जन्मदिन
Bhai : मुझे उसकी बातें पसंद नहीं।
Mummy : उसने कुछ कहा
Bhai : जब देखो तब तुम्हारी मम्मी बहुत नकचढ़ी हैं, उन्हें कोई काम नहीं आता जब देखो तब दूसरों पर रौब झाड़ती हैं।
Mummy : क्या वो ऐसा बोलती हैं, मेरे बारे में
Bhai : हाँ, मम्मी और ये भी बोल रही थी कि जब देखो तब बिना बात के लड़ने लगती। अच्छा मम्मी, मुझे पाँच हजार रुपये चाहिऐ दोस्त जन्मदिन की पार्टी माँग रहे।
Mummy : हाँ, पर्स में से ले लो तू तो मेरा बेटा हैं, और बता बेटा वो क्या बोल रही थी मेरे बारे में
Bhai : मुझे तो गुस्सा आ गया ये सब सुनकर मैंने बोल दिया आज के बाद मेरी माँ के बारे में ऐसा कुछ बोला तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।
Mummy : आने दो उसको, उसकी तो मैं....
Bhai : नहीं, मम्मी आप कुछ मत बोलना उससे, ठीक हैं मम्मी मैं चलता हूँ अब दोस्त पार्टी के लिऐ बुला रहे।
Mummy : ठीक हैं, जाओ।
Aayat : सौरभ..... सौरभ कहाँ हो तुम ??
Mummy : वो दोस्तों के साथ पार्टी करने गया हैं।
Aayat : अच्छा!! आंटी आप कैसी हैं...??
Mummy : जिंदा हूँ अभी....
Aayat : आंटी आप मुझसे ऐसे क्यों बात कर रही हो, मुझसे कोई गलती..
Mummy : नहीं, गलती मुझसे हुई हैं...
Aayat : अरे आंटी!! आप मुझसे कभी ऐसे बात नहीं करती और आज...क्या हुआ हैं, प्लीज़ बताओ आपको मेरी कसम हैं।
Mummy : तुमने सौरभ से क्या कहा कि मैं नकचढ़ी हूँ। मुझे कोई काम नहीं आता और दूसरों पर रौब झाड़ती हूँ और मैं बिना बात के लड़ती हूँ, जबकि मैंने तुम्हारें साथ कभी ऐसा व्यवहार नहीं किया
Aayat : अरे ये मैंने कब बोला उससे आप मेरे सामने बात करना मैंने उससे कभी नहीं बोला ये सब। जरुर कोई काम होगा आपसे इसलिऐ मुझे आज बलि का बकरा बना दिया इस नालायक ने, मैं कसम खा रही हूँ मैं आपके बारे में ये सब कभी नहीं आने दो इसकी तो आज मैं....
Mummy : उसने मुझसे पाँच हजार रुपये लिऐ पार्टी के लिऐ आज आने दो उसको, इसकी पार्टी तो मैं मनाती हूँ, इसकी इतनी हिम्मत हो गयी कि ये अब मुझसे झूठ बोलेगा
Bhai : मम्मी, मैं आ गया आज बहुत मजा आया मैं बहुत खुश.... ये यहाँ क्या कर रही हैं....?
Aayat or mummy : तेरी पूजा....तू रुक तेरा तो जन्मदिन आज मैं मनाती हूँ....
Bhai : मैं मुसीबत के पीछे नहीं, मुसीबत मेरे पीछे भागती हैं।अरे नहीं!! कोई बचाओ मुझे....
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malang_12 1d
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बहुत समय पहले की बात है, लगभग दो साल हो गये। भाई का जन्मदिन था तो उनके दोस्त उनसे पार्टी माँग रहे थे कि इस बार तो तेरे जन्मदिन पर बड़ी पार्टी करेंगे। भाई ने हाँ तो बोल दिया लेकिन अब बारी थी पार्टी का इंतज़ाम कैसे किया जाऐ। फिर उनके सामने मम्मी आ गयी वो बोली बेटा आयत नहीं आ रही काफी दिन हो गये तुम्हारी लड़ाई तो नहीं हुई उससे बस इतनी सी बात कहते ही भाई ने अपना ख़ुरापाती दिम़ाग चलाया और उनका जुगाड़ हो गया।
@amateur_skm bhai ji क्षमा चाहते हैं।
@in_my_heart aayat -
malang_12 3d
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बहुत समय पहले की बात हैं मैं, भाई के साथ लूडो खेलना चाह रही थी लेकिन भाई ने साफ इंकार कर दिया। मैं इस बात से काफी नाराज़ हो गयी, लेकिन फिर मम्मी के पास जाकर बैठ गयी। भाई भागते हुये बाहर जा रहे थे ये देखकर मम्मी मुझसे बोली जा पूछ कर आ छोटी कहाँ जा रहा हैं ये, लेकिन भाई बहुत जल्दी में थे जैसे बस छूट रही हो जब मैंने उनसे पूछा कहाँ जा रहे हो तो बताया ही नहीं, काफी देर तक पूछते रहने से उनको गुस्सा आ गया और फिर से मैंने......
@amateur_skm bhaiकब्र
Me : भाई कहाँ जा रहे हो??
Bhai : लड़की देखने जा रहा हूँ अपने लिऐ...
Me : लेकिन भाभी तो......
