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खुद से खफा करा कर ही माने...
तुम हमें तुम बना कर ही माने...
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Part-2
यहां से मेरी हवाई यात्रा पढ़ना शुरू करें...
अपनी हवाई यात्रा संपन्न करने के बाद मैं उदास चेहरा लेकर घर वापस आ ही रही थी तभी अक्षत फिर से मेरे सामने आ गया। उसे ऐसे देखकर एक बार को मुझे लगा, कि कहीं उसे ये सब पता तो नहीं चल गया फिर मैंने सोचा ये तो वहां था ही नहीं, इसे कैसे पता होगा,क्या हुआ क्या नहीं। इसलिए मैंने अपने चेहरे का नक्शा सुधारा और मुस्कुराते हुए आगे बढ़ने लगी। तभी अक्षत ने मुझे रोकते हुए बोला।
अक्षत:- मैंने सुना है तू हवाओं से बातें करने के बहाने बुढ़िया अम्मा से वार्तालाप करने गई थी।
आयत:- क्या...? क्या बोल रहा हैं। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।
अक्षत:- अरे अरे अब समझ आएगा भी क्यूं, फिर भी कोई बात नहीं मैं तुझे सब समझा दूंगा।
आयत:- क्या समझा देगा अब भोंक भी ले।
अक्षत:- यहीं की तू हवाई जहाज भी उड़ाने लगी है, और उसकी लैंडिंग तू अम्मा की खाट पर करती हैं (ज़ोर से ठहाका लगाकर हंसते हुए)।
पहले मैंने सोचा इसे कैसे पता चल गया सब... फिर मुझे याद आया पड़ोसी नाम की भी कोई चीज़ होती हैंइसलिए मैं बिना कुछ कहे वहां से चली गई । क्यूंकि इस समय चुप रहना ही मेरे लिए बेहतर था।
अगली सुबह फिर मैं हवाई यात्रा के लिए निकली। पर आज मैंने सोच लिया था कि अम्मा की दुकान वाले रास्ते पर नहीं जाऊंगी। मैं अलग रास्ते पर ही साइकल चला कर वापस आ जाउंगी। और मैंने ऐसा किया भी। पर ये क्या अचानक मेरे दिमाग़ की बत्ती जली और उसमे खयाल आया अगर मुझे अच्छे से साईकल चलानी हैं तो मुझे सभी रास्तों पर साईकल चलानी आनी चाहिए। मन में सोचते हुए (मान ले आयत अगर तुझे कहीं जाना हो और वहां भी ऐसा ही ढलान वाला रास्ता हो, तो क्या वहां भी तू गिर के ही ब्रेक लगाएगी... और वहां तो अम्मा की दुकान भी नहीं होगी साइकल रोकने के लिये)। बस फिर क्या था मैंने अपना हवाई जहाज अम्मा की दुकान की ओर मोड़ दिया।हवाई यात्रा ✈️
मैं आगे बढ़ रही थी।आज अम्मा भी दुकान पर बाहर ही बैठी थी ।मैंने मन में सोचा आज अम्मा की दुकान से चीज़ भी खरीद लूंगी अम्मा ख़ुश हो जाएगी और कल की बात भी भूल जाएगी। मैं ये सोचते हुए आगे बढ़ ही रही थी की फिर वही ढलान आयी और मेरे दिल की धड़कने बढ़ गई।मैंने डरते-डरते साइकल आगे बढ़ा दी पर फिर वही अरे अरे रुक जा... नहीं-नहीं....मम्मी...धड़ाम....अब की बार साइकल खाट में नहीं अम्मा की कुर्सी से जा भिड़ी जिस पर वो बैठी थी। और अम्मा आधी बैठी और आधी लेट गई।
मेरे साथ वही हुआ। मैं फिर से गिरते गिरते बच गई। पर अम्मा...
