Something like this
Will be written on my epitaph
सुनो!
सोती हूँ चिर निद्रा में मैं
एक अश्रु भी ना गिराना तुम
यदि आ यहाँ व्याकुल हो तुम
विनती, यहाँ ना आना तुम
मुझे ढूँढना ना इधर-उधर
मैं मेरी कविताओं में हूँ बसी
जब मेरी स्मृतियाँ घेर ले
मेरे शब्द पढ़ते जाना तुम
और सुनो ! कोई भी पुष्प ना
हो डाली विहीन मेरे लिए
एक मुट्ठी भर मिट्टी की बस
मुझे भेंट देते जाना तुम
हो सके तो मेरे चारों ओर
नए बीज पुष्पों के रोप दो
जी जाऊँगी उन फूलों में मैं
मुझे पुनः मिलने आना तुम
मैं सो रही हूँ चिर निद्रा में
अश्रु एक भी ना गिराना तुम
©monikakapur
-
monikakapur 5w