Bhai : चुप कर, क्यूँ तू काली बिल्ली की तरह मेरा रास्ता काट जाती हैं.....मैं जा रहा हूँ अब टोकना मत नहीं तो पिटेगी मेरे हाथ से
Me :
Mom : क्या हुआ तुझे रो क्यूँ रही
Me : भाई तो लड़की देखने गये और मैं ज्यादा पूछती तो मेरी पिटाई कर देते
Surbhi bhabhi : देखा माँजी मैंने पहले ही कहा था कि कोई हैं, मुझे नहीं पता था कि ये मेरी सौतन ले आयेंगे
Mom : इस हरामखोर से ये उम्मीद नहीं थी कि ऐसे दिन भी दिखाऐगा मुझे
Surbhi bhabhi : अब मैं कहीं की नहीं रही माँजी अब मैं कहा जाऊँगी.
हे भगवान!!! अब मेरा क्या होगा मैं तो बर्बाद हो गयी
Mom : इस नासपीटे का क्या करुँ मैं इसने कहीं का न छोड़ा समाज में क्या मुँह दिखाऊँगी
Me : मम्मी भाई आ गये
Mom : तू कहाँ गया था और ये लड़की कौन हैं
Bhai : लड़की , मैं तो अपने नोट्स लेने गया था दोस्त से
Mom : कौन सा दोस्त??
Bhai : क्या हुआ????
Surbhi bhabhi : देखा माँजी अब इन्हें पता भी नहीं कितना बड़ा पाप किये हैं, अब तो ये उस चुड़ैल को घर भी लेकर आयेंगे
Bhai : कौन सी चुड़ैल??... अबे हद हैं साफ साफ बताओ क्या बात हैं
Mom : छोटी बोल रही थी कि तुम लड़की देखने गये अपने लिऐ और तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हुई इस घर में पैर रखने की
Bhai : इस छोटी की तो मैं....
Me : एक मिनिट रुको पहले मुझे आँगन में अपनी कब्र खोद लेने दो।
मैं, कसम खा रही हूँ मम्मी, भाई ने यहीं कहा था लेकिन अब भाई ऐसा क्यूँ बोल रहे
Mom : सौरभ, तुझे शर्म नहीं आती छोटी पर इल्ज़ाम लगा रहा हैं तू, तेरी तो आज खैर नहीं
Bhai : मम्मी रुको, छोटी थोड़ी और बड़ी कर लेना कब्र, मैं भी आ रहा हूँ तेरे साथ
Mom : अबे तू छोटी को छोड़ तेरी तो तबियत में सुधारती हूँ नासपीटें
आगे का सीन पता हैं, न ......
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malang_12 1w
भाग---2 यहाँ से पढ़े
तीसरी बार हमारे कद़म पड़ने वाले थे, मेले के मैदान में और साथ में थी मम्मी, दीदी, नेहा(मौसी की लड़की) और मैं।
जैसे ही हम लोग जाने लगे तो दीदी ने कहा आज कोई झूला नहीं झूलेगा। लेकिन हम लोग कहाँ मानने वाले थे, जब पहुँचे मेले में तो मेरा और नेहा का ध्यान उसी आसमानी झूले की तरफ था मम्मी समझ गयी थी कि हम लोगों को किसकी भूख हैं, मम्मी बोली चलो पहले तुम लोग झूला झूल लो।आसमानी झूला
Didi : नहीं, आज कोई झूला नहीं झूलेगा न मैं और न ये लोग चलो यहाँ से
Neha : अरे!!! दीदी प्लीज़ आज मैं आयी हूँ, पहली बार आपके साथ और आप मुझे झूला भी नहीं...
Didi : नहीं, तुम लोग छोटे हो गिर जाओगे
Me :
Neha : दी प्लीज़ बस आज, फिर कभी नहीं मैं टिकिट लेने जा रही
Didi : तुम लोगों में कुछ अक़्ल- वक़्ल तो हैं नहीं, मेले में आये नहीं कि चल दिए घुड़सवारी करने
Me : दीदी हमारी भी कोई इज्जत हैं, जब देखो तब शुरु हो जाती हो
Didi : इज्जत गयी तुम्हारी तेल लेने ज्यादा मत बोलो नहीं तो यहीं धोये देंगे
Me :
Neha : चलो छोटी, मैं टिकिट ले आयी दीदी आप कहाँ जा रही हो
Didi : तुम लोगों के साथ अकेले नहीं जाओगे तुम
Me : दीदी रहने दो, आपको डर लगता हैं आप मत जाओ
Didi : नहीं, नहीं लगेगा मुझे डर तुम लोग जाओगे तो मैं भी जाऊँगी
Me : मन में (न तो खुद ढ़ंग से झूलेंगी और न ही दूसरों को झूलने देंगी हर बात में अपनी मर्जी लेकिन मजबूरी बस ले जाना पड़ा )ठीक हैं चलो
हम सब साथ में झूले पर सवार हो लिऐ और झूले का एक धीमा चक्कर भी हो चुका अब बारी थी फिर से......जैसे ही तेज हुआ।
Neha : दीदी घबराओ मत।
Didi : जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपीस तिहुं लोक उजागर।
हे प्रभु!! गलती हो गयी, अब नहीं आयेंगे दोबारा बस इस बार बचा लो प्लीज़
Me : दीदी पागल हो गयी हो क्या, शांत बैठी रहो पहले ही बोला था, मत आओ हमारे साथ
Didi : थप्पड़ पड़ जाऐगा अपना मुँह मत चलाओ मेरी हालत खराब हो रही हैं, और तुम नसीहत दे रही हो मुझे
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपीस तिहुँ लोक उजागर।
जैसे- तैसे बंद हुआ झूला तब जाकर दीदी का मन शातं हुआ।
अगर थोड़ी देर और हो जाती तो शायद मेरा और नेहा का भर्ता बना देती उसी झूले के डिब्बे में
Me : आज के बाद मेरे साथ मत आना
Didi : मैं तो आऊँगी तुम लोगों के साथ और गलती से बिना बताऐे तुम लोग आये यहाँ, तो घर पर आते ही...........
Me & Neha : भागो भूत आया
©malang_12 -
malang_12 1w
@in_my_heart aayat ji
@amateur_skm bhai ji
Kuchh glti ho to aap dono mujhe maaf kr dena
एक बार की बात हैं, आयत अपने गाँव आयी थी। उसके दूसरे दिन उसका जन्मदिन था तो उसके भाई- बहिन पार्टी माँग रहे थे, उस समय आयत के बेस्ट फ्रेंड सौरभ भाई वही पर थे वो उन सबकी बात सुन रहे थे वो (मन ही मन सोच रहे थे कि चलो कुछ गिफ्ट देते हैं, आयत को)gift
Aayat : क्या हुआ तुम्हें?
Sourabh : कल तुम्हारा जन्मदिन हैं और तुमने बताया भी नहीं
Aayat : अरे! कुछ ख़ास नहीं.
Sourabh : अच्छा, मतलब बुलाओगी नहीं मुझे, केक अकेले ही खाने का इरादा हैं।
Aayat : नहीं ऐसा कुछ नहीं हैं मैं वो..मनाती नहीं हूँ इसलिऐ
Sourabh : ठीक हैं! कल तुम्हारे लिए मेरी तरफ से एक सुंदर तोहफा मिलेगा।
Aayat : नहीं इसकी कोई जरुरत नहीं हैं।
Sourabh : जरुरत क्यों नहीं हैं ऐसा थोड़ी होता हैं बताओ क्या चाहिऐ तुमको, अगर नहीं लिया तो मैं तुमसे बात नहीं करुँगा।
Aayat : अरे,,,ठीक हैं कुछ भी चलेगा
Sourabh : ऐसे कैसे कुछ भी चलेगा चलो ठीक हैं देख लेंगे लेकिन चलेगा नहीं दौड़ेगा।
पूरा मार्केट घूम आये लेकिन कुछ भी गिफ्ट उन्हें समझ नहीं आ रहा कि क्या लें वो अपनी सखी के लिऐ, इतने में ही उन्हें कुछ दिखाई दिया और उन्होंने खरीद लिया और बहुत सुंदर पैकिंग भी कराई फिर अगले दिन आयत के घर की ओर चल दिये।
घर आकर आयत देखो मैं तुम्हारें लिए क्या लाया हूँ.
Aayat : अरे वाह! इतना सुंदर गिफ्ट
Sourabh : और नहीं तो क्या आख़िर तुम मेरी प्यारी सखी जो हो तुम्हारे लिए इतना तो कर ही सकता हूँ, मैं.
Aayat : बहुत बहुत शुक्रिया इसके लिऐ
आयत ने गिफ्ट खोलना शुरु किया, लेकिन ये क्या उसके अंदर एक और गिफ्ट फिर उसको खोला तो उसके अंदर भी फिर से...... 5 बार यहीं सिलसिला चला
Sourabh : अरे! अरे! ये लास्ट हैं, अब इसके अंदर तुम्हारा गिफ्ट
और आयत ने (अपना गुस्सा शातं कर) फिर उसको खोला तो उसमें एक डिब्बा था जो बहुत प्यारा था देखने से लग रहा था कि जरुर उसमें कुछ कंगन या फिर ब्रेसलेट जैसा कुछ हैं, उत्साह में जैसे ही आयत ने डिब्बा खोला ये क्या उसकी नाक में तेज झटका लगा जब देखा तो स्प्रिंग वाला साँप का खिलौना था।
आयत को बहुत तेज गुस्सा आ गया और सौरभ भाई की तरफ दौड़ी ⚒.......
Sourabh : मुझे क्यों मार रही हो तुमसे बोला था न, चलेगा नहीं दौड़ेगा और अब तुम.....
आगे का हाल आप सबको पता ही होगा.......
©malang_12 -
malang_12 2w
चेहरें पर मुस्कान लिऐ, दर्द को छिपाया गया,,,,
खुशियों को बरकरार रखने, गमों को दफ़नाया!!!!
©malang_12 -
#bakwasiyan
जो खुद अपनी मनमर्जी से चलते हो,
उसे दूसरों की मनमर्जी से तकलीफ??
ये भी कोई बात हुई??!!
©malang_12 -
malang_12 3w
भाग -- 1
यहाँ से पढ़े :-----
जब पहली बार मेले में गये तो वहाँ मैंने देखा आसमानी झूला।
और मुझे बेहद पसंद भी आया मैंने दादा से बोला मुझे इसमें बैठना हैं, दादा बोले अभी तुम बहुत छोटी हो डर जाओगी।
जब बड़ी हो जाओ तब झूल लेना ( गुस्सा तो बहुत आया फिर सोचे शायद इस झूले को देखकर दादा का हाल- बेहाल हैं, इसलिऐ फिर जाने दिया क्योंकि इसके अलावा कोई ओर चारा भी तो न था)
उसके बाद कभी- भी मेला नहीं गयी मैं, फिर मैं उस दिन का इंतज़ार करने लगी कि कब वो दिन आये जब मैं झूला झूलने लायक हो जाऊँ।
वो दिन भी आ गया करीब 10 साल बाद मैं दूसरी बार मेला जाने के लिऐ तैयार हो रही थी, और मेरे साथ में मम्मी, दीदी और एक दीदी( अनु दी) और थी साथ में।
यह 4, 5 साल पुरानी बात हैं, मैं दूसरी बार मेला गयी थी और वहाँ सबसे ज्यादा पसंद मुझे था, " आसमानी झूला "
हम लोग मेलें में पहुँच चुके थे और बढ़िया मेले का लुफ्त उठा रहे थे। ( मतलब धक्का- मुक्की खा रहे थे)आसमानी झूला
Didi : मम्मी चलो मुझे तो पहले चाऊमीन खानी हैं।
Me : दीदी पहले आसमानी झूला झूले प्लीज़
Didi : तू जा मुझे नहीं जाना उसमें मुझे डर लगता हैं।
Me : दीदी प्लीज आपको पता हैं न मम्मी अकेले नहीं जाने देंगी
Didi : रहने दे छोटी, ये देख खाने में जो खाना हैं वो खा लो या फिर कुछ और लेना हो तो वो ले लो लेकिन झूला नहीं।
Me : आप रहने दो, मत जाओ मैं अनु दीदी के साथ चली जा रही हूँ, और मैंने टिकिट ले लिऐ दो।
Didi : तुम दोनों अकेले नहीं जाओगी मैं भी जाऊँगी तुम्हारे साथ और वो भी टिकिट लेके आ गयी।
Me :दीदी रहने दो आपको डर लग रहा हैं, आप मत जाओ
Didi : नहीं, मैं भी जाऊँगी अब
Me : ठीक हैं चलो और फिर हम तीनों झूलें में बैठ गये
लेकिन मैं अकेली बैठी थी और दूसरे साइड में दोनों दीदी थी तो फिर दीदी बोली, अनु तुम छोटी के साथ बैठ जाओ वो अकेली हैं, डर जाऐगी ( लेकिन मुझे साफ दिख रहा था कि कौन डर रहा हैं)
अनु दी मेरे साथ आकर बैठ गयी और दीदी अकेली बैठी थी अब बारी थी झूला झूलने की जैसे ही शुरु हुआ हम लोग तो खूब मजे ले रहे थे लेकिन दीदी चुप थी और जैसे ही तेज हुआ झूला।
Didi : जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपीस तिहु लोक उजागर।
हे भगवान! आज बचा लो कैसे भी करके आज के बाद कभी झूला नहीं झूलेंगे हे प्रभू, तुम्हारे पैर छू रहे रोक दो इसे बीच में
Me : दीदी ये क्या कर रही हो कुछ नहीं होगा शांत रहो हमें क्यों डरा रही हो
Didi : मैं ठीक हूँ तुम लोग चुप हो जाओ और एक दूसरे का हाथ पकड़ कर रखना गिर मत जाना
Me : हम नहीं गिरने वाले आप अपना ख़्याल रखो घबराओ मत
Didi : ठीक हूँ मैं।
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर..............
हे प्रभू तुम जो कहोंगे वो कर देंगे बस आज बचा लो
हे माता मैया तुम्हारें हाथ जोड़ रहे बस आज बचा लो
Me & Anu di : (मन में ही, नहीं तो थप्पड़ पड़ जाते)
थोड़ी देर बाद झूला रुक गया और मेरी दीदी के प्राण वापस आ गये हम लोग उतर आये झूले से
Me : दीदी एक बार फिर प्लीज़ मुझे बहुत मज़ा आया
Didi : ....
©malang_12 -
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malang_12 3w
आप सभी को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
@life09 @diyaparmar @hirvi_dalwadi_ @prakhu_13
@amateur_skm
#masti #fun #funtime #jokes #pod
Unknown writer -
malang_12 4w
बहुत पुरानी बात हैं, जब मैं 11 साल की थी। कच्ची कैरी का सीज़न चल रहा था और कैरी मुझे और मेरी दीदी को बहुत पसंद थी।
मम्मी ने साफ मना कर रखा था कि तुम लोगों ने अगर कैरी को हाथ भी लगाया तो मेरे हाथ से तुम लोगों का स्वागत भी होगा और पापा से भी शिकायत कर दी जायेगी।
लेकिन मैंने मम्मी से मना कर दिया खाना तो दूर मैं तो इसके तरफ देखूँगी भी नहीं, लेकिन मन में चल रहा था( कि मैंने अपने पैर पर अपने ही हाथ से कुल्हाड़ी मार ली अब कैरी कैसे खाऊँगी मैं )
लेकिन ये क्या हुआ अचानक दीदी छिपते छिपाते अपने कमरे में जा रही समझ नहीं आ रहा था क्या बात हो गयी।
मुझे उनकी चिंता हो रही थी, मैं भी उनके पीछे पीछे गयी गेट पर जाकर मैंने देखा ये क्या ऐसा कैसे कर सकती हैं वो, अपनी छोटी बहिन के साथ एक बार भी उनको मेरा ख़्याल नहीं आया जब मुझे पता चलेगा तो मैं क्या सोचूँगी उनके बारे में,कच्ची कैरी
मतलब हद हैं, एक बहुत बड़ी कच्ची कैरी वो अपने कमरे में अकेले बैठकर खाने वाली थी, इतने में ही उनकी निगाहें मुझ पर पड़ी।
Me : दीदी ये क्या हैं??
Didi : तुझे दिखाई नहीं दे रहा
Me : लेकिन मैं तो हमेशा आपका साथ देती हूँ।
Didi : चल फूट ले यहाँ से
Me : देखो मुझे गुस्सा मत दिलाओ प्यार से बोल रही हूँ मुझे मेरा हिस्सा दे दो मैं चली जाऊँगी
Didi : तू जा रही हैं यहाँ से मैं थप्पड़ मारुँगी
Me : ठीक हैं जा रही हूँ लेकिन पापा के पास उनसे शिकायत करने
Didi : रुक जा, देख मम्मी की निगाहों के नीचे से लेकर कैरी मैं आयी हूँ मेरा हिस्सा हैं ज्यादा अगर छोटा सा बाइट चाहिऐ तो बोल
Me : ठीक हैं दो मुझे
Didi : ये लो अब जाओ यहाँ से
Me : पहले मुझे खा तो लेने दो बाहर मम्मी ने देख लिया तो, थोड़ी देर बाद दीदी मुझे और दो
Didi : तू जा रही हैं यहाँ से या फिर एक चाटा लगाऊँ
Me : पापा
Didi : अरे रुक देती हूँ
Me : हाँ जल्दी दो (पता था मैं दी के साथ गलत कर रही हूँ लेकिन बात भी तो कच्ची कैरी की थी जब तक साफ नहीं तब तक कोई बात नहीं)
Didi : अब नहीं हैं मेरे पास जा अब
Me : दीदी दे दो मुझे पता हैं तुम्हारें पास हैं अभी
(दीदी काफी गुस्सा हो रही थी कि लेके मैं आयी लुफ्त फ्री का तू उठा रही)
Didi : लो और अब नहीं दूँगी
Me : मैंने खत्म की कैरी और जाकर मम्मी को सब बता दिऐ कि दीदी तुमसे छिपाकर कैरी ले जा चुकी हैं मम्मी आग बबूला हो गयी
दीदी बेचारी ने बहुत समझाया कि छोटी ने भी खाया हैं, लेकिन मैंने तो मना कर दिया ( मेरे पास तो सबूत भी नहीं था) सबूत था तो मेरी दीदी के पास कैरी की गुठली
सोचो अब दीदी का क्या हाल होने वाला हैं, क्योंकि मैंने अपना भी सारा दोष दीदी के मत्थे मढ़ दिया
लेकिन अब मैं भी मम्मी से अलग नहीं रह सकती अगर रही तो दीदी मेरी भुर्जी बना देगी
©malang_12
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sirftum_ 6h
किस्से तो इतने हैं कि एक किताब लिख दूं मगर मगर चंद दर्द आप लोगो से बांट लिया जाए
@amateur_skm @malang_12 @dil_k_ahsaas @lazybongness @jigna___Love letter
मेरे कालेज से से एक फोन आया☀️
Papa- सुरभि कौन है वो लड़का,
Me- कौन पापा (घबराकर)
Papa- जिसने तुम्हें love letter भेजा है कालेज में
Me- मै नहीं जानती ,ऐसा कुछ नहीं है
Papa- इसीलिए तुम्हे इतना पढ़ा रहा हूं तुम ये सब कर रही हो,
Papa (मम्मी से) इसको कुछ भी खाने पीने को मत देना
Bhai- मम्मी ये पिज़्ज़ा आया है किसके लिए मंगवाया है
Mammy- सिर्फ तेरे लिए किसी को मत देना,और हां वो तेरी बहन कमरे में रो रही है उससे बात भी मत करना
Bhai- अच्छा मॉम (पिज़्ज़ा खाते हुए)
दो दिन तक भाई मम्मी से पैसे लेकर दोस्तो के साथ पार्टी करता रहा आज उन्ही कुत्तों के साथ movie जा रहा था
दो दिन बाद भाई मुझे कालेज छोड़ने गया (papa-mammyका आदेश था अब उसी के साथ जाना आना होगा)
कालेज का चपरासी- कैसी तबियत है बिटिया??
Me- मै ठीक हूं मुझे क्या हुआ है???
