मोहब्बत
तमाशा सी ज़िन्दगी बन गईं
जब से मोहब्बत रुसवा हुई
©rizvi78
rizvi78
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rizvi78 11h
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rizvi78 14h
खुश
मै बहुत खुश था
जब मैं अपनी रफ्तार में था
आज मैं गमेज़न हु
अपनी कम रफ्तार पर
किससे गिला करू
किससे शिकवा करू
अपनी बदनसीबी पर
बस फक्र इतना है
अपनी इंसानियत पर
©rizvi78 -
rizvi78 14h
इश्क
ज़िन्दगी ख़ुशगवार थी तब
जब इश्क से दूर था
अबतो दिन और रात काटने को नही
आते
क्योंकि इश्क जो बीमार।है
©rizvi78 -
इश्क दौर
इश्क का दौर बदल गया
आशिक ज़रा इश्क होशियारी से करे
अब न शीरीं फरहा का दौर है
और न ही लैला मजनू का है
दौर सिर्फ अवसर का है
अगर तुम मिलगये तो वाह वाह
न मिले तो कोई अफसोस नही
इश्क का दौर बदल गया
©rizvi78 -
rizvi78 3d
आंखे
आज बहुत कुछ कह गई आंखे तेरी
मैं समझ गया इशारा तेरे इनकार का
दिल को किसी तरह दिलासा दिया
ढाढ़स बंधी अपनी ज़िंदगी के लिए
©rizvi78 -
rizvi78 3d
जुदाई
मुझे क्या खबर किस हाल में हो अहले सनम
जब जुदाई हुए तो फिर फिकरों खबर क्या सनम
©rizvi78 -
rizvi78 3d
हुस्न
तेरे हुस्नो अदा का मारा जो था
राह गुज़र सवारा न था
इश्क और हुस्न का कशमकश जो था
इस लिए इश्क का मारा जो था
©rizvi78 -
rizvi78 3d
इश्क
मैं जब भी इश्क लिखता हूँ
कलम दर्द लिखती हैं
हकीकत क्या है अल्लाह
तेरे जानिब कलम रखता हूँ
©rizvi78 -
rizvi78 3d
दिल
अपने अश्को का दरिया बहा दिया मैने
मुझे क्या पता वो बे वफ़ा निकली
©rizvi78 -
rizvi78 3d
वफ़ा
बे पनाह मोहब्बत भी शर्मिंदा थी
तेरे इनकार के बाद ।
उसे क्या पता वफ़ा क्या है
तेरे इंकारें वफ़ा के बाद
©rizvi78
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archanatiwari_tanuja 2h
#hindiwriters#hindinama#rekhta#mirakee
#mirakeewriters
07/03/2021
मधुशाला की धुन पर गुनगुना सकते है......जलती ज्वाला
आवारा बादल बनके आया वो मतवाला,
सुंदर नैनोंं ने उसके जाने कैसा जादू ड़ाला,
प्रेम जल की वर्षा होती भीग गया सब अंग
प्रेम अगन की तन-मन मे जलती ज्वाला।।
उमड़-घुमड़ बदरा सम मुझपर छाया वो निराला,
रंग उसका चढ़ा है मुझपे जो सब रंगों मे आला,
"हर तरफ हर जगह बेशुमार आदमी"उससा न कोए
मेरे मन मंदिर मे जलती उसके नाम की ज्वाला।।
देखो भर लाया है वो तो नेह नीर का अमृत प्याला,
अंधकार का भ्रम है मुझको या है वो कोई उजाला,
"जब नाश मनुज पर छाता है,पहले विवेक मर जाता है"
प्रीतम है वो!!मेरा या छल-कपट की कोई ज्वाला ??
