पंछी
हूँ पंछी उन्मुक्त गगन का
उड़ना चाहता हूंँ उस भरे असमान में
ना बाँध मुझे उस बेड़ियों से
ना रख मुझे उस पिंजरे में
हूँ पंछी उन्मुक्त गगन का
उड़ना चाहता हूंँ उस भरे असमान में
ना बाँध मुझे उस बेड़ियों से
ना रख मुझे उस पिंजरे में
हूँ पंछी उन्मुक्त गगन का
उड़ना चाहता हूंँ उस भरे असमान में
है ख्वाब देखा मैंने उँची उड़ान का
नन्हें पंखों से उस भरे आसमान का
ना रख मुझे उस पिंजरे में
मैं हूँ खुली आसमान का परिंदा
हूँ पंछी उन्मुक्त गगन का
उड़ना चाहता हूंँ उस भरे असमान में
छोटा सा ख्वाब, छोटी सी आशा
उड़ चला मैं खुले आकाश में
हूँ पंछी उन्मुक्त गगन का
उड़ना चाहता हूंँ उस भरे असमान में
©dishasrivastava
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dishasrivastava 10w