बाहर शोर बहुत है,
पर अरसे बाद मेरे अल्फ़ाज कहीं घूम है,
लगा कि यू़ँही खामोश रहने में बेहतरी है,
गिला करे भी तो किसे और क्यों करे,
कोई सवाल भी तो करने नहीं आया,
तकलीफ होती है जब अपनो के रवैयें में तबदीली
आ जाती है,
मानो यहां लोग अपना बनाकर गैर बन जाता है !!
-merikhamoshkalam
-snehbiruli
#writingheart
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sneh0907 14w
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chandansharma__ 23w
प्यार की चुंदरी ओढ़ ली!
दिल ने तो आग ही ओढ़ ली!
थी कई बातें कहने को पर!
होठ ने ख़ामोशी ओढ़ ली!
ज़िंदगी जब सताने लगी!
ये किया शाइरी ओढ़ ली!
है नई बात ये इनदिनों!
ग़म ने संजीदगी ओढ़ ली!
मरते मरते बचे बारहा!
मौत ने ज़िंदगी ओढ़ ली!
मुझ को आँसू छिपाने थे सो!
मैंने उसकी हँसी ओढ़ ली!
उस प फिर रब भी मरने लगा!
उस ने जब सादगी ओढ़ ली
हिज्र था गमज़दा पहले फिर!
हिज्र ने बेबसी ओढ़ ली!
©चन्दन शर्मा "जाज़िब"
©chandansharma__ -
sneh0907 31w
यहाँ लोग मशरूफ इतने हो गए हैं,
कि हम पहल न करे..
तो आगे से भी कोई कुछ नहीं कहता..
कितना अजीब सा हो जाता है सब,
जाना हुआ चेहरा एक बार फिर से अंजान बन जाता है..
खूब कहा है वक्त के साथ सब बदल जाता है,
और ये कहने में कोई गलत नही
कि मौसम के साथ लोग भी बदल जाते हैं!!
- merikhamoshkalam
-snehbiruli -
sneh0907 32w
उस गुज़रती हवा ने आखि़र मुझसे पूछ ही लिया..
जिसका रोज़ खुले आसमान के नीचे खड़े
शिद्दत से इंतजार रहता है,
क्यूं चेहरे में हल्की-सी मुस्कुराहट और
आँखें छलक क्यों उठती हैं तुम्हारी?
कैसे बताऊँ जिसका दीदार हुए बरसों
बीत गए ,
सुकून सा महसूस होता है जब ये
हवा उसे छू मुझसे हो गुज़रती है,
सामने न हो कर भी उसके करीब होने का
एहसास दे जाती हैं !!
-merikhamoshkalam
-snehbiruli -
sneh0907 33w
एहमियत का अन्दाज़ा क्यूँ नहीं होता
किसी के होने पर,
क्यों लोग नज़र फेर लेते हैं
उसके हालात खराब होने पर,
फिर अचानक यूँ होता है उसके
जनाजे़ पर वही लोग आँसू बहाने लगते हैं,
आखिर क्यों??
मानो जाते-जाते भी उस पर इक एहसान करने लगते हैं!!
-merikhamoshkalam
-snehbiruli -
sneh0907 34w
ये कैसा दस्तूर है
जिंदगी का,
क्यूं इंतजार रहता है
जिसके आने का कोई रास्ता नहीं होता,
क्यों हमसे हमारा करीबी अपना
ऐसे ओझल हो जाता है?
दोबारा आँखें खोलो भी
तो वो आपको नज़र नहीं आते ।।।।
Love you papa❤
- merikhamoshkalam
- sneh biruli -
sneh0907 66w
अनजान सा है तू
पर क्यों अपना सा लगता है,
दूर होकर भी क्यों करीब
होने का एहसास देता है तू,
ऊपर वाले का कुछ तो
इरादा होगा,
भला यूँही नहीं ठकराए होंगे
हम मुकद्दर में ।
-Sneh Biruli
-merikhamoshkalam -
sneh0907 67w
"राम कौन? "
मेरा पुतला जलाना व्यर्थ है..
