हर शाम वो कोई ग़ज़ल कहता है
मेरी आंखों को देखकर ताजमहल कहता है
©philosophic_firefly
हर शाम वो कोई ग़ज़ल कहता है
मेरी आंखों को देखकर ताजमहल कहता है
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