Happy Deepawali
With the Fireflies of sparks..
May this festival of light impart you with..
Some more vibrant colours..
Some emotions more meaningful..
And a pandora box of ever lasting happiness.
Happy Deepawali to you and your family.
©kshitijpandey
kshitijpandey
An albatross on the Mast..Have Wings That wont stop. Instagram : Alphaphoton .FB : Kshitij pratap pandey
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kshitijpandey 16w
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kshitijpandey 32w
You.
It's been hours since we fought..
It's been a while and the anger is all gone...
To our life and to your endless smiles...
May I loose a thousand more with the seconds passing by...
Swallowing the numbness , embracing your cores
Can I be ready to witness some more
Of,
Your giggles dipped in pillows..
Of,
Your eyes that seem to have a emblem of their own
And To the peace that creeps into us both..
As the eyes have you when closed..
But the heart needs to be assured..
For as to when I wake up...you will be there.
If not..you know how to find me and where
Now the flashy memories have you in them..
Where you in seeped in is a question yet to framed
From you , till you , only you !
My world ❤️ My Mohini
©kshitijpandey -
Serene Mystic whirl
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kshitijpandey 45w
अलविदा
चंद रोज़ पहले की ही थी ये बात
दरिया के इस पार तुम खड़े थे साथ
इक पल को ही तो मूंदी थी ये आंखें
इतने में जाने कहां बस गए तुम जाकर
अब गौर करूं या महसूस , सिर्फ एहसास उतर आता है
दिल की दीवारों में सिमटता ये सया्ह अंधेरा नज़र आता है
अब किससे लूं इंतकाम तुम्हारे इंतकाल का
जाने कहां ढूंढूं दरवाज़ा उस काल का
मज़मो, गम और इन यादों में
जिंदा रहोगे तुम इक अरसा और
कुछ पलों ही और रहेंगे ये जज़्बात
क्योंकि हम फिर होंगे साथ
तब पूछेंगे तुमसे मुत्मइन होकर
क्यों गये तोड़कर तुम ये डोर ।
विदा #इरफान सर
©kshitijpandey -
kshitijpandey 46w
Ode to You
There have been storms..
So there will be rains..
There have been clouds...
So there will be beam of rays..
Today is the day you were gifted to this world...
And today is the day I feel elated..
To have a person so meaningful in my life...
So as that even the darkest of vices Won't thrive..
To this day and for the years ahead...
I want you to be there..
Glowing , glimmering and jumping as always...
Making others happy with your numerous unique ways..
A person I adore and a soul I love...
Hope you get everything that is beloved ❤️.
Forever yours
©kshitijpandey -
kshitijpandey 51w
सैलाब
आज़ इस शाम चला फिर उस ओर
सांसों की उलझती है जहां तुझसे डोर
आया तो देखा यादें सारी गुलज़ार हैं
नरगिस-ए-साहिर में कैद, बेबस ये इतनी आज हैं
सहाब हैं घने , हवा भी मुतरिब है
गर इन तरानों में आज कुछ अजीब है
मज़मा है ये आज उन सभी जज़्बातों का
ख़ालिक़ ने जिन्हें बना कर भी ना तराशा
मेरे इन लफ़्ज़ों की मुहाफिज़ कायनात ये
ताउम्र पूछेगी तुझसे बस इक सवाल ये
मुसाफ़िर तुम भी थे, राही ये भी था
शिकवा ऐसा फिर क्या था
दास्तानों के इन काग़जो की एक कश्ती ही बना लेते
इन हज़ार सैलाबों में, किसी एक का होकर रह जाते ।
©kshitijpandey -
kshitijpandey 62w
हर्फ़
उन्वान इस हयात का कुछ खास़ तो नहीं
हिलाल गुज़री उस रात का अब साथ तो नहीं
हसरतें हजार पूरी हो, इस दिल की दरकार है
शायद तभी आफा़क़ का शम्स आज भी गुलज़ार है
गुलशन में कैद ये निकहत कुछ जानी सी है
बेशक आहट ये ख़ुल्द से रिज़वान के आने की है
फनाह होते इस साल से, आखिरी इक मुलाकात है
मुख़्तसर ही सही, जज़्बात सारे आज हमवार हैं
तवील सी इस जिंदगी का मुतालबा कुछ इतना सा
दोज़ख़ से कहीं दूर, मुहाफ़िज बन कुछ अपनों का ।
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kshitijpandey 74w
बख़्त
बेहिसाब लहरों के ये खूबसूरत गिर्दाब
उतारी है जिसमें मैंने अपनी नाजुक सफी़ना आज
वक्त का इल्म शायद नहीं मुझे, मगर
देखा था आतिश को आब के लिए होते बेसबर
तोड़कर इस कायनात से अपने सारे उन्स
ओढ़ ली मैंने क़फ़स से परवाज़ की ये नई धुन
इस मौज पर ही है मेरी कश्ती की सारी मौज़े
साहिल तो खुद ग़का़र्ब हुआ दिखता है
चर्ख़ से उतरते तरब के इस एहसास को
समेटा जैसे सदफ़ में छुपा गुहर ही अब मेरी आस हो
समर का शाहिद बनने को हूं बेकरार
पर शायद सय्याद पहले ही कर ले मेरा शिकार
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kshitijpandey 107w
ज़मीन
उस रोज़ की इक धुंधली छवि मन के आईने में दर्ज है
मां को लगा जब मुझे बचाना उसका फर्ज है
खींच कर किया मुझे उस मिट्टी से दूर
बोली यहां आना न दोबारा अब तू
वक्त उड़ चला और मैं अपने बचपने से दूर
जिंदगी को चलाने का जरिया ढूंढता रहा बदस्तूर
फ़र्ज़ मिला किसी ऐसे को बचाने को
बरसों पहले मां ने कहा था जिससे दूर जाने को
बाहों में समेट कर वतन मैैं अपनी मां से दूर हुआ
नम आंखों से उसने इसे कुबूल किया
अब इक ओर मेरी देह तिरंगे में लिपटी है
दूसरी ओर मेरी मां उसी मिट्टी में सिमटी है
आज उसे इस मिट्टी से कहीं ज्यादा प्यार है
किया इसमें उसने मेरे लहू का जो दीदार है ।
©kshitijpandey -
kshitijpandey 107w
खुदगर्ज
कश्तियां ये इतनी हज़ार
लगाती हैं जाने कितनों को पार
मैं भी तेरा एक मुसाफ़िर खुदगर्ज
इतना कि उतार न सका उनका भी कर्ज
सांसों की डोर शुरू की जिन्होंने तब
चुन ले ए-लहर मुझे भी इक बार
बन तू मेरी मांझी बनूं मैं तेरा सवार
क्योंकि चाह नहीं कि मैं अब झेलूं इंसानो का गुबार
©kshitijpandey