जब तुम सबमें मेरा वास हैं,
दहन करके मेरा
सब ने खुशी बाँट ली,
पर दहन करने से पहले
खुदसे सवाल न पूछा,
बुराई तो सबमें हैं
तो मेरा अकेले का दहन क्यों?
काश! मैं बोल पाता
तो पूछता तुम सबमें राम कौन?
-Sneh Biruli
--merikhamoshkalam -
sneh0907 67w
ज़माना मत पूछ नाम उसका..
जिनसे हमें मोहब्बत है,
तौहीन होगी मेरे मोहब्बत की..
महफिल में नाम उसका लेना,
यूँही तन्हा नहीं छोड़ा उसने..
कुछ न कुछ मज़बूरी रही होगी उसकी ।
-Sneh Biruli
--merikhamoshkalam -
sneh0907 67w
"लाचार हूँ मैं "
रोम रोम मुझे चीरने वाले,
मेरे ज़िस्म को नोचने वाले,
तुम खुदको मर्द कहते हो,
मेरे चरित्र को मैला करने वाले,
मेरे दामन को नंगा करने वाले,
तुम खुदको मर्द कहते हो,
कैसा मर्द है तू?
जिसकी मर्दांगी सिर्फ यही निकलती है,
तुझे जन्म देने वाली माँ भी
तुझपर थू करती होगी,
तुझ जैसे हैवान को जन्म देकर
खुदको कौसती होगी,
तेरे घर में कोई औरत नहीं?
जो दुसरे कि बहन व बेटी पर नज़र होती है,
एक-दो दिन आंदोलन कर
लोग क्यू भूल जाते हैं?
क्यों मुझे समाचार का पात्र
बनाकर खत्म कर देते हैं?
मुझे सरेआम नंगा करके इन
दरिंदो को शर्म न आई,
क्यों ऐसे हैवान को सज़ा देने से पहले
कानून का दरवाज़ा खटखटाना होता है?
समझ ना आएँगी इन दरिंदों
को ये बातें,
जब तक इनको नंगा कर
सरेआम नहीं लटकाया,
मेरी चीख किसी को
सुनाई न देगी,
कल मेरी जगह कोई ओर
किसी की बहन व बेटी सुली चढ़ेगी।
-Sneh Biruli
--merikhamoshkalam -
sneh0907 68w
तेरा खामोश होना कहीं
मुझसे दूर जाने का इशारा तो नहीं,
तेरा इज़हार करना कहीं
अकेलेपन दुर करना तो नहीं,
अगर दूर जाना ही था
तो दूर से पास आए क्यों?
मोहब्बत है तुम्हें मुझसे यह
कहकर मेरा दिल दुखाया क्यों?
- Sneh Biruli
-merikhamoshkalam -
sneh0907 68w
नहीं पूछता है कोई
इंसान की मौजूदगी में,
यूँही नहीं आँसू बहाते लोग
उसके जनाजे के उठने पर,
अहमियत बढ़ जाती है
इंसान के चले जाने पर
- Sneh Biruli
-merikhamoshkalam -
sneh0907 68w
अक्सर लोग किचड़
उन्हीं पर उछालते हैं,
जिनका दामन बेदाग
होता है,
परवाह न कर लोगों
की कहीं बात पर,
चर्चाए लोग उनकी करते है
जिनका नाम होता है ।
- Sneh Biruli
-merikhamoshkalam -
sneh0907 69w
बच्चों सा समझ लिया था तूने मुझे
इसलिए तेरे हर फरेब पर यकीन कर बैठी,
ख्वाब सँवारने लगी थी
तेरे बनावटी प्यार में,
क्या पता था तूने भी
चेहरे के आगे मुखौटा पहना है,
तू भी छोड़ चला जाएगा
हर मुसाफिर की तरह,
एक जाना हुआ चेहरा
फिर से अंजान बन जाएगा।।।।
- Sneh Biruli
-merikhamoshkalam -
sneh0907 69w
भ्रम ही तोड़ा मेरा