चपरासी- ये तुम्हारा भाई था न, तीन दिन पहले हमे तुम्हारी बीमारी की application दी थी
Me-
अपने english के notes लेकर principal office गई (लालची कुत्ता चाकलेट के बदले मेरा English का काम वही करता है)
Me- मैम ये मेरे notes है writing मिलाकर देखिए मेरे भाई ने ही वो letter लिखा था मुझे सताने के लिए
Ma'am- hmmm, writing तो same है ये आपके notes है आप उससे अपना काम करवाती है वाह, मगर.....काफी ख़ूबसूरत writing और sentence framing तो extreme हैं(मुस्कुराकर ) naughty boy और letter वापस कर दिया
Me- Sorry ma'am,yes ma'am,thank you ma'am
(घर मे उस दुष्टके लिए अखंड रामायण का सोच लिया था आज उसकी पूरी पूजा करवाने का मन था, वो जाहिल शाम को movie देखकर चाकलेट खाते हुए घर आया)
मम्मी:करमजले अपनी बहन को letter तूने लिखा था,
भाई-हां मम्मी, actually मै देखना चाहता था कि अगर किसी को किसी से मुहब्बत हो जाय और उसका love❤️ letter आप लोगो को मिले तब आप लोगो का क्या reaction होगा
मम्मी:आज तुझे पता चलेगा शाहरुख खान(वो सीधे चप्पलों की रैक की तरफ बढ़ गई)
Papa- सौरभ,मम्मी से बात करने के बाद मेरे कमरे में आना
(उसके बाद का मज़र मेरे पड़ोसी जानते हैं या आप समझ सकते हैं)
©sirftum_ -
जिस बेटे को उठाने में,
माँ को पूरा दो घण्टा लगता हैं..
वो अपने gf को कहता है,
बेबी तेरे ख्वाब मुझे सोने नहीं देते।। -
इतवार पूरा ही भक्ति के नाम गया,
पहले मेहंदीपुर बालाजी,
फिर गोविंद देव जी के धाम गया।।
जाली पर तांबिज और धागे बंधे, बालाजी के यहाँ,
नैन न थकत, रूप निरखत, विराजे, राधा गोविंद साथ जहाँ।।
©mamtapoet -
harish8588 1d
तुझे पाने की कोशिशें तो जारी रहेंगी, पर तू इंतज़ार मत करना
मैं टुटा हुआ पत्थर हूँ - तू मुकम्मल इमारत, इतना ध्यान रखना
©harish8588 -
She vs Me
Me :- photos bhej dena
She :- konse photos
Me :- construction side ke
She : abhi internet khtm hai
Me :- project start karne se pehle area ka checkup karna jaruri hai
She :-
©sumit_chandra -
tengoku 1d
ज्वाइनिंग का पहला दिन था। पूरी तरह से सज संवर कर हम मेट्रो स्टेशन पर मेट्रो का इंतजार कर रहे थे। सही बताएं तो इतनी भीड़ देखकर हमें अंदाज़ा हो गया की जूतों पे पॉलिश और शर्ट पर इस्त्री करना बेकार ही था।
मेट्रो के आते ही हमारे पीछे खड़ी भीड़ ने ना जाने कौनसी शक्ति लगाई की मानो ऐसा लगा, बिना एक भी कदम बढ़ाए, हम सीधा मेट्रो के अंदर। इतनी भीड़ की आदत नहीं थी हमें। और ऊपर से जूते पर मिट्टी लगी देखकर मन किया, तुरंत उतरें और सीधा घर को भाग जाए। पर ऐसा कर तो सकते नहीं थे। सो मुंह बनाए, बाए जूते को दाए पैर की पैंट से साफ़ कर ही रहे थे कि पीछे की सीट पर किसी के हंसने कि आवाज़ सुनाई दी। पलट कर दिखा तो वह गुलाबी रंग के सूट में बैठी, मुंह पर हाथ रखे हंस रही थी। हमें देखते ही उसने मुंह ऐसे घुमा लिया जैसे हमने उसकी चोरी पकड़ ली हो।
कुछ देर तो हम उसे देखते ही रह गए। उसे देखते ही सारी की सारी भीड़ ना जाने कहां ओझल हो गई। सारे बाल खुले, उसके दाहिने कंधे पर सुस्ता रहे थे। कलाई पर पतली बेल्ट वाली घड़ी और गोद में उसका साइड बैग। इतने में उसने धीरे से हमें दुबारा मुड़कर देखा और हमे उसकी ही तरफ़ देखते हुए पाकर झट्ट से गर्दन फिर घुमा ली। आंखों में हल्के काजल के साथ, थोड़ी सी नादानी लगा रखी थी उसने। उसे देखते ही देखते, हमारी बनी हुई शक्ल कब मुस्कुराने लगी, कुछ पता ही नहीं चला। तब से मेट्रो का सफ़र, हमारे काम पे जाने का उद्देश्य हो गया और रविवार हमारा जानी दुश्मन।
बस हिम्मत और बहानों की थोड़ी कमी के वजह से, हमने चार हफ़्ते आंखों आंखों में बात करते हुए ही बिता दिए। आज भी याद है हमे वो दिन, जब हमारी किस्मत ऐसी खुली की पहली बार उसके बगल में बैठने का मौका मिला था।
#LAFST"दो दिन क्यूं नहीं आई थी?"
"हम?!" उसने ऐसे चौंककर पूछा जैसे उसके सामने कोई पुतला बोल उठा हो।
"और फिर कौन?"
"वह बस हल्का सा बुखार... एक मिनट! आप कौन होते हैं हमसे पूछने वाले?" अपनी आवाज़ में अकड़ लाने की बेहद नाकाम कोशिश की थी उसने।
"लै! हमें लगा हम दोनों दोस्त हैं। नहीं हैं क्या?"
