Raah mil jaati hai akele manzil dhundhne mein,
Bheed ne to hamesha gumraah hi kiya hai
©baljeet_maan
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baljeet_maan 2d
Remember always, you need to make your own paths and achieve your goals, don't rely on someone for your dreams
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saif_azam 3d
शराब से शब-ए-ग़म को बहलाया जाए,
आग लगती है गर दिल मे तो आग लगाया जाए...
क्या करिए हो गर की याद-ए-यार की कैद,
किस गोशा-ए-कफस मे 'आज़म' के जाया जाए...
जिन्दगी है के किसी ख्वाब की ज़िन्दगी,
अपनी ही लाश को आदमी ऊठाया जाए...
सर-ए-बाम कोई चराग़ान रौशन करदो,
अपने घर न सही हमसाए के घर तो साया जाए...
बेदिली ही सही याद तो रहती है वो सूरत,
जिसको हम न भूल पाए न भूलाया जाए...
©saif_azam -
saif_azam 2w
मिरी ज़िन्दगी खुद मुझपे इक बला बन जाएगी,
मुहब्बत एक रोज़ को करबला बन जाएगी...
©saif_azam -
ms_shayara 2w
Seene mei khwaabo ka jahaan liye...
Meethe se dard ka pura aasmaan liye..
Honthon pr surkh hassi ka farmaan liye..
Aankhe bhar aayi thi bs tera ek khyal soch kr hi.
~ Nancy Uppal
©ms_shayara -
saif_azam 3w
नूर-ए-नज़र था शोला-ए-तूर था,
हर शय में तेरा ज़र्रा-ज़ुहूर था...
तुझसे अहद-ए-वफा की थी उम्मीद,
गो तिरी बे-वफाई का ईल्म ज़ुरूर था...
महफिलों ने 'आज़म' को रूसवा किया,
शायर जो आशारों में मशहूर था...
ख्वाब थे सारे रेज़ा-रेज़ा अपने,
हकीकत हकीकत से कुछ दूर था...
©saif_azam -
saif_azam 3w
कोई अपना न हुआ कोई अपना न रहा है,
ईलाही खैर के ये क्या माजरा है...
क्या गरज़ गर के कोई बेवाफा निकले,
ज़माने मे अक्सर यही होता रहा है...
हम के समझ बैठे थे दुनिया जिसे,
वो धोख़ा है और हमको धोख़ा रहा है...
आते-आते शाम-ए-हयात कौन अपना रहा है,
आदमी खुद अपना ही सहारा रहा है...
किसी को सब कुछ हासिल किसी को चैन मुश्किल,
ज़माने मे फिरका कितना गहरा रहा है...
सफर मे हो क्यूकर न परेशानियां मुझको,
मेरे दश्त मे अक्सर कोई सहरा रहा है...
बंद करली आखें तो 'आज़म' सब थे ख़ामोश,
ज़िन्दा थे तो हर किसु को गिला रहा है...
©saif_azam -
saif_azam 3w
मेरे आशरों से कुछ फी निकलती है,
मेरे ज़ाईचे से जाना ज़िन्दगी निकलती है...
सिगरेट है और एक मैं हूं,
लम्हा-दर-लम्हा जान मिरी निकलती है...
तुझको यकसर भूल गया हूं मैं,
लब पे फिर क्यूं ये हंसी निकलती है...
सियाह रातों का मंज़र अक्सर हसिंन होता है,
सियाह रातों को पूर-नूर चांदनी निकलती है...
हम खानाबदोशों का यही हासिल है 'आज़म',
हमसे ही सादगी-दर-सादगी निकलती है...
©saif_azam -
saif_azam 3w
विरान, खामोश, सियाह, सुनसान ज़िन्दगी,
तू मिरी जान है मिरी जान ज़िन्दगी...
हक तो ये है कि सांस चलती है नब्ज़ ज़िन्दा है,
हकीकत ये है के हो जैसे कोई एहसान ज़िन्दगी...
हम के रहनेवाले हैं उस उजड़ी हुई दिल्ली के जहाँ,
बच्चे भूखे हैं, सडकों पे दौडती हैं बेजान ज़िन्दगी...
है अपनी ही कमी के हम आदमी न हुए,
बिकते हैं सब यहाँ हुस्न, प्यार, यार, इमान ज़िन्दगी...
हयात-ए-आफताब बाम-ओ-दर पे है अपने 'आज़म',
और होगें जहाँ के रखवाले जवान ज़िन्दगी...
©saif_azam -
saif_azam 3w
ज़ुल्म होगा तो कलम कि याद आएगी,
हर दौर मे एक 'आज़म' कि याद आएगी...
अब तक यह आरज़ू हम लिए फिरते थे,
के किसी रोज़ तो दिल-ए-खुश-फहम कि याद आएगी...
