Na Koi hmare liye ashubh hota h
Or na hum kisi K liye
Ye to Bss hamare waqt or halaath hote hain
Jo Acche ya bure Ho jate hain.....
©saru_saru
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saru_saru 8h
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Chhod diya hamne ab serious hona
Sala hospital K kharche Bohot hone lage hain
Uske baap ka Kya jata h
Dukhi to mere apne hone lage hain....
©saru_saru -
saru_saru 2w
Lyf me Jb hum Phil bar tension free jiye the Vo tha hmare bachpn Jb tk hum primary school me the, Lekin jese hi us line ko Cross kiya tb jana K tension Kya hoti h or ye silsila Abhi tk, zaari h.....
©saru_saru -
saru_saru 2w
Pahle khud poori duniya me bakhaan karte ho
Or Fir poochhte ho K apko kese pata
©saru_saru -
saru_saru 2w
Kuch logo K door jaane K bad, ab maine khud ko pehchana h
Apne liye har accha bura, ab sb maine jana h
©saru_saru -
saru_saru 3w
Happy New Year
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Kitni jaddo jahad karni padti h
Tab Jake kahi chain ki rahat milti h
Is sardi K mosam me, rajaayi K alava
Bss dhoop me hi kapkapi rukati h
©saru_saru -
saru_saru 4w
Just love yourself
Not those ,who don't deserves u
Just love yourself
And those, who really loves cares u
©saru_saru -
saru_saru 4w
Kuch Zazbato par chah kr bhi bass nahi chalta
Chahe vo pyaar ka ho ya nafrat ka....
©saru_saru -
saru_saru 5w
Queen to Sab ban jaati hain
Lekin apni king m khud hu
©saru_saru
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_aradhana 16w
Kuch yhi alfaz aaj hr ladki ke h-:
मैं नन्ही सी गुड़िया,
खुशियों की पुड़िया,
सांसे कहां है मेरी ,
धड़कन कहां है रे??
☹️☹️
A 19 year old girl was gang raped allegedly by 4 men in UP.. Nearly 2 weeks ago. Her spinal cord and neck were damaged causing paralysis, she was admitted to a district hospital for 15 days and then shifted to safdarajang hospital in delhi.. And at last she was died becoz of her injuries and finally she lost her battle for life and dies.. ☹️☹️
It's really a shameful and this kind of act shows tht humanity is almost died..!!! no words can describe the pain of tht girl and tht parents... How can people be so cruel tht they ruined the entire life of a girl to this extent... Raise ur voice against such kind of shameful acts
Share as much as possible....
#raiseyourvoice#hangtherapists
#justice#stopdoingrape#gangrape#stopहाथरस की निर्भया
यह कहानी है निर्भया की,
जो फिर हुई हवस का शिकार,
मानवता को कर शर्मसार,
फिर हुआ एक और लड़की से बलात्कार,
रोज की तरह वह खेतों में काम कर रही थी,
घर की जीविका चलाने के लिए,
वह मां-बाप की मदद,
सुबह शाम कर रही थी॥
तभी पड़ी उस लड़की पर नजर चार हैवानों की,
और फिर ठानी उन्होंने उसे अपने हवस का शिकार बनाने की,वह चीखती रही,वह चिल्लाती रही,
"मुझे छोड़ दो" की भीख मांगती रही;
पर कर उसकी बात को अनसुना,
दरिंदों ने कर दी थी हैवानियत की सारी हदें पार,
और वह 19 साल की मासूम भी,
हो चुकी थी बलात्कार का शिकार;
पर यहीं नहीं थमी थी उनकी हैवानियत,
क्योंकि मर जो चुकी थी उनकी इंसानियत;
अधमरा कर दिया उन्होंने उसे इस हद तक,
कि पहुंच भी ना सके वह अपने घर तक,
तोड़ दी गई उसके रीढ़ की हड्डी,
ताकि सुना ना सके वह अपनी आपबीती;
और अंत में हार गयी वो,
जिदंगी और मौत के बीच की जंग,
और उगते सूरज के साथ,
हो गया उसके जीवन का अंत॥
वैसे भी अब तो जिस्म से खेलना धंधा बन चुका है,
क्योंकि हमारा कानून भी तो अंधