प्रदूषण
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बीत गया इस वर्ष का,दीपों का त्यौहार।
वायु प्रदूषण बढ़ रहा ,जन मानस बीमार ।।
दोष पराली पर लगे ,कारण सँग कुछ और।
जड़ तक पहुँचे ही नहीं ,कैसे हो उपचार ।।
बिन मानक क्यों चल रहे ,ढाबे अरु उद्योग ।
सँख्या वाहन की बढ़ी ,इस पर करो विचार।।
कचरे के पर्वत खड़े ,सुलगे उसमें आग ।
कागज पर बनते नियम ,सरकारें लाचार ।।
विद्यालय में घोषणा ,आकस्मिक अवकाश,
श्वसन तंत्र बाधित हुये ,शुद्ध करो आचार ।
व्यथा यही प्रतिवर्ष की ,मनुज हुआ बेहाल।
सुधरे जब पर्यावरण ,तब सुखमय संसार ।।
©anita_sudhir
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anita_sudhir 70w
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anita_sudhir 85w
सूतक
16 जुलाई की रात 149 वर्षों बाद दुर्लभ संयोग वाला चंद्रग्रहण लग रहा है ,और उसके 9 घंटे पहले से सूतक लग रहा है अर्थात इस समय लगा हुआ है।
कुछ जिज्ञासा वश अपने विचार रख रही हूँ ।(मक़सद हास उपहास किसी धर्म का नहीं है।)
सनातन धर्म के अनुसार सूतक लगने के कारण में ,ग्रहण के पहले ,घर में क़िसी सदस्य की मृत्यु या बच्चे का जन्म है । इस समय पूजा अर्चना न करने का विधान है । मृत्यु और जन्म के समय सामाजिक,
शारिरिक और मानसिक कारण उस समय की परिस्थितियों में बनाये गये होंगें ।
ग्रहण के पहले सूतक में कहा जाता है कि वातावरण अशुद्ध हो जाता है ,नकरात्मक ऊर्जा आ जाती है ।पूजा न की जाए ।मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं ।खाद्य पदार्थ की वस्तुओं में तुलसी दल डाल दिया जाता है ।
मैं मूढ़ अज्ञानी का इस ग्रहण के पहले के सूतक पर ये प्रश्न ,जिज्ञासा और विचार है ...
(हालांकि मैं कुछ भी मानती नहीं हूँ ,मेरी बेटी के जन्म के पहले भी सबने मुझे मना किया था ,लेकिन experimental model खुद को बनाया ,देखें क्या होता है )
अगर अशुद्ध वातावरण और नकारात्मक ऊर्जा है ,तो मनुष्यों को नहीं लगेगी ,या सिर्फ धर्म विशेष पर ही प्रभाव पड़ेगा ,क्या उन बैक्टीरिया को पता है कहाँ attack करना है ।मंदिर के कपाट खुले रहेंगे तो वहाँ की सकारात्मक ऊर्जा उसे नष्ट करेगी या उस पर ही प्रभाव पड़ जायेगा ।
मंदिर की ग्रहण के बाद धुलाई और सफ़ाई होती है,फिर वहाँ पूजा अर्चना शुरू होती है ।
सूर्य ग्रहण के पहले तो माना जा सकता है ,कि उस समय की ultraviolet rays सीधे देखने पर आँखो को नुकसान पहुंचा सकती हैं ।
तुलसी दल भी मान लिया antibiotic का काम करता है ,तो 2 लीटर दूध जो फ्रिज में रखा है ,वो कैसे दूषित हो रहा और 2 पत्ते तुलसी अगर इतना प्रभाव डाले तो ,इतनी high dose antibiotic का क्या औचित्य।
पहले वैज्ञानिक तौर से जिन बातों को नहीँ समझाया जा सकता था ,तो ये नियम बना दिये गए थे ,पर वो अंधविश्वास बन जाये तो ?
