ख़ामोशी
कुछ दिन सीखा के गया , कुछ रात चुप कर गई !
दिल में उठे जब कई सवाल , ज़वाब....ख़ामोशी दे गई !
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Om Sai Ram 3.8.19
@piaa_choudhary Pari I'm nothing without you u r my true friend soul Siso #succhiii
@sanjeevshukla_ Sir @yenksingh Sir @odysseus Sir mera Parichay
@riyabansal @meenuagg @loveneetm #4_ank #ayush_tanharaahi #100urav_indori @rashi100108 @disha_choudhary and all sweeeeeet bro and sis जन्मदिन को विशेष बनाने के लिए आप सभी का आभार
आज न जाने क्यों आपसे एक बात सांझा करने का मन कर आया कि आप में से बहुत लोगों को मेरा नाम शायद नहीं पता आज मैं अपना नाम परिचय आप से करवाना चाहती हूंँ।
आपको यह लघु कथा कुछ दकियानूसी ख्यालों को उजागर करते हुए मेरा परिचय दे पाएगी। क्या समाज में बेटी का कोई महत्व नहीं ?लड़कों में ऐसा क्या जो लड़कियों में नहीं ?माफी चाहूंँगी मेरे जन्म की ही सच्चाई है। वैसे मैं अब अपने परिवार की लाडली बेटी हूंँ।
आप सभी का स्नेह मेरे लिए सबसे कीमती तोहफा है।जाने अनजाने की गई त्रुटियों के लिए क्षमा चाहते हैं। हृदय तल से आप सभी को आभार।Muskaan
माँ !! भाभीं को दर्द होने लगा। अस्पताल जाना पड़ेगा। अरे !!इसे भी आज ही दर्द होना था ।एक दिन और रुक जाती दोपहर के 1:00 बजे हैं।आज रक्षाबंधन का त्यौहार है और राखी बांधनी थी। त्योहार खराब कर दिया।
छोटी बुआ बोली....माँं सही कहा।तभी बड़ी बुआ बोली भतीजा होना चाहिए।भाभी से अंगुठी लूंँगी छोटी भी बोली हांँ मैं पायल लूंँगी। दोनों खुशी में चहकने लगी।
तभी बाबाजी आ गए ।सभी को ज़ोर से डांँटा... तुम यहांँ बातें बना रही हो और बहू की हालत बिगड़ रही है? सामान इकट्ठा कर ,अस्पताल चलो।
अस्पताल पहुंँचते ही भाभी को डॉक्टर ले गए और हम बेटे की किलकारी का इंतजार कर रहे। दोनों चाचा ख़ुशी से उछल रहा थे कि मैं चाचा बनूँगा। भैया से सूट लेंगे।छोटी बुआ बोली...दीदी मैं राखी ले आई हूंँ ।भतीजे को हम राखी बाँंधेंगे ।मुस्कुराते हुए बड़ी बुआ बोली ..बहुत अच्छा किया भैया से खूब नेग लेंगे।
डॉक्टर आई और बोली...मुबारक हो बेटी हुई है ।सभी के मुँह उतर गए मानो उनका सब कुछ छिन गया। थोड़ी देर बाद नर्स मुझे पिताजी की गोद में दे गई। प्यार भरी निगाह से मुझे देख बोले ..आज रक्षाबंधन और पूर्णिमा भी। घर में चांँद आया है,लक्ष्मी आई है।मेरा माथा चूम लिया।उनका यह प्यार देखा सबकी आंँखों में आँंसू आ गए। दोनों बुआ और चाचा मुझे उनसे छीनने लगे। दादी ने नज़र उतारी कहा बिल्कुल चांँद है।
छठी के दिन पंडित जी ने नामकरण संस्कार में "ख"अक्षर निकाला। कोई ख़ुशबू कोई कहता ख़ुशी परँंतु पंडित जी ने एक अजब सा नाम बताया।शायद आपको भी सुन हंँसी आए " खिलेंद्री "।
जब उसका अर्थ पूछा ,तब उन्होंने बताया कि जो सब के चेहरे पर मुस्कान लाये। यह सुन सबके चेहरे पर मुस्कान आ गई। ननिहाल के तोहफे खुलने लगे जिन पर लिखा था "राखी" के दादा-दादी ,"राखी" के बुआ-चाचा, "राखी" के पापा-मम्मी । फिर सभी ने "राखी " नाम रख दिया।
तभी से साल में दो बार अपना जन्मदिन मनाती।दो बार तोहफ़े लेती हूँ और पूरी कोशिश रहती है कि अपने नाम को सार्थक कर सकूंँ सभी की मुस्कान बन सकूंँ।©raaj_kalam_ka -
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अधुरी कहानी
है अभी तलक कहानी अधूरी ,आके इसे पुरा कर दो
दी तुम्हें कलम साँसों की ,इस पे नाम अपना लिख दो
ना कोई कर सके हमें तुमसे जुदा
ग़र हो सके, कुछ ऐसी कहानी लिख दो..!