पिरो रही हूँ जाने कब से युगल प्रेम की सुंदर माला,
हिया का हाल समझ लो जुबां पे लगा संकोच का ताला,
बन मेघा तुम इक बार तो दिल की जमीं भिगा जाओंं
भीतर-भीतर सुलग रही प्रेम अगन की तीव्र ज्वाला।।
अर्चना तिवारी तनुजा
©archanatiwari_tanuja -
anmol_muskan 51m
वो बहुत खुश हुई थी तुम्हारे जन्म पर,
भावों का सैलाब था उमड़ा सीमा चरम पर।
मिठाईयाँ भी तो बटवाईं थी उसने, कुछ पैसे बचाकर,
खुद पहने थी पुरानी साड़ी पर रखती तुम्हे सजाकर!
"क्या करुँ, माँ जो हूँ "- वो हर नादानी को छुपा लेती,
"बच्चा है, जाने दो" वो तुम्हे पापा की डाँट से बचा लेती।।
समय की घड़ी चलती रही,
उम्र माँ की ढलती रही!
पर थकान का एहसाह उसने तुम्हे ना कराया,
बिमार होती, फिर भी रोज़ टिफिन तुम्हारा बनाया।
घर तुम्हारा बसा कर वो खुद अकेली रह गयी,
कड़वे से कड़वा दर्द वो मुस्करा के सह गयी!
"बेटा, फ़ोन कर लिया करो" हर बार वो कहती थी,
"हाँ माँ, करूँगा " सुनकर उसी इन्तज़ार में रहती थी!
फिर समय एक ऐसा भी आया था,
जब माँ को बेबस अस्पताल में पाया था।
वो बुलाती रही, कि बेटा इन्तज़ार मैं करती हूँ,
अब तो मुश्क़िल से ये हाथ मैं तेरे माथे धरती हूँ।
पर समय कहाँ तुम्हारे पास, तुम अपनी दुनिया में व्यस्त हो,
आज भी पुछ रही थी, "बुखार था न, अब स्वस्थ हो?"
तेरा जीवन है जिसका ऋण, उसी के प्रति स्वार्थी हो गया?
"माँ, वक़्त बहुत कीमती है मेरा" बोलकर क्षमाप्रार्थी हो गया?
कुछ क्षण तो इस बुढ़ी काया के साथ गुज़ारो,
जाओ ज़रा उसे माँ कहकर पुकारो।
साथ मत छोड़ना उसका, ये मेरी तुमसे विनती है,
दवा से नहीं, प्रेम से बढ़ती उम्र की गिनती है।।
©anmol_muskanमाँ
आखिर माँ तो माँ ही होती है न!♥️
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jazz_baat 25m
कैद रहना है मुझे तेरी बाहों में,
उम्र भर के लिए रख ले मुझे अपनी पनाहो में।
©jazz_baat -
sweetysharma885 13h
Tu itni bhi berahum mat ban aaiye khuda
Tere rahmo karam se to ye chalti hai duniya
Fir tu bhi muh mat fer tu apne hi ghar bula le
Ye duniya sirf mukhaute wali hai
Yha hmari pnaah khan hai
©sweetysharma885 -
ruchitashukla 16h
आज करीब से देखा मृत्यु को!
श्वेत कफन लिपटा तन ! अग्नि मे जलता शरीर!
आँख उठाकर देखा खड़े थे कुछ लोग हाथ बांधे!
कोई उदास था कोई अश्रृ बहा रहा था !
कोई अपनी मुसकान छुपा रहा था!
तभी पीछे से आकर किसी ने थामा मेरा हाथ!
मै ने आश्चर्य सभर दृष्टि से देखा!
सामने खड़े थे मेरे श्री हरि मुस्कुराते हुए!
कहा तुमने कुछ क्षण मुजे याद किया !
उस कर्ज को चुकाने आया हूँ!
मुजे मेरी नादानियो पर रोना आया!
जिसे मै ने दो क्षण याद किया वो बचाने आया!
जिस दुन्यवी माया जाल में उलझी रही!
उन्होंने मुजे मरघट पहुंचाया!
आँखें खुली तो बिस्तर पर बिराजमान थी!
स्वप्न मे देखा मृत्यु को करीब से! -
rakshitabatra 14h
LIFE LESSONS
1.Choose the life you desire to live. Take the decisions of life which your heart desires to say yes to.