एक तरफ चंद्रयान 2 की तैयारी और दूसरी तरफ
चंद्रग्रहण के पहले सूतक ।
आपके मंच से विचार रख रहे कि कोई उचित समाधान और जवाब दे सके ।
©anita_sudhir -
anita_sudhir 89w
योग दिवस
***
विश्व में सम्मान बढ़ा ,मची योग की धूम ।
गर्व विरासत पर हमें ,धूलि देश की चूम ।।
करते प्रतिदिन योग जो ,रहें रोग से दूर।
साँसों का बस खेल है ,मुख पर आए नूर ।।
आसन बारह जो करे,हो बुद्धि में निखार ।
होता सूर्य नमन से ,ऊर्जा का संचार ।।
पद्मासन में बैठ कर ,रहिये ख़ाली पेट।
चित्त शुद्ध अरु शाँत हो,करिये ख़ुद से भेंट ।।
प्राणवायु की कमी से , होते सारे रोग
प्राणायाम सभी करें ,जीवन उत्तम भोग ।।
ओम मंत्र के जाप से ,होते दूर विकार।
तन अरु मन को साधता,बढ़े रक्त संचार।।
©anita_sudhir -
anita_sudhir 91w
पर्यावरण
धैर्य रखिये आप सब,
क्यों परेशान हैं
हर बार पांच जून आएगी
भाषण सेमिनार होंगे
पर्यावरण के लिए चिंतित
पौधे लगाए जायेंगें
फ़ोटो भी खिंचेगी
पर्यावरण दिवस मना लेंगे
कम होगा तापमान
धैर्य रखें क्यों हैरान हैं ।
जरा एक पल विचारिये
पौधे जो लगे थे पिछले वर्ष
क्या हुआ उनका हश्र ।
आपने तो कर्तव्य निभाया
सोशल मीडिया पर संदेश भेजे ,
फ़ोटो लगा ली पौधरोपण की
अब और क्या कर सकते हैं,
पर्यावरण दिवस मना तो लिया
खैर जाने दें ,धीरज रखें
सब ठीक हो जायेगा
तापमान 25 पर आ जायेगा
प्लास्टिक बैग अब
आप नही ले जायेंगे
पेड़ पौधे लगायेंगे
AC कम चलायेंगे
आज ही तो सबको बताया है
क्या कहा
ओह वो दूसरों के लिए बताया है..
अपना काम कर दिया ,
पर्यावरण दिवस मना लिया
पर्यावरण ....?
©anita_sudhir -
anita_sudhir 92w
देश
एक नया परिवेश ,बदल रहा है देश
कोई कष्ट न हो शेष ,राष्ट्र ऐसा चाहिये।
समस्यायें हैं जटिल ,चालें न हो कुटिल
हो गयी आत्मा चोटिल,समाधान चाहिये ।
क्यों भूले अपने कर्म ,निभायें अपना धर्म
खोखली हुई व्यवस्था ,राष्ट्र को बचाइये ।
सबकी आन बान शान ,मेरा भारत महान
इसे सोने की चिड़िया ,फिर से बनाइये ।
©anita_sudhir -
anita_sudhir 92w
विकार
निम्न कोटि की सोच है,निम्न कोटि व्यवहार।
कष्टों का कारण यही ,मन के निम्न विकार ।
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बिछड़ गये मासूम से ,घेरे में सरकार ।
दोष व्यवस्था का बड़ा ,कैसे दूर विकार ।।
***
मिलावटों के दौर में ,रोग व्याधि भरमार ।
घृणित कार्य करते वही,मन जो रखे विकार ।।
**
©anita_sudhir -
anita_sudhir 93w
चुनाव परिणाम
दोहावली
***
लोकतंत्र के पर्व में ,जनता की है जीत।
झाँसे में आए नहीं ,निभा देश सँग प्रीत ।।
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सोच समझ निर्णय लिया,किया विपक्ष को हीन।
जनता के विश्वास से, .......गठबंधन है दीन ।।
*****
कीचड़ तुम इतना किये,खिला कमल का फूल।
केसरिया सब जन हुये,.......वंशवाद निर्मूल ।।
*******
नफरत का ये विष पिला,सोचो ये क्या पाय
परहित में विष पान कर ,महादेव कहलाय।।
