जज़्बात भी क्या है
एहसास भी क्या है
रखा तुम्हे दिल में खुदा से ऊपर
इस बात से तुम्हे एतराज भी क्या है
तेरे हाथो पर मेहंदी से लिखा नाम मेरा
तेरी आँखों में मुस्कुराता हुआ मेरा आइना
फिर तेरी जुबां पर इंकार की बजह भी क्या है
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©goldenwriteszakir___