Not the ones which others(including parents and family too) desire you to do(For both life and decisions)
2.Let each and every breath of your life count endless smile,living and enjoying every moment,cherish and create good memories and good deeds.Don't waste your breaths of life in hatred,jealousy, judgment and all other evil things.
3.God created each one of us for being unique.Embrace that uniqueness of yours and every homosapien existing in this world.Accept and love the way you and others are.Have a vision which compliments strengths of people and ignore their flaws.
3.Every homosapien's Life is full of ups and downs. Take learnings from downs.Scare every down from you.Always stay,strong,happy and grateful to life.Always stay ground to earth nature when ups.Cross every down with a smile , solution will come automatically. Appreciate life every second of your life.
4.Love every human being and everything in this world the natural and real way they are.
5.Life is infinite much much more than marks,degrees,qualifications,
„comparisons,standards of society,society(including
people also) jealousy,smartness,lux- -uries,money,most priority in
our list i.e studies, external beauty, judgement,etc.
Learn to rise up from all of these and living the life you desire and enjoying each moment of your life and embracing the uniqueness
god has blessed each one of
us with.
6.The scriputural riference to every child is the life of their parents.
©rakshitaabatra -
bagdi_kanya 13h
*मन के सवाल*
रातों को अक्सर जागते,
कुछ विचारते,विरान रास्तों को निहारते, तुम क्या सोचते रहते हो ?
खुले आसमां को ताकते,
ख्वाबों में गोते लगाते,
अपने अंतर्मन में झांकते,
तुम आखिर क्या खोजते रहते हो ?
मूक से बैठे, शून्य से रहते,
इन सन्नाटों में तुम क्या सुनते रहते हो ?
भूत से भविष्य की टकराव के बीच मझधार में फंसे,
तुम कौन सा किनारा ढूंढते रहते हो ?
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*मन के जवाब*
मैं खुद की तलाश में अक्सर सो नहीं पाता हूँ,
खुद को खोजते खोजते गहन सोच में डूब जाता हूँ मैं।
आसमां की असीमता में झांकते हुवे,
अपने अपूर्ण से ख़्वाबों में गोते लगाता हूँ।
अपने अन्तर्मन को झकझोरते हुवे,
सन्नाटों से बाते करते हुवे,
शून्य सी विरानता में अपनें भूत से टकराते हुवे अपने भविष्य में ,अपने आप को ही खोज रहा हूँ मैं।
गहरे शून्य में डूबकर में अपने आप को ही खोज रहा हूँ मैं।
©bagdi_kanya -
ए इश्क हुआ
तो भी ऐसे शख्स से हुआ
ना पा सकेंगे
ना खो सकेंगे
ए खुदा
पा नहीं सकते
तो भूला तो दे
©radhawrites -
rani_shri 11h
बदल जाती है जो अक्सर वो अपने ही हाथ की रेखा है क्या?
काग़ज़ के बने फूलों पर कभी भंवरों को बैठते देखा है क्या?
~श्रीअंधेरों से परे होकर भी कोई सवेरा न हुआ,
जो बेशक मेरा है फ़िर क्यों वो मेरा न हुआ।
©rani_shri -
bipashapbehera 17h
What would it be like to expect from our loved one to celebrate our funeral joyfully, when she/he is the one who killed you?
#ifourloveexisted
#justonemoretime
#1hexagon6triangles
#allinimagination
@mirakee
@writersnetwork●°•
JUST ONE MORE TIME
At least once
When it would cross your mind
Will your spine struggle to snuggle,
That pale peach shirt
Decorated with radiant amorphous blood of mine?
Will your pupil contract by the bright elation,
Dancing in circles and disappearing into the unknown,
Emerging from my body which lay peacefully in shroud?
Will your drops drizzle down your lashes or dry there only?
Will you replace the blues in my dirge with Jubin Nautiyal's Melodies,
So I could get eternal sleep?
Will you love our Ephemeral love which was once surrounded by eternity,
Just one more time?
- Bipasha Priyadarshini Behera
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