********
राष्ट्र के निर्माण में ,साथ बढे जो हाथ ।
उन्नत होगा देश तब ,युगपुरूष के साथ।।
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मूल्यों पर अडिग रहे ,रखे रहे तुम धीर ।
जीवन तुम ऐसा जिये,खींची बड़ी लकीर।।
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©anita_sudhir -
anita_sudhir 93w
मूल्यों पर अडिग रहे ,रखे रहे तुम धीर।
जीवन ऐसा तुम जिये,खींची बड़ी लकीर।।
©anita_sudhir -
anita_sudhir 93w
नया कलेवर
चुनाव परिणाम की अटकलों के बीच
***
आइये सब ,कुछ नया करते हैं
अपनी ढपली अपना राग बजाते हैं
एक मुहावरे को नए कलेवर मे लाते हैं
हर बात के दो अर्थ लगाते है।
पुराना मुहावरा सबने सुना
अंधेर नगरी चौपट राजा
टका सेर भाजी टका सेर खाजा
अब नया जामा इसने पहना
अंधेर नगरी.........चौपट राजा
टका सेर भाजी ..मुफ्त मे खाजा ।
एक लोकोक्ति ,दूजा शाब्दिक अर्थ
रखता है ये ... ......मुफ्त मे खाजा
आओ मिल बजाये सबका बाजा ।
'लोकोक्ति अर्थ 'के माने ......दो
एक तो सद्गुणी ......मिलते नही
दूसरे मिलें भी .......तो कद्र नही।
सद्गुणी मिलते नहीं की...दो वजह
पहला नैतिकता का गिरता स्तर यहाँ
दूसरा व्यवस्था मे जीने मे असमर्थ यहाँ
सद्गुण की कद्र नही के कारण ......दो
पहला चाटुकारिता से आगे निकल गए
दूसरा डार्विन सिद्धान्त के माने बदल गए ।
शाब्दिक अर्थ के भी माने... दो
पहला सरकार है मेहरबान इन पर
दूसरे बिचौलिए मुफ्त में खाये हर स्तर पर ।
सरकारी योजनाएं इनके ऊपर .. दो कारण
पहला वोट बैंक मजबूत करें रहते
दूसरा गरीबी दूर करते कब अमीर होते
बिचौलिए,अफसर मुफ्त में खाते दो वजहों से
पहला भूख और हवस इनकी मिटती नही
दूसरा इन्हें अपने वतन की शान से सरोकार नही ।
अब भविष्य का नया कलेवर अपनाते है..
अंधेरी नगरी तो है .…...पर चौपट नही राजा ।
टका सेर भाजी होगी ,चार टके का होगा खाजा ।।
©anita_sudhir -
anita_sudhir 95w
बंद करो यह शोर
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अन्तर्मन में शोर है , दिल भी है बैचैन।
बंद करो यह शोर प्रभु ,सुख से बीते रैन ।।
खामोशी का शोर भी ,तोड़े नाजुक डोर ।
बात चीत से हल करो ,बन्द करो यह शोर।।
निम्न स्तरों पर आ गये, नेताओं के बोल ।
बंद करो यह शोर अब,वाणी है अनमोल ।।
जाति धर्म का शोर क्यों ,बाँट रहे इंसान ।
बंद करो यह शोर अब ,सबको दो सम्मान ।।
भीड़ वाहनों की बढ़ी ,नहीं दिखे है छोर ।
बढा प्रदूषण रोग दे ,बंद करो यह शोर ।।
©anita_sudhir -
anita_sudhir 95w
उम्र के इस दौर में सिर्फ तन्हाइयों का रैला है
जीवन के मेले में हर शख्स अब अकेला है
मूक कपि की संवेदना,दिखाता आईना समाज को
जिंदगी!शतरंज की बिसात,शह मात का खेला है ।
©anita_sudhir
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जीवन के मेले में हर शख्स अब अकेला है,
मूक कपि की संवेदना,दिखाता आईना समाज को
जिंदगी!शतरंज की बिसात,शह मात का खेला है ।
©anita_sudhir -
anita_sudhir 95w
प्रपंच