अम्मा:- छोरी आज तो तूने मुझे मार डाला... अरी कौन से जन्म का बदला लेने आई है मुझसे । रोज़ ये हवाई जहाज मेरी छाती पर लाकर दौड़ाती हैं। (मेरा हाथ पकड़ते हुए गुस्से में बोली)चल अब तू आज तो तेरी दादी से तेरी शिकायत करूंगी। तेरा रोज का काम हो गया है कल तो मेरा सामान गिराया था आज मुझे ही गिरा डाला ।
मैं:- अम्मा माफ़ कर दो। मैंने जानबूझकर ऐसा नहीं किया गलती से हो गया। फिर से ऐसा नहीं करूंगी। (रोते हुए)
अम्मा:- चुप कर । कल भी तू यही बोल कर बच गई थी। आज मैं तेरे इन टसूओ से नहीं पिघलने वाली। (मुझे खीचते हुए ले जाने लगी)।
मैं:- अम्मा माफ़ कर दो। (पर अम्मा तो जैसे कुछ सुनना ही नहीं चाहतीं थी)तभी मेरे दिमाग़ की बत्ती जली और उसमे जो आया मैंने बोल दिया। अम्मा ये सब करने को अक्षत ने कहा था। उसी ने बोला था ऐसा कर।
अम्मा:- ये छोरा कौन है। और ऐसा क्यों बोला उसने।
मैं:- अम्मा उसी ने बोला था तुझे अच्छे से साईकल सीखनी हैं तो इस रास्ते पर ही प्रैक्टिस किया कर। मैंने उससे बोला भी कि मैं यहां गिर जाती हूं। साइकल नहीं रोक पाती तो उसने कहा कोई बात नहीं अम्मा की खाट के पाय में साईकल अडा कर रोक लिया कर। मैंने उससे बोला कि अम्मा की खाट टूट जाएगी तो उसने कहा कि नहीं टूटेगी बोहोत मज़बूत खाट हैं उस बुढ़िया की।(मासूम चेहरा बनाते हुए)ऐसे ऐसे बोल रहा था वो
मेरी साज़िश कामयाब होती हैं या नहीं इसके लिए आपको आगे कहानी पढ़नी होगी -
in_my_heart 4d
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यहां से मेरी हवाई यात्रा पढ़ना शुरू करें...
ये कहानी मेरे बचपन की है... उस वक्त की जब मुझे साइकल चलाने का भूत सवार हुआ था। और इस साइकल ने एक इन्सान..... अरे नहीं नहीं... दो इन्सानों का जीना हराम कर दिया था....!
बचपन से मेरा बस एक ही दोस्त था। अक्षत ❤️
प्यारा सा ... न्यारा सा... सांवला... सलोना...थोड़ा सा शर्मीला भी था। और उसकी सबसे खास बात मेरे लिए ये थी, कि आज तक वो मुझसे कभी गुस्सा नहीं हुआ।कभी सोचती हूं तो ये बात तो बोहोत अजीब लगती हैं... ऐसे कैसे हो सकता हैं कोई इन्सान कभी किसी से गुस्सा ना हो। पर वो तो ऐसा ही था।।
उस पर हक मैं ऐसे जताती थी... जैसे मैं उसे खरीद कर लाई हूं। ये मैं नहीं कह रही बाकी सब कहते थे...
मुझे साइकल सीखनी थी... और आप सब समझ ही गए होंगे मुझे साइकल सिखाने का ज़िम्मा किसने लिया...