"ये कब हुआ?"
"अरे हम रोज़ ही तो मिलते हैं ना तो हमे लगा कि हैं।"
"ऐसे तो हम रोज़ सबसे ही मिलते इधर।" उसने हमारी तरफ देखा।
"हां पर सबको देखकर रोज़ मुस्कुराती थोड़े ना हो।" हमनें उसकी तरफ़ देखा।
बस इतना कहते ही वह ऊपर से नीचे तक लाल हो गई।
"कुछ भी!" अपने बालों को झटककर उसने मुंह दूसरी तरफ़ फेर लिया।
उस दिन के बाद से वो मेट्रो ही हमारे लिए सिनेमा हॉल और पार्क हो गया था। शुरू शुरू में वह थोड़ा हिचकिचाती थी बात करने में, पर फिर एक बार स्टार्ट करती थी तो मानो स्टॉप बटन कहीं था ही नहीं। उसकी बातें ठीक उसी की तरह बिल्कुल प्यारी और मीठी हुआ करती थी।
"लव एट फर्स्ट साइट पर मानती हो तुम?" हम थोड़ा हिचकिचाए।
"हां बिल्कुल।"
"हां!?"
"हां!" इसमें इतना चौंकने की क्या बात है। करते हैं लोग। हमारा मतलब है कि, अपने आप ही हो जाता है।"
"अच्छा। तुम्हे नहीं हुआ कभी?" हमने थोड़ा नादान बनकर उससे पूछा।
"हुआ भी होगा तो बताएंगे थोड़े ही। ना ना। लड़कियों का काम नहीं ये सब। हां नहीं तो।"
"मतलब हमें बोलना होगा पहले?" हमने पूछा।
"और नहीं तो क्या?" उसने बिना सोचे फटाक से बोल दिया।
ये सुनते ही हम हंस पड़े और वह शर्म से पानी पानी हो गई।
"ऐसे बेकार सवाल ना किया करो हमसे। बात नहीं करेंगे फिर हम।" कहकर वो हड़बड़ में फिसली अपनी ज़ुबान की गलती को छुपाने लगी।
बिन कहे हम दोनों ने बहुत कुछ कह दिया था उस दिन। कुछ दिन में दोनों ने नंबर के साथ साथ दिल भी एक्सचेंज कर लिए। फिर क्या था, रातें भी उसके नाम कर दी हमने।
(शेष अगले भाग में)
-अनन्या -
(आगे)
देखते ही देखते दो महीने और बीत गए। हमारे अंदर उसके साथ अपनी पूरी ज़िन्दगी बिताने का अलग सा सुकून था। शायद इसीलिए बहुत कुछ देख ना सके हम। शायद। बस गलती यही हुई हमसे, इसी जगह।
पूरे दो हफ़्ते बाद हमने नोटिस किया की वो कुछ उदास थी। मुस्कुराती थी, पर आंखों में नहीं देखती थी। हमने पूछने कि भी कोशिश की थी, बहुत कोशिश की थी उस शाम। पर उसने "ठीक हैं" कहकर कुछ नहीं बताया।
"हुआ क्या है बताओगी भी?"
"अरे एक बार कहा तो कुछ भी नहीं, समझ क्यूं नहीं आती आपको?" गर्दन झुकाए उसने बुदबुदाया।
तब उस शाम महसूस हुआ की उसके आंखों में देखे मानो अरसा हो गया था।
"ठीक है। मत बताओ।" लगा समय के साथ ठीक हो जाएगी। थोड़ी बहुत टेंशन रही होगी किसी बात की, ठीक हो जाएगी।
पर नहीं। हम गलत थे।
वो शाम आखिरी शाम थी जब हमने उसे देखा था। हमनें कई दिनों तक लगातार, सैकड़ों बार उसे फोन करने की कोशिश की पर नहीं लगा। गायब हो गई थी कहीं। मानो वापस लौट गई हो अपने परियों के जहां में।
हमनें बहुत कोशिश की उसे ढूंढने की। पागलों की तरह उसका इंतज़ार किया। मेट्रो में, उसके कॉलेज के गेट पर। घर का पता बताया नहीं था उसने कभी।
बस बढ़ते समय के साथ साथ, धीरे धीरे उसे वापस देखने की आस टूट गई।
पिछले महीने एक सेकेंड हैंडेड बाइक लेली हमनें। मेट्रो में जाना जो बंद कर दिया है अब। मन नहीं लगता था। गैरों के बीच उसका चेहरा ढूंढने की बुरी आदत भी हो गई थी।
नंबर भी डिलीट कर दिया उसका। कोशिश तो पूरी कर रहे हैं, उसे याद ना करने की पर सही बताएं तो भूलना चाहते नहीं। पता नहीं क्यूं। बस पता नहीं।
शायद फिर कभी आए, उसी मेट्रो में। और हमे वहां ना पाकर बेचैन हो जाए, ठीक हमारी तरह।
शायद फिर नाराज़ हो, गुस्सा करे, ऐसे बिना बताएं गायब हो जाने के लिए, ठीक हमारी तरह।
शायद फिर पागलों की तरह हमे तलाशे, इंतज़ार करे, और थक हारकर खूब रोए, ठीक हमारी तरह।
अब क्या करें। ऐसे ही छोड़ गई है वो हमे।
शायदों में।
(शेष अगले भाग में)
-अनन्या -
amateur_skm 1d
था 4 साल का जब खेल के मैदान से
चोट लगाकर रोते हुए घर आया
मां आई दौड़े दौड़े उन्होंने एक चीज बताया
"रोना बंद करो, लड़के नहीं रोते है"
था 10 साल का जब स्कूल में उसने होमवर्क
करने को भूल गया
टीचर ने पीटा उसे जब तक आंसू बह ना आया
पूरे क्लास को हंसना आया, तब दोस्तों ने एक चीज बताया
"रोना बन्द करो, लड़के नहीं रोते है"
था 20 साल का जब प्यार के मैदान में हार गया
कोई था जो किसी और के लिए छोड़ गया
उससे अपने दुख को छिपाया ना गया
बैठा था एक पेड़ के नीचे बस रोना ही रोना आया
तभी किसी ने पीछे से कंधे पे हाथ रखकर एक चीज बताया
"रोना बंद करो, लड़के नहीं रोते है"
था 22 साल का जब अपने पैर पे खड़े होने को आया