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Observe the pic carefully...u will see something in the sky... batana jarur
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जिंदगी पल दो पल की कहानी
पानी का एक बुलबुला
जी लो जिंदगी के हर रंग को
बस जान लेना.... क्या है सच्चा क्या है झूठा #osrLife is too short....
to REALISE
what is REAL and LIE.
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#writerstolli #panchdoot @writerstolli @panchdoot #coffin_wt
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#osr मनुष्य पूरी ज़िंदगी सभी को खुश करने में लगा रहता है। धन दौलत शोहरत ज़मीन जायदाद के पीछे भागता रहता ।परंतु अंत समय में दो गज जमीन से ज्यादा उसे कुछ ना मिलता ।तलाश सुकूं की
किस ग़ुमान में जी रहा था अभी तलक
कभी ना देखा मुफलिसों की तरफ़
सँंभल जाओ तुम ज़रा, खुदा का खौफ खाओ
इन्सानियत का जज्बा यूं ना ख़ाक में मिलाओ
एक दिन तुम्हें भी इस ज़मीं में मिल जाना
फिर काहे की यह शोहरत, काहे का ज़माना
अपनों के ख़्वाबों-खातिर रूह को क्यों सताना
.......अब
स़ुकूं-ए-ज़िंदगी तलाश ली मैंने ,चैन से सो जाने दो यारों
खुश हूँ मुझे खुश रहने दो, यहांँ भी आके ना सताना यारों।
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#osr, सावन सोमवार शिवरात्रि की आप सभी को शुभकामनाएं। इस रचना के माध्यम से शिव शक्ति के मिलन को प्रकृति के साथ दर्शाने का प्रयास किया। क्योंकि जैसा कि हमें पता है पार्वती माता ही शक्ति और प्रकृति का रूप है।
@ayush_tanharaahi bhaii, उम्मीद है यह रचना आप की कसौटी पर खरी उतरे।कोई त्रुटि हो तो जरूर बताइएगा। मेरे लिए मुश्किल था जो मन में आया लिख दिया
@anita_sudhir diduu आपके बिना मेरी कलम अधूरी है
शुरुआत मशहूर गीत की पंक्तियों से
शिवा-शक्ति
सावन का महीना पवन करे सोर, देखूँं जब भी इनको
जियरा ऐसे झूमेे जैसे बन मा नाचे मोर
पार्वती संग मेरे भोला बिराजे
सृष्टि मिलन देख खुशी से नाचे
जित देखो उत सुंदर पुष्प साजे
खग विहग की ध्वनि मोहक बाजे
दोनन को रूप अति मनोहारी
देवगण असुर पिशाच निहारे
ब्रह्मा विष्णु संग उनकी प्यारी
शुभ मंगल गीत गावे सारे
देख गौरा को मनमोहक रूप
शिवा मेरा मंद मंद मुस्कावे
डमरु बजा नृत्य दिखावे
शक्ति शिवा पे रीझ रीझ आवे
बगियन में मयूर पंँख फैलावे
बरखा बरस आलिंगन जतावे
प्रकृति शिव लीला के रंग में रंग जावे
रंग रूप इनका बदल जावे
मदमस्त चाल चल केहुआ गीत गावे
किसी के सिर उगे कलंगी किसी के पंँख सुनहरे हो जावे
सृष्टि रक्षा हेतु मेरे भोले ने विष-पान किया
बिगड़ी हालत देख गौरा ने भाँग से ताप शाँत किया
विष ताप हो खत्म गंगा को सिर मुकुट लिया
सर्प-हार कंठन साजे ,शीतल चांँद सीस सुहावे
भोले का अनुपम रूप देख मन अति हर्षावे,
सारी सृष्टि मेरे भोले तुझमें समाई
तू है सबका पालनहार मैं तेरी भक्तन कहलाई।
©raaj_kalam_kaशिवा-शक्ति
सृष्टि रक्षा हेतु मेरे भोले ने विष पान किया
बिगड़ी हालत देख गौरा ने भाँग से ताप शाँत किया
विष ताप हो खत्म गंँगा का सिर मुकुट लिया
सर्प-हार कंठन साजे,शीतल चांँद सीस सुहावे
भोले का अनुपम रूप देख मन अति हर्षावे
सारी सृष्टि मेरे भोले तुझमें समाई
तू है सबका पालनहार मैं तेरी भक्तन कहलाई।
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#osr आप सभी के प्रोत्साहन और प्यार का दिल से शुक्रिया मेरी रचनाओं को अपने स्नेह की वर्षा कर अपना आशीर्वाद देते हैं।
मेरा मानना है कि हम सभी यहांँ likes या following के लिए नहीं लिखते।वरन् अपने ख्यालात सांझा करना बहुत अच्छा लगता है । इससे बहुत कुछ सीखने भी मिलता है। कृपया बातों को अन्यथा ना लें। God bless you all
आज तुमसे कुछ नहीं कहेंगे
महसूस हुआ ग़र तो कर लेना
अपनी चुप्पी से कुछ बात कहेंगेवे कहते है कि....