हर कोई अपने ही ग़म मे जिता है मरता है,
है किसे फुर्सत के हमारे ग़म कि याद आएगी...
आज बोलता हूँ तो लाग तोहमतें हैं मुझपे,
कल तुम्हें भी ए हम-दम 'आज़म' कि याद आएगी...
©saif_azam -
saif_azam 4w
अन्दोह कि इज़दिहाम मे मैं अकेला रह गया,
हर शख्स खामोश था और मैं बोलता रह गया...
©saif_azam -
akd_shokeen 4w
रोटी खोजने निकले जो मिट्टी को छोड़ गए।
शज़र जैसे मानो अपनी जऱ को छोड़ गये।
सुख अब कोई भी हमको पूरा नहीं पड़ता,
वतन में बूढ़ी आंखों को नम जो छोड़ गए।।
*
सहारा ले के चलते हैं खुद भी टकराते हुए।
वतन में विर्से की लाठी को जो टूटा छोड़ गए।।
*
नया घर है फिर भी उसमें पानी रिस्ता है।
अपनी छत में दरार को बढ़ता जो छोड़ गए।।
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©akd_shokeen -
akd_shokeen 4w
उनके रंग अभी गाढ़े हैं हमारे फीके पड़ गए
हमारे फरिश्ते निकले तो थे न जाने किधर गए
ना इश्क मुकम्मल हुआ ना नमाज मुकम्मल हुई
ना खुदा मिला ना सनम ही मिला हम दरबदर गए
*
नाम हमारा ऐसा उछला की कचहरी से पैगाम आया
अब तक कटघरे में खड़े हैं हम मुंसिफ दसियों बदल गए
*
उधर दरिया के बहाव में मेरा घर उजड़ गया
इधर बरसात के इंतजार में कितने मौसम गुजर गए
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©akd_shokeen -
akd_shokeen 4w
अपने कलम की नोक पे अपनी तबाही रखूं
बस इल्म ही रखूं साथ अपनी यही कमाई रखूं
नस्लें कहीं आगे सच की आग ना भूल जाएं
और कुछ न रखूं तो एक चिंगारी जलाए रखूं
©akd_shokeen -
akd_shokeen 4w
दिल का रकबा घेर के बैठी है जगह ही कर
जो वफा करने की चाह नहीं तो दगा ही कर
ज़हमत नहीं करनी जो दिल आबाद करने की
तू और कुछ कर न कर मुझे तबाह ही कर
©akd_shokeen -
saif_azam 5w
बाद मिरे वो ये कहा करते हैं,
जाने वाले दिल मे रहा करते हैं...
किसी मुसव्विर का ख़्वाब हो जैसे,
उसके बदन को हम यूं तराशा करते हैं...
साकी की हर जाम के बाद,
हाय! किस अदा से हम तौबा करते हैं...
हम ना आए नज़र तो देखना उसको,
किस कदर मुझको वो ढूंढा करते हैं...
हम के दिल बुरा नही करते,
तिरी हक मे अक्सर के दुआ करते हैं...
इक ख़ता की सज़ा कोई क्या उठाए ता-उम्र,
वो अक्सर हमसे यही गिला करते हैं...
'आज़म' को इस शहर मे जानता है कौन,
दिल्ली मे वो यूहीं घूमा करते हैं...
©saif_azam -
akd_shokeen 5w
उसने शादी रचा ली है रकीब से,
मेरे यार अफवाह फैलाये जा रहे हैं।
मेरे इश्क ने अपने इश्क को चुना है,
रक़ीब तो यार हम बनाए जा रहे हैं।।
©akd_shokeen -
akd_shokeen 5w
की में किधर से गुजरूं किधर को जाऊं
मैं आज ऐसा बिगडुं फिर संभल ना पाऊं
की परछाइयों में ये रात गुजरे,
तुमने छू लिया है में कहीं बिखर न जाऊं।।
©akd_shokeen -
saif_azam 6w
ज़ौर-ओ-ज़ब्र-ओ-ज़ुल्म-ए-ज़िस्त से क्या तकराना,
हारना है हार जाना...
सियाह ही सियाह है हर सम्त,
हम ख़ानाबदोशों का आशियाना...
यह जो सब कुछ है बस के एक तसव्वर है,
है यह सब बस के एक ख़वाब-ए-शायराना...
देखता हूँ तो देखता हूँ बस के तनहाई,
बज़्म मे भी कितना तन्हा है ज़माना...
है मुझको 'आज़म' जो सबसे अज़ीज़,
है के गोया वो उसका मुसकुराना...
©saif_azam -
unendingly
Tu jaan toh meri aa si ❤
©gyatri2 -
saif_azam 7w
अब मैं हूँ और मातम-ए-यक-शख्स-ए-आरज़ू है,
यह क्या तदबीर है ज़ाहिद ये क्या नक्श-ए-आरज़ू है...
©saif_azam
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