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मूल अर्थ लुप्त हुआ
नकरात्मकता का सृजन हुआ
नई परिभाषा रच डाली
प्रपंच का प्रपंच हुआ ।
पंच का मूल अर्थ संसार
"प्र" ,पंच को देता विस्तार
क्षिति ,जल,पावक ,गगन समीर
पांच तत्व का ये संसार
और पंचतत्व की काया है ।
"प्र" लगे जब सृष्टि में,अर्थ
अद्भुत अनंत विस्तार हुआ,
नश्वर काया मे प्र जुड़ कर
भौतिकता का विस्तार करे
अधिकता इसकी ,जीवन
का जंजाल और झमेला है
स्वार्थ सिद्धि हेतु लोग
छल का सहारा ले
नित नए प्रपंच रचते हैं
अनर्गल बातों का दुनिया
में प्रचार किये फिरते हैं ।
प्रपंच मूल संसार नहीं
प्रपंच माया लोक हुआ
मूल अर्थ न विस्मृत कर
प्र को और विस्तृत कर ।
©anita_sudhir -
anita_sudhir 95w
राजनीति
गायब मुद्दे हो गये,अपशब्दों का दौर।
राजनीति के खेल में,बचा न कोई छोर।।
©anita_sudhir -
anita_sudhir 96w
पानी है अनमोल
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सुख दुख दोनों में बहे ,क्यों नैनो से नीर।
आँखो में पानी नहीं , वो क्या समझे पीर ।।
गिरता धरा का जल स्तर' ,मनन करें ये बोल।
जल का संरक्षण करें , पानी है अनमोल ।।
जल बिन अन्न नहि उपजे ,जल जीवन आधार।
दोहन इसका मत करें ,पीढ़ी का अधिकार ।।
कौवा कैसे घट भरे ,मिले न जल की बूँद
मोल नीर का जानिए,आँख न रखिये मूंद ।।
पेट्रोल के दाम बिके, ऐसा दिन नहि आय।
बूँद बूँद संचय करें ,तब जीवन मुस्काय ।।
©anita_sudhir
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#jal_abhiyaan#managewater_savewaterपानी है अनमोल
सुख दुख दोनों में बहे ,क्यों नैनो से नीर।
आँखो में पानी नहीं , वो क्या समझे पीर ।।
गिरता धरा का जल स्तर' ,मनन करें ये बोल।
जल का संरक्षण करें , पानी है अनमोल ।।
जल बिन अन्न नहि उपजे ,जल जीवन आधार।
दोहन इसका मत करें ,पीढ़ी का अधिकार ।।
कौवा कैसे घट भरे ,मिले न जल की बूँद
मोल नीर का जानिए,आँख न रखिये मूंद ।।
पेट्रोल के दाम बिके, ऐसा दिन नहि आय।
बूँद बूँद संचय करें ,तब जीवन मुस्काय ।। -
anita_sudhir 96w
सायली छन्द
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द्रवित
गरीब व्यथित
अभाव से ग्रसित
दिवस श्रमिक
आक्रोशित
जनसैलाब
नारकीय जीवन
चोटिल तन मन
भ्रष्ट लोकतंत्र
जीवनमंत्र
गंदगी
लंबी कतार
चौपाये की भरमार
पढते अखबार
लाचार
योगदान
राष्ट्र निर्माण
जीवन के आधार
सम्मान के
हक़दार।
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राष्ट्र निर्माण
जीवन के आधार
सम्मान के
हक़दार।
©anita_sudhir -
anita_sudhir 96w
बाल मजूरी कर रहे , सब जाने अपराध ।
शिक्षा छोड़ विवश हुये ,घेरे माँ को व्याध।।
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बाल मजदूर विवश होता है ।
©anita_sudhir -
anita_sudhir 96w
श्रमिक दिवस
दो पैसे की चाह में, छोड़े अपना गाँव ।
दर दर ठोकर खा रहे ,पेड़ तले है ठाँव।।
कड़ी धूप मे श्रम करें ,थक कर होते चूर ।