इस भीड़ ने,
नहीं है तेरा कोई
अपना यहाँ,
रुबरू हुई जब थी
अकेले खड़े इस भीड़ में ।
- Sneh Biruli -
sneh0907 69w
"अपने गैर "
जिनका सहारा लेकर तुमने आगे
कदम लेना सीखा,
तुम्हारी आँखों की रोशनी बन
दुनिया की पहचान कराई,
जिन्होंने तुम्हारी जि़द पुरी
कर अपनी खुशी पाई,
जो खुद भूखा रहकर जिन्होंने
तुम्हारा पेट का सोचा,
आज वही माँ-बाप को बोझ समझ
वृद्ध आश्रम छोड़ आए,
जिनका तुमने लाठी बनना था
आज उन्हें ही बेसहारा कर दिया,
माँ के कोख में नौ महीने रह व
पिता के पसीनों का यही सिला दिया,
कोसते होंगे खुदको
इससे बेहतर बेऔलाद ही होते,
जब बच्चों ने ही कर दिया पराया,
आँखों के तारों को खटकने
लगे हैं ये माँ-बाप,
क्या बड़ा मांगा था तुमसे
जो इन्हें बेघर कर दिया,
कहते है जंक लगी चीजों की
घर में कोई जगह नहीं होती,
जिन्हें तुम बच्चों ने जंक
समझ निकाल दिया,
कैसे बताऊँ तुम नासमझ व
दौलत में अंदे बच्चों को,
माँ-बाप एक अनमोल देन है और
इससे कीमती दौलत इस संसार में नहीं,
तू दौलत में अंदा
समझ न आएगी ये बातें,
मत भूल जो जैसा बोयगा
वही वैसा पाएगा,
आज तूने एेसा किया है
कल तेरे साथ भी एेसा होगा ।।
- Sneh Biruli -
sneh0907 70w
मुझे तेरे होने की
आदत सी हो गई थी,
सहम जाती थी तेरे
दूर होने के ख्याल से,
ठिकाना न था खुशी का
कि दूर होकर भी साथ थे,
पर क्या पता था
वह एक हकीकत नही ख्वाब था !!
- Sneh Biruli -
sneh0907 70w
मीठा बोलने वाला हर शख्स
अपना नहीं होता,
हर शख्स बात करने वाला
दोस्त नहीं होता,
सुना है हर गिरगिट के रूप
में इंसान रंग बदलता है ।।
- sneh biruli -
sneh0907 70w
यहाँ औकात जेब से भरे
पैसे ही तय करते हैं,
वरना इंसान तो वह भी है
जिनके घर नहीं होते ।।
-Sneh Biruli -
sneh0907 70w
" आज का इंसान "
जहाँ लोग चेहरे के रंग में फर्क करने लगते हैं...
अगर इंसान गोरा है तो सब अच्छा कहते है,
वही दूसरी ओर रंग काला है तो लोग उसकी निंदा या चिड़ाने लगते,
वह होता है इंसान ।
जहाँ लोग एक-दूसरे को पतला व मोटा कहने से नहीं थकते...
वह होता है इंसान ।
जहाँ लोग छूत व अछूत में फर्क करने से नहीं कतरातें...
वह होता है इंसान ।
जहाँ लोग अंतरजातीय विवाह का विरोध करते है...
अगर समाज से विरुद्ध होकर शादी की तो
उसका दुष्परिणाम उस लड़की या लड़के के साथ वही इंसान करता है,
वह होता है इंसान ।
जहाँ लोग अमीर व गरीब में भेदभाव करना नहीं भूलते...
अमीर है तो इंसान उसकी पूजा करता है जैसे भगवान,
वही अगर गरीब है तो उसका अपमान, निंदा,
वह होता है इंसान ।
इंसान ही इंसान को को पहचानना भूल गया है...
और कहता है मैं इंसान हूँ ।।
- Sneh Biruli