आज हमारी आंँखों में शरारत ,लबों पे अज़ब सी कशिश है
उन्हें कैसे बताएं हम...
रात भर रोई हैं आँखें, छुपा ली खोखली हंँसी के नक़ाब से
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#osr #writerstolli #panchdoot दूसरी बार ग़ज़ल लिखने की कोशिश की। वह भी नज़्म निकल गई।कोशिश जारी है
thanks dearuuu plz ese hi sikhtae Rehna @ritusinghrajpoot
कृपया,कोई भी क़मी नज़र आए ज़रूर बताइएगा। आप जैसे काबिल नहीं बस लिखने का शौक उसे पूरा कर रहे @roothi_kalam #jhala जी @poempoetess @shabir_ @naushadtm @leeza18 @hima_writes @badnaam_shayar @bal_ram_pandey @73mishrasanju #mrbolbachan आप सभी गुरुजनों से सीखना है कृपया सीखने में मदद करें
यहांँ महबूब...अपनी रूठी महबूबा को मनाने की कोशिश कर रहा है।बातें तेरी मेरी
ख़फा-ख़फा लग रही शब-ए-बहार तू तेरी बातों से
चल ज़रा हाल-ए-दिल मुझे सुना....तेरी बातों से।
इश्क़ किया है तुझसे आज इश्क़ मिरा उदास क्यों
नाराज़गी का सबब कर मुझे बयां.... तेरी बातों से।
अभी तलक मसर्रत से भरी थी ज़िंदगी मेरी
कतरों में बिखर गई वो आज....तेरी बातों से।
इश्क़ जताने के तरीक़े ना आए हमें माफ़ करना
मैं जानी दुश्मन नज़र आ रहा.…तेरी बातों से।
सुन मेरी हुस्न-ए-शमां, बनना चाहा था तेरा परवाना
ख़ाक हो रही मोहब्बत, खदशा हो रहा....तेरी बातों से।
"राज़" छिपे जो तिरे दिल में, नाज़नीन बेख़ौफ़ बता दे
अश्क़ मुसलसल बह रहेे, तोड़ तू ख़ामोशी...तेरी बातों से।
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raaj_kalam_ka 84w
#osr #writerstolli #panchdoot #hindipoetry @writerstolli @panchdoot @hindipoetry
@odysseus Sir a GRAND SALUTE to you & all army Persons..
A TRIBUTE TO OUR FREEDOM FIGHTERS..
GOD BLESS THERE SOULS..
कृपया यहांँ लिखे शब्दों को अन्यथा ना लीजिएगा । यह मेरी कलम के विचार हैं।हर बार हम उन्हें याद करते हैं । ख़ुद से कुछ वादा करते हैं और फिर भूल जाते हैं ऐसा क्यों है ?क्या वाकई हम सच्चे देशभक्त हैं? यह सिर्फ जय हिंद कहकर काम चल जाता है । plz share your views
प्रिय कलमकारों अगर कोई बात आपके दिल को दुखाएं कृपया नादान समझ कर माफ कर दीजिएगाविजय दिवस
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shriradhey_apt 71w
यह कहानी आप-हम सबसे जुड़ी है कहीं न कहीं, पूरा जानने के लिए तीनो भाग पढ़े
सफ़ेदी (भाग-1)
दीपावली आते ही सबसे पहला ख़्याल आता है सफ़ाई का, घर में रंग-रोगन (सफ़ेदी)का, आजकल देखा गया है कि दीपावली तक इंतज़ार नहीं करते है सब जब जैसे जिसे समय मिलता है और उनकी जेब allow करती है वैसे ही वो अपने घरों को नए रंगों से रंगा लेते है। बात उन दिनों की है जब इन सब का मतलब भी नहीं पता था, बस तब इतना ही जानते थे कि दीपावली मतलब माँ के हाथ की बनी ढ़ेर सारी मिठाई और पूजा के लिए नए कपड़े। अकसर माँ को दीपावली के महीने में ज्यादा काम करते देखा है। कभी कोई कोना साफ़ करते हुए, कभी रसोई की टांड़ (जो वो अपनी पुरानी साड़ी से पर्दा बना कर ढ़क दिया करती थी) जहाँ वो कम इस्तमाल होने वाले बड़े बर्तन रखा करती थी। कभी बैठक के पर्दों को धोती हुई या कभी सोफों के कवर बदलती हुई दिखाई देती। शाम को ही मौका मिलता था उनसे दो बात करने का जब वो अपने काम निबटा कर थोड़ा सुस्ताने बैठा करती थी चाय के कप के साथ। हालाँकि चाय की इतनी शौक़ीन नहीं है माँ पर पापा के बनाये चाय के कप को कभी ना नहीं कहती थी।