उस टाइम मुझे साइकल का इतना भूत सवार था कि मैंने उसका खाना... पीना... सोना... सब हराम कर दिया था।बस जब मन करता था खींच लाती थी उसे उसके घर से और मजे की बात ये हैं आंटी भी कुछ नहीं कहती थी। बस यहीं कहती थी,अक्षत जा आयत आयी हैं तुझे बुलाने जा अपनी ड्यूटी पर ।खाना तो तू बाद में भी खा सकता हैं... पहले उसे साइकल सिखा... और हम निकल पड़ते थे साइकल चलाने ... मैं साइकल चलाया करती थी और अक्षत मुझे और मेरी साइकल को संभाला करता था।
अक्षत ने अपनी ज़िम्मेदारी पूरी मेहनत और ईमानदारी से निभाई। इतनी ईमानदारी के साथ कि हमारा ट्यूशन हमारे घर से चार घर छोड़कर था, पर वहां भी हम दोनों साइकल से जाते थे। हां ये बात अक्षत को अच्छी नहीं लगती थी। पर वो बेचारा मेरे आगे लाचार था...! उस समय अक्षत साइकल गुरु के नाम से प्रसिद्ध हुआ था। और ये तो होना ही था। क्योंकि उसकी शिष्या मैं जो थी
अक्षत की खून पसीने की मेहनत की बदौलत मैंने तीन दिनों में ही साइकल चलाना सीख लिया। अब मैं साइकल चलाना अच्छे से सीख गई थी।मेरी ख्वाहिश पूरी हो गई थीऔर अब बारी थी हवाओं से बातें करने की। और कांड करने की।हवाई यात्रा✈️
अगली सुबह मैं उठी और जल्दी से तैयार होकर अपनी साइकल की तरफ़ दौड़ी। जैसे ही मैं आगे बढ़ी सामने अक्षत खड़ा था।
अक्षत:-आज तू मुझे बिना बुलाए ही जा रही थी। चल कोई बात नहीं मैं खुद ही आ गया।
आयत:- अबे क्या कर रहा है हट आगे से और मुझे जाने दे... अब मैं साइकल चलाना सीख गई हूं। मैं खुद संभाल लूंगी तू जा अपना काम कर। और वैसे भी आज मैं अकेले साइकल चलाऊंगी।आज मुझे हवा से बातें करनी हैं (और ये कहते हुए मैं आगे निकल गई।)
मैं मुस्कुराते हुए... इतराते हुए ...लहराते हुए... आगे बढ़ ही रही थी कि अचानक से एक ढलान आई जिस पर मेरी साइकल उतरते वक्त... अरे... अरे... नहीं ...नहीं...........धड़ाम
आवाज़ सुनकर एक बुढ़िया बाहर आई। जो ताड़ जैसी लंबी और बांस जैसी पतली थी। देखने में वो मुझे अमिताभ बच्चन की बहन जैसी लगी दरअसल वो ढलान खत्म होते ही एक घर था जहां बाहर ही एक खाट बिछी हुई थी। और उस खाट पर वो अम्मा अपनी छोटी सी दुकान लगाया करती थी।बच्चो के खाने वाली चीज़ की...
और आप सब ये सोच रहे होगे की मैं वहां गिर गई। तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं हैं। मैं वहां गिरते-गिरते बच गई पर मेरी साइकल अम्मा की दुकान से जा भिड़ी... और उनका कुछ सामान ज़मीन पर गिर गया।☹️
अम्मा:- ए छोरी ये क्या किया तूने...
मैं :- अम्मा वो..... म.. म.. मैं...
अम्मा:- अरी क्या मैं- मैं कर रही हैं... अरे ये हवाई जहाज उड़ाने के लिए यही जगह मिली थी तुझे...
ये हवाई जहाज मेरी दुकान पर चढ़ा डाला तूने... सारा सामान गिरा दिया मेरा... इतना नुक़सान कर दिया ।
मैं:- अम्मा माफ़ कर दो। ग़लती से हो गया ये सब। मैंने जानबूझकर नहीं किया। (मासूम सा चेहरा बनाते हुए रोने लगी)
अम्मा:- अच्छा ठीक हैं।कोई बात नहीं अब रो मत और मेरे साथ ये सामान रखवा। अरे वो तो तू इतनी प्यारी सी सुंदर सी मासूम सी हैं इसलिए माफ़ कर रही हूं। कोई और होती तो पक्का कूट कर भेजती उसे...
मैं:- मन ही मन ( वो तो मैं हूं ही)
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#prayasss70
️महिषासुरमर्दिनी स्तोत्रम्️
अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते
गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते।
भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥१॥
हे गिरिपुत्री, पृथ्वी को आनंदित करने वाली, संसार का मन मुदित रखने वाली, नंदी द्वारा नमस्कृत,पर्वतप्रवर विंध्याचल के सबसे ऊंचे शिखर पर निवास करने वाली, विष्णु को आनंद देने वाली, इंद्रदेव द्वारा नमस्कृत, नीलकंठ महादेव की गृहिणी, विशाल कुटुंब वाली, विपुल मात्रा में निर्माण करने वाली देवी, शिव की प्रिय, महिषासुर का अंत करने वाली, मां गौरी की जय हो, जय हो।।
जय मां गौरी❤️
©in_my_heart -
in_my_heart 15w
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तू हकीक़त हैं...मैं सिर्फ़ एहसास हूं!