शहरों के फुटपाथ पर ,सो जाते मजदूर ।।
हाड़ माँस पुतले बने ,चिपक पेट अरु पीठ ।
घर खरचा कैसे चले , नींद न लेते मीठ ।।
उचित मोल इनको मिले , तो सुधरे हालात।
नेता सब वादे करें , पूरी करें न बात ।।
श्रमिक दिवस में आज भी ,वैसे ही मजबूर ।
अवकाश सब मना रहे ,काम उसे मंजूर ।।
राष्ट्र के निर्माण में ,अद्वितीय योगदान।।
कर्तव्य निर्वहन करें ,दे इनको सम्मान ।
कारखाना !जीवन ये , हम सब हैं मजदूर।
परिश्रम का महत्व समझ,करें काम सब पूर ।।
©anita_sudhir
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दोहावली
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दो पैसे की चाह में, छोड़े अपना गाँव ।
दर दर ठोकर खा रहे ,पेड़ तले है ठाँव।।
कड़ी धूप मे श्रम करें ,थक कर होते चूर ।
शहरों के फुटपाथ पर ,सो जाते मजदूर ।।
हड्डी का ढांचा बने ,सटे पीठ अरु पेट।
घर खरचे की सोच मे , रहते भूखे पेट ।।
उचित मोल इनको मिले,तो सुधरे हालात।
नेता सब वादे करें , पूरी करें न बात ।।
श्रमिक दिवस में आज भी ,वैसे ही मजबूर ।
अवकाश सब मना रहे ,काम उसे मंजूर ।।
©anita_sudhir -
anita_sudhir 97w
नेता
नेता खाना खा रहे ,घर गरीब के आज ।
भाव यही प्रतिदिन रहे,उन्नत होय समाज।।
©anita_sudhir -
anita_sudhir 97w
आज के प्रतिस्पर्धात्मक युग मे बच्चों को सामान्यतया घर के बाहर अच्छे भविष्य के लिए जाना ही पड़ता है ।माता पिता अकेले रह जाते है ये कटु और मधुर सत्य है। आवश्यकता है परस्पर विश्वास स्नेह और सहयोग से घर के खूबसूरत एहसास को बनाये रखने की ।
इस नाजुक विषय को घर और माँ के वार्तालाप और सवाल जवाब के माध्यम से दिखाने का प्रयास किया है
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ईंट गारे की दीवारों में ख़्वाब को सजाया था
जद्दोजहद के साथ इस मकान को बनाया था
प्यार ,विश्वास एहसास की सतरंगी चूनर से
मकान को अपना खूबसूरत घर बनाया था ।
अकेला देख मुझे,दिल पर वार करता है
चुभती निगाहों से, ये घर पूछ लिया करता है
तुम्हारे नीड़ के पंछी एक एक कर उड़ गए
ढूँढती उनके सामानों में तुम्हें तन्हा कर गए।
तन्हा नहीं मैं ,पल पल साथ रहते वो मेरे
घर के हर कोने मे अपने अहसास बिखेरे
उड़ने को आसमान हमने ही दिया उन्हें
उन्मुक्त गगन में वो ऊंची उड़ान भर रहे ।
स्वार्थवश हम उनके पंखों को क्यों काटे
संस्कार के बीज पड़े वो अपनी जड़ों से जुड़े
हमारे सपनों को पूरा कर नया आयाम दे रहे
और अपना जीवन भी अपने सोच से जी रहे ।
जवाब मेरा सुन , घर सुकून से भर गया
कहने लगा ,आशय तुम्हें चोट पहुँचाना नहीं ,
तुम्हारी ही तपस्या से मै सजीव घर बना हूँ,
निश्चिन्त हुआ ,अस्तित्व मेरा यूँ ही बना रहेगा ।
©anita_sudhir -
anitasinghanitya 100w
वैसे आमतौर पर मैं अपनी रचनाओं में कैप्शन नहीं लिखती हूँ बहुत हुआ तो 2-4 पंक्तियाँ कभी कभी लिख देती हूँ क्योंकि मेरा मानना है रचना वह जो पढ़ने पर अपना कथ्य स्वयं ही स्पष्ट कर दे!
