चाहत
उन उम्मीदों की सिलवटों को छूकर के
मैंने उदासी के रोशन चेहरे से गुफ्तगू की है
मैंने नमुकम्मल लोगों के छोटे छोटे किरदारों से
उम्र भर की जिल्लत और रुसवाई हासिल की है
जो थे खुशबू से भरे प्यारे प्यारे दिल के टुकड़े मेरे
मैंने गुमराह होकर उन्ही के रिश्तों से खुदकुशी की है
अंधेरों से भी वीरान गुनाहों का मज़ा चख के
मैंने एक तितली के ख्वाबों से मोहब्बत की है
अब ये इल्जाम नहीं जाता, कुछ भुलाया नहीं जाता
उस एक शख्स को जिसकी मैंने ताउम्र चाहत की है
©philosophic_firefly
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