तू समुंद्र...मैं भटकी हुई प्यास हूं!
©in_my_heart -
in_my_heart 20w
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मुझे शोर नहीं,
खामोशियां पसंद हैं...
नयी सी लड़की हूं मैं,
पुराने खयालातों की....
©in_my_heart -
in_my_heart 24w
जो दौड़ दौड़ कर भी नहीं मिलती
वो संसार की तृष्णा हैं.....
जो बिन दौड़े प्रेम से मिल जाता हैं
वो राधा का कृष्णा हैं.....
राधे राधे
कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं❤️
©in_my_heart -
in_my_heart 93w
@r❤️
©in_my_heart
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amateur_skm 1d
था 4 साल का जब खेल के मैदान से
चोट लगाकर रोते हुए घर आया
मां आई दौड़े दौड़े उन्होंने एक चीज बताया
"रोना बंद करो, लड़के नहीं रोते है"
था 10 साल का जब स्कूल में उसने होमवर्क
करने को भूल गया
टीचर ने पीटा उसे जब तक आंसू बह ना आया
पूरे क्लास को हंसना आया, तब दोस्तों ने एक चीज बताया
"रोना बन्द करो, लड़के नहीं रोते है"
था 20 साल का जब प्यार के मैदान में हार गया
कोई था जो किसी और के लिए छोड़ गया
उससे अपने दुख को छिपाया ना गया
बैठा था एक पेड़ के नीचे बस रोना ही रोना आया
तभी किसी ने पीछे से कंधे पे हाथ रखकर एक चीज बताया
"रोना बंद करो, लड़के नहीं रोते है"
था 22 साल का जब अपने पैर पे खड़े होने को आया
नौकरी के लिए बस दर दर दौड़ना ही किस्मत में आया
उसको अपने छिपे आंसू पे बस रोना ही आया
फ़िर उसके दिमाग में एक गूंज आया
"अरे ये कैसा लड़का है इसे पता नहीं क्या, लड़के नहीं रोते है"
था 26 साल का जब किसी के बिछड़ने का वक्त आया
हो रही थी उसकी बहना की शादी बस वो रहा खोया खोया
जान रहा था कि अब वो उसे दूसरे के घर को जाना है
बस वो भीड़ में छिपता रहा और अपने आंसू को बहाना आया
तभी किसी आंटी ने बोला
"अरे तेरी विदाई थोड़े ही हो रही है, तुझे नहीं मालूम क्या,लड़के नहीं रोते है"
था 29 साल का जब उसके घर में नन्हे मेहमान का वक्त आया
तभी किसी ने खुशी से बताया
अरे तुम्हारे घर एक नन्हा राजकुमार आया
उसने देखा की मां के गर्भ से नन्हा मेहमान चिल्लाते हुए बाहर आया
उसने अपने राजकुमार को गोद में उठाया और एक चीज बताया
"लड़के भी रोते है , हां लड़के भी रोते है"
©सौरभरोते है!!