परंतु आज कैप्शन लिख रही हूँ
हिंदी लेखन जी ने महाभारत के पात्र कर्ण पर लिखने के लिये हम सब को प्रेरित किया था।काफी लोगों ने सुंदर कविताओं व लेखों के माध्यम से अपने विचार प्रस्तुत किये ।पढ़कर बहुत अच्छा लगा सभी साधुवाद के पात्र हैं।
कोई भी मनुष्य किसी भी पात्र का अपनी बुद्धि और समझ से अलग अलग तरीके से विवेचना या आँकलन करता है।सही -गलत हम किसी को ठहरा नहीं सकते।सब के अपने अपने विचार हैं।मैं सभी का सम्मान करती हूँ।
महाभारत काल में जाति प्रथा निश्चित तौर पर थी ।तभी कर्ण एवं एकलव्य को गुरु रूप में द्रोणाचार्य न मिल सके।द्रोणाचार्य ने एकलव्य को महान धनुर्धर बनने से रोकने के लिये उसका अँगूठा तक गुरु दक्षिणा में माँग लिया था ताकि वे अर्जुन को विश्व का महान धनुर्धर बना सकें।।सत्यवती यदि राजमाता बनी तो केवल कामांध शांतनु के कारण बनी क्योंकि राजा जो चाहे कर सकता था नियम कानून से ऊपर राजा को माना गया है। योग्य होते हुए भी गंगा पुत्र को भीषण प्रतिज्ञा लेनी पड़ी ।पक्षपात कल भी विभिन्न रूपों में होता आया है और आज भी।
कर्ण को शिक्षा प्राप्त करने के लिये परशुराम जी से झूठ बोलना पड़ा क्योंकि वो भी सिर्फ ब्राह्मणों को ही शिक्षा देते थे। कर्ण को आजीवन पक्षपात की पीड़ा सहनी पड़ी।उसका जीवन सरल नहीं था हर पल अपमानित होना पड़ता था।द्रौपदी ने भी सूतपुत्र होने के कारण उससे विवाह के लिये इंकार किया था जबकि वो आसानी से प्रतियोगिता जीत सकते थे। उसके बावजूद उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई।जिसकी आज मिसाल दी जाती है।
मेरी दृष्टि में महारथी कर्ण एक महानायक थे और सदैव रहेंगें।
अधिक न कहकर मैं आपके समक्ष अपनी कविता रखना चाहूँगी।मेरे विचारों से कोई भी असहमत या सहमत हो सकता है।ये मेरे निजी विचार हैं।
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वरदान से जन्म मगर लोक लाज की शर्म
शापित हुआ जो बालक,वह कर्ण है!
सूर्य का अंश था,दमकता हुआ भी
अंधकार में डूबा जिसका जीवन,कर्ण है!
कभी सूत पुत्र,कभी राधेय,कभी कौन्तेय
कभी कहलाया अंग राज,वह कर्ण है!
मित्रता और समर्पण पर जो सदैव अडिग
हिमालय की तरह रहा वह कर्ण है!
नारायण भी जिसके समक्ष भिक्षु बने
दानवीर कहलाया परमदानी कर्ण है!
ज्ञान था धर्म का मगर अधर्म के साथ खड़ा
फिर भी अधर्मी न कहलाया,कर्ण है!
गुरु के प्रति समर्पण ही जिसका श्राप बना
सहर्ष स्वीकार किया श्राप,वही कर्ण है!
जिसे बोध था ज्येष्ठ होने का,दे गया जीवन
निज भ्राता को,धर्म निभा गया वो कर्ण है!
आज भी धरा पर वीरों के त्याग औ बलिदान
की मिसाल बना वही तो कर्ण है!
चरित्र का संयम भीष्म के बाद जिसने दिखाया
पूरे महाभारत में वही कर्ण है!
अतिश्योक्ति न होगी मेरी वाणी में यदि मैँ कहूँ
राष्ट्र के जनमानस में बसा कर्ण है!
न हुआ आज तक उस जैसा,विकट परिस्थितियों में जो डटकर खड़ा वही कर्ण है!
©anitasinghanitya
जी आप सब का हार्दिक आभार