घर में सबसे बड़ी दादी थी, जो हमेशा अपना बड़ा होता जताती थी कभी माँ तो कभी पापा को डाँट कर। माँ अकसर बताती थी कि दीपावली ही ऐसा समय होता है जब हम घर की अच्छे से सफ़ाई करते है और पुरानी या काम में ना आने वाली चीज़ को बाहर करते है और रंग-रोगन लगा कर हर बुरी या टूटी-फूटी ज़गह को ज़रूरत के हिसाब से ठीक कर लेते है। आज भी जब माँ मेरी शरारतों का पिटारा खोलती है तो सबसे ज्यादा मेरी इसी बात से हँसती है। बात दीपावली आने से पहले की है अभी क़रीब 10 दिन थे। पापा ने घर पर काम करने के लिए सफ़ेदी वालो को बुलाया हुआ था। माँ चाहती थी कि काम बस दो-चार दिन में निबट जाए जिससे वो सब अच्छे से सामान अपनी ज़गह पर लगा पाए।
क्रमशः...सफ़ेदी
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सफ़ेदी (भाग-3) अंतिम भाग
मैंने माँ आज भी बताती है "दादी सफ़ाई की मैंने", दादी और भी गुस्सा हुई, क्या बोल रहा है छोरे सफ़ाई, वो भी रंग लगा कर चेहरे की....से आगे
मैंने डरते-डरते कहाँ जी दादी, माँ भी तो कराती है न जिन चीज़ों का सुधार करना होता है तो रंग लगा देती है वो नयी हो जाती है। तो मैंने सोचा कि अगर मैं आपको भी रंग दूँगा तो आप भी नए हो जाओगे और फ़िर सुधार हो जाएगा और माँ-पा को आपसे डाँट भी नहीं खानी पड़ेगी। दादी खिलखिला कर हँस दी मेरी इस शरारत पर और माँ मेरी मासूमियत पर अपनी आँखें साड़ी के पल्लू से पोछने लगी।
वैसे थी तो वो ज़रा सी बात पर दादी के मन में घर कर गयी शायद उस दिन के बाद से जब तक दादी हम सब के साथ रही हँसी-ख़ुशी रहीं। मुझे नहीं पता था कि सफ़ेदी का रंग-रोगन किसी को इतना बदल सकता है। जाने अब ऐसे रंग-रोगन बाज़ार में मिलते है, अगर मिलते भी होंगें तो यक़ीनन ऐसे बदलने वाले लोग आज मौजूद नहीं होंगें, दीपावली में घर की सफ़ाई ही नहीं बल्कि मन की सफ़ाई भी करें तभी तो सही मायनों में बुराई पर अच्छाई की विजय होगीं।
अपनी राय ज़रूर बताइएगा.
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बड़ी उम्मीदों से इन्तज़ार किया जिसके संदेशें का,
वो ख़ुद ही चल कर आ गया इक पैग़ाम बन कर !!
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बहुत दिनों से उसका कोई पता नहीं,
कहीं वो फ़िर ख़ुद से ख़फ़ा तो नहीं !!
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लम्हों की शरारतें लफ़्ज़ों में बयां नहीं होती,
लब गर चुप रहें तो क्या बात नहीं होती !!
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गर आसाँ होता यूँ बंद लिफ़ाफ़े का मज़बून जान लेना,
तेरे जाने की ख़बर तुझसे पहले मुझसे हो गुज़रती !!
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तबीयत से तलाशा है तुम्हें,
कभी न भूलने वाली राहों में,
गर लौटना भी न चाहो कभी,
राहें खींच लायेंगी तुम्हें यहीं!!
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जो कभी सुकूँ के पलों का इंतज़ार किया करते थे,
आज वहीं मसरूफ़ियत के पलों को खोज़ते हैं !!
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