कौन समझा दर्द
या तो खारे आंसू
या तकिये की सिलवट
©सौरभ -
loveneetm 3h
हरि नाम
सुनों जगत के लोग सुनों,
हरि सुमिरन गुणगान,
पर निंदा से बेहतर है,
परम-पिता का ध्यान।
किसने किसको क्या कहाँ,
किसको कितना लाभ,
व्यर्थ सोच माया रचित,
केवल मन का स्वार्थ।
हरि प्रकट हर रूप में,
जग को दे संदेश,
मानवता सर्वोपरि,
हिंसा मन का द्वेष।
हरि कहें सतकर्म करो,
कभी करो ना क्रोध,
काम क्रोध मद वासना का,
ज्ञानी करें विरोध।
कृष्ण राम बलराम जपो,
जपो राधिका नाम,
जपो रेवती,परम सिया,
गाओ कान्हा नाम।
©loveneetm -
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बेहिसाब गर्मियों की हसीन शाम है इश्क़,
मसरूफ़ सी ज़िन्दगी में जैसे आराम है इश्क़।
एक शहर कि जिसमें, सिर्फ़ तुम और मैं हों,
उस शहर का मुमकिन, बस नाम है इश्क़।
©abhi_mishra_ -
©i_am_an_unprofessional_writer
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chandnibhatnagar 11h
Thandi ठंडी सर्द hawa हों
साथ me खुलहड़ vali chai ho
Leke हाथो me hath sanam Ka
Mithi मीठी gapsap sath हो
©chandnibhatnagar -
yusraansari_ 1d
Meri khamoshi ka sirf itna sa fasana h........
Pahle mai bohat hasti thi......
Ab sirf muskurati hu....
Aur ab mujhko khamosh ho jana hai....Khaomshi
मेरी खामोशी का सिर्फ इतना सा फसाना है
पहले मैं बहुत हँसती थी
अब सिर्फ मुस्कुराती हूँ
और अब मुझको खामोश हो जाना है।
©yusra ansari_ -
malang_12 1d
यहाँ से पढ़े
बहुत समय पहले की बात है, लगभग दो साल हो गये। भाई का जन्मदिन था तो उनके दोस्त उनसे पार्टी माँग रहे थे कि इस बार तो तेरे जन्मदिन पर बड़ी पार्टी करेंगे। भाई ने हाँ तो बोल दिया लेकिन अब बारी थी पार्टी का इंतज़ाम कैसे किया जाऐ। फिर उनके सामने मम्मी आ गयी वो बोली बेटा आयत नहीं आ रही काफी दिन हो गये तुम्हारी लड़ाई तो नहीं हुई उससे बस इतनी सी बात कहते ही भाई ने अपना ख़ुरापाती दिम़ाग चलाया और उनका जुगाड़ हो गया।
@amateur_skm bhai ji क्षमा चाहते हैं।
@in_my_heart aayatजन्मदिन
Bhai : मुझे उसकी बातें पसंद नहीं।
Mummy : उसने कुछ कहा
Bhai : जब देखो तब तुम्हारी मम्मी बहुत नकचढ़ी हैं, उन्हें कोई काम नहीं आता जब देखो तब दूसरों पर रौब झाड़ती हैं।
Mummy : क्या वो ऐसा बोलती हैं, मेरे बारे में
Bhai : हाँ, मम्मी और ये भी बोल रही थी कि जब देखो तब बिना बात के लड़ने लगती। अच्छा मम्मी, मुझे पाँच हजार रुपये चाहिऐ दोस्त जन्मदिन की पार्टी माँग रहे।
Mummy : हाँ, पर्स में से ले लो तू तो मेरा बेटा हैं, और बता बेटा वो क्या बोल रही थी मेरे बारे में
Bhai : मुझे तो गुस्सा आ गया ये सब सुनकर मैंने बोल दिया आज के बाद मेरी माँ के बारे में ऐसा कुछ बोला तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।
Mummy : आने दो उसको, उसकी तो मैं....
Bhai : नहीं, मम्मी आप कुछ मत बोलना उससे, ठीक हैं मम्मी मैं चलता हूँ अब दोस्त पार्टी के लिऐ बुला रहे।
Mummy : ठीक हैं, जाओ।
Aayat : सौरभ..... सौरभ कहाँ हो तुम ??
Mummy : वो दोस्तों के साथ पार्टी करने गया हैं।
Aayat : अच्छा!! आंटी आप कैसी हैं...??
Mummy : जिंदा हूँ अभी....
Aayat : आंटी आप मुझसे ऐसे क्यों बात कर रही हो, मुझसे कोई गलती..
Mummy : नहीं, गलती मुझसे हुई हैं...
Aayat : अरे आंटी!! आप मुझसे कभी ऐसे बात नहीं करती और आज...क्या हुआ हैं, प्लीज़ बताओ आपको मेरी कसम हैं।
Mummy : तुमने सौरभ से क्या कहा कि मैं नकचढ़ी हूँ। मुझे कोई काम नहीं आता और दूसरों पर रौब झाड़ती हूँ और मैं बिना बात के लड़ती हूँ, जबकि मैंने तुम्हारें साथ कभी ऐसा व्यवहार नहीं किया
Aayat : अरे ये मैंने कब बोला उससे आप मेरे सामने बात करना मैंने उससे कभी नहीं बोला ये सब। जरुर कोई काम होगा आपसे इसलिऐ मुझे आज बलि का बकरा बना दिया इस नालायक ने, मैं कसम खा रही हूँ मैं आपके बारे में ये सब कभी नहीं आने दो इसकी तो आज मैं....
Mummy : उसने मुझसे पाँच हजार रुपये लिऐ पार्टी के लिऐ आज आने दो उसको, इसकी पार्टी तो मैं मनाती हूँ, इसकी इतनी हिम्मत हो गयी कि ये अब मुझसे झूठ बोलेगा
Bhai : मम्मी, मैं आ गया आज बहुत मजा आया मैं बहुत खुश.... ये यहाँ क्या कर रही हैं....?
Aayat or mummy : तेरी पूजा....तू रुक तेरा तो जन्मदिन आज मैं मनाती हूँ....
Bhai : मैं मुसीबत के पीछे नहीं, मुसीबत मेरे पीछे भागती हैं।अरे नहीं!! कोई बचाओ मुझे....
©malang_12 -
positively 1d
Please guy watch my new video
Link mere bio mei hai
If u like then please share.
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बहाने
उस जुगनू के इंतजार में हमने रातें जागे बहुत है
मेरे तकियों की सिलवटों ने दर्द छिपाएं बहुत है
के उन्होंने ही पूछ लिया इस बीमार दिल का हाल
तो मेरे कंपकंपाते लफ़्ज़ों ने बहाने बनाए बहुत है
©सौरभ -
amateur_skm 1w
रक्षाबंधन
प्लीज़ कोई offend ना होना
Scene:- College
Me:- अबे ये जान रहे हो, संदीप sir ज्योति ma'am को पसंद करते है।
Abhinav:- हां बे! मैं भी देखता हूं कि जब भी ज्योति ma'am क्लास में आती है तो संदीप sir शरमाने लगते है।
आशुतोष:- अबे मुझे मालूम है कि दोनों लोग date कर रहे है।
Abbinav:- तुझे कैसे मालूम
Me:-अरे कोचिंग में बताया था sir ने, ठीक है कोई किसी को बताएगा नहीं।samjheeeeeeeee
Abhinav और ashutosh:- हां समझ gyeeeeeeeeeeee
(इस तरह हम लोगों ने पचास लोगों को ये समझा दिया था कि कोई चुगली नहीं करेगा)
कुछ दिनों बाद ही, पूरा कॉलेज staff उखड़ आया था हमारे क्लास room में,
Jyoti ma'am:- किसने ये rumour फैलाई है कि हम दोनों कपल है??
क्लास में पूरा सन्नाटा , sir के आंखों और होंठ पर मुस्कान
और हम सब सोच रहे थे किसने ये चुगली की है
Principal sir:- this is the worst class of the school
हम सब सन्नाटे में थे
Principal sir:- वाह क्या unity है , इसपर तो तालियां बजनी चाहीए
हम सब ताली पीटने लगे )
Jyoti ma'am:- ठीक है आप लोग सुनो, संदीप sir मेरे बड़े भाई जैसे है, आप लोग ये rumour मत फैलाएगा आगे से
Class:- yesssssss ma'am
Sandip sir:-
उसके बाद जब शाम को उनके physics coaching में गया तो
Me:- Goooooood eveeeening sir!
Sandip sir:-
Me:- "बहना ने भाई की कलाई से प्यार बांधा है"
Class:-Happy Rakshabndhn sir ji
Sandip sir:-() सौरभ! तू इधर aaaa
Me:- sorry sirrrrrrr
REST WAS HISTORY
© सौरभ_पापा_का_परा