नौकरी के लिए बस दर दर दौड़ना ही किस्मत में आया
उसको अपने छिपे आंसू पे बस रोना ही आया
फ़िर उसके दिमाग में एक गूंज आया
"अरे ये कैसा लड़का है इसे पता नहीं क्या, लड़के नहीं रोते है"
था 26 साल का जब किसी के बिछड़ने का वक्त आया
हो रही थी उसकी बहना की शादी बस वो रहा खोया खोया
जान रहा था कि अब वो उसे दूसरे के घर को जाना है
बस वो भीड़ में छिपता रहा और अपने आंसू को बहाना आया
तभी किसी आंटी ने बोला
"अरे तेरी विदाई थोड़े ही हो रही है, तुझे नहीं मालूम क्या,लड़के नहीं रोते है"
था 29 साल का जब उसके घर में नन्हे मेहमान का वक्त आया
तभी किसी ने खुशी से बताया
अरे तुम्हारे घर एक नन्हा राजकुमार आया
उसने देखा की मां के गर्भ से नन्हा मेहमान चिल्लाते हुए बाहर आया
उसने अपने राजकुमार को गोद में उठाया और एक चीज बताया
"लड़के भी रोते है , हां लड़के भी रोते है"
©सौरभरोते है!!
कौन समझा दर्द
या तो खारे आंसू
या तकिये की सिलवट
©सौरभ -
_myogenic_heart_ 2d
Nowadays, we fall in love, rise in love and all (yeah I included myself too).
LOVE" is with the person not by the looks, money, property but bcz of care', attention, respect, importance from that person.
: Some of us go with long distance relationship bcz distance doesn't bother us, but the feeling of being close matters a lot. These couple have lots of patience, loyalty with zero trust issues and too much love for the partner..
: Many of us choose short distance relationship bcz they can't miss a single day without meeting their moon (jaan). I don't say that these couple have no trust, of course they have, that's why they came into the relationship.
But then the smooth going relation and beautiful love story obstacles starts...
1: Any one of them find new compatible partner and loses interest in relation and the bond finished.
2: Or the person starts double crossing (whatever may be the reason- money, property, sexual desire). And then the bond finished.
3: If both the partners are loyal to one another.. and decides to marry, to make the relation legalise..
The prblm called "caste religion" comes out:
a) Either u leave your parents.
b) Or u leave your love and finish the relation.
4: If everything is ok, no deceiting,no double crossing, no caste- religion.. then the question hour stars: ~what the person do?
~ Is the person stable?
~ what's the income?
And what not.. and u just shut your mouth and listen them silently.
And fortunately u gave them answer to their each question with no prlm. They simply deny..
Ammm why?
Bcz their so called "sanskari society" doesn't permit these love marriages..
And if you stay calm and give them excuses..
Ammm like:
# Parvati devi married to lord Shiva and left her luxurious life and family too..
# Rukmani Devi went against his brother and married to Shri Krishna..
They counter you by saying that they were god..
In this :
A: Either you quit and marry whom your parents choose for you..
B: Or convince them again and again.. and give them assurance that you will not do anything that disrespect them..
C: Or just tell them your decision of not marrying to anyone else.. and be single!!
@_myogenic_heart_
U can share ur views or perspective..Love marriage OR Arrange marriage??
©_myogenic_heart_ -
sanjay_kumr 1d
12 बज गया मतलब @manali_srivastava दीदी का जन्म दिन है आज
आपके लिए 2 लाइन लिखा हु उम्मीद करता हु की आपको अच्छा लगे जल्दी मैं बनाया हु कोई मिस्टके रहे तो सॉरी
हर साल बस उमंग से भरा हो
मेरी दिदु का हर एक साल खुशियो से ही बस भरा हो
खुशियो तो अक्सर बिना बोले आते है,
पर खुशियो का एक लम्हा सो मैं से एक बार ही आता है
चंद की चमक उसका रोशनी से लगाया जाता है
उसी तरह मेरी दिदु की हसी की राज़ उनकी आंखों से लगाया जाता है
विश यू ए वेरी हैप्पी बर्थडे मनाली दिदु पार्टी चाहेये बर्थडे का दिदुHappy
Birthday
Didu
