हूं मैं
सामने खड़ी दीवार को,
मानो घूरने से फूट पड़ेगा उसमें कोई बीज,
यूंही हंसकर किस्से सुनाने लगेगी और
झुककर आलिंगन करेगी
सूरज उगता है,
सर पर चढ़ता है,
डूब जाता है,
शब आकर गुज़र जाती है,
ऋतुएं बदलती रहती हैं,
मैं ताकता रहता हूं उसे,
मानो वो मो'जिज़ा हो कोई
©sarvangi -
दुआ...
लंबे अंतराल के बाद दुनिया से हुआ मेल-मिलाप।
रोगग्रस्त काया लेकर करती रहती थी मै विलाप।।
माँ पापा का साहस और धैर्य देख मिलती दिलाशा,
अपने पाँँवों पर खडे होने की जाग उठी थी आशा।
लाचारियाँँ,अपंगता का जीवन नही था मुझे स्वीकार,
मैने भी इस रोग से लडने की ठानी क्यो मानू मै हार?
दिन,महीने साल गुजरे अथक प्रयास हम करते रहे,
पापा मेरे मंदिर,मस्जिद, गुरुद्वारे जा दुआ मांगते रहे।
सभी दुवाएं रंग लाई मै फिर से अपने पाँव पे खडी हुई,
आँखें नम हो जाती याद आते ही चलो मुसीबत दूर हुई।
गर अपनो का साथ मिले तो हर जंग जीता जा सकता है,
कितनी भी हो मजबूत दीवारें पर गिराया जा सकता है।
16/01/2021
अर्चना तिवारी तनुजा -
archanatiwari_tanuja 7w
#hindiwriters #hindipanktiyan#hindikavyasangam #writersnetwork#gazal
धुन:- दिल के अरमां आसुओं मे बह गये.....
Happy Army Day....ग़ज़ल:-26
वज़्न:- 2122 2122 212
देख तो कैसी ये सेहत हो गई,
कैसी थी कैसी है सूरत हो गई।1।
नूर सा छाया था जिसपे हर घडी,
आज वो बेजान मूरत हो गई।2।
जो कदम आते न थे मेरे दर तक,
आज उनकी भी इनायत हो गई।3।
इश़्क कैसे हो हमें तू ये बता??
सर ज़मी से जब मुहब्बत हो गई।4।
पासबाँ बन हम डटे रहे सदा,
सुर्ख जिस्म-ओ-जान रंगत हो गई।5।
पाँव मे छाले पडे है जंग में,
जूतों की ऐसी ये हालत हो गई।6।
दोहरायेगा फिर कोई दास्ताँ,
ये तिरंगा मेरी दौलत हो गई।7।
15/01/2021
©archanatiwari_tanuja -
नशा...✍️✍️
हाँ करती हूँ मैं नशा हर दिन पर ये गलत तो नही!
मुझे है लेखन का नशा जो मुझ पर छाया रहता।
घुट-घुट कर कब तक जीती मै एहसासों के बीच,
कैसे निष्कृय बनी रहती मै भला होठो को भीच।
लब खोलना जहाँ तौहीन वहाँ कलम बोलती है,
लफ़्ज़ों की जुबां कितनो के ही दिल तोडती है।
जब से हुआ लिखने का नशा हर रिश्ता संभल गया,
लत ऐसी लगी हृदय का गुंबार सरा पन्नों पे बह गया।
जब लगता मन भारी-भारी सा इक कविता का जाम,
थोरी शेरो-शायरी या ग़ज़ल लिख मैं पी जाया करती।
देश,समाज,गाँव,गलियों की बातें मै सबसे साझा करती,
जो नही उचित लगता मुझको उसे आईना हूँ दिखलाती।
15/01/2021
अर्चना तिवारी तनुजा -
कितना आसान है उनके लिए दिल से निकाल देना,
मैं हूँ बरसों से परेशान पर मुझे ये हुनर क्यूँ ना आया।
©theshekharshukla -
theshekharshukla 10w
मेरा एक सपना, मैं फिर इसे ज़िंदा करने जा रहा
@rangkarmi_anuj...
इस बार दुष्यंत कुमार जी की इन पँक्तियों के साथ महा यज्ञ का अनुष्ठान करते हैं।
सिर्फ़ हंगामा खड़ा करना मिरा मक़्सद नहीं,
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए।
#hks #hindikavyasangam
अपनी रचनाओं में चाहे हिंदी हो या उर्दू, हमें टैग करें, ऐसा करने से आप ना सिर्फ हिंदी रचनाओं के विशाल संग्रह का हिस्सा बनेंगे, बल्कि आपकी कोई श्रेष्ठ रचना चुने जाने पर उक्त कृति उत्कृष्ट हिंदी उर्दू रचनाकारों के साथ शेयर की जाएगी।.
-
agyaat007 12w
#
जहन में
तुम्हारे संवादों का शोर
और तुम्हारी उपस्थिति इतनी
अधिक है कि मैं
तुम्हारी अनुपस्थिति झुठला नहीं सकता
©agyaat007 -
dm_malang 13w
#readwriteunite #writersnetwork #hindikavyasangam #hindipost #mirakeeworld #reposter24 #hindishayari #urdushayari #hindiwriters #hindikavita #shayari #sheroshayari #rekhta #ishqurdu #soulwriter #soulwriters #mirakee #mirakeeapp #writer #writing #writingcommunity #writersofmirakee #writers_paradise #mirakeefamily #poet #poetry #poetryworld #mirakeeworld #poetrycommunity #poetsociety #quoteoftheday #postoftheday #poemoftheday #lovepoem #lovepost #selflove #lovequotes #lovelife #sadpoetry #sadstory #hind #urdupoetry #urdughazal #ghazal #sings
सर्द सुबह की गुनगुनी धूप सी उतरो तुम,
मैं शाम सा तेरी बाहों में धीमे धीमे ढलता रहूँ...
चमकते चाँद सी किसी रोज़ नज़र आओ फलक पर,
मैं चाँदनी सा बस तुम्हारे बदन में घुलता रहूँ...
मुझको संवार लो किसी रोज़ तुम करके इरादा,
मैं तुम में ऐसा उलझूँ कि बस उलझता ही रहूँ...
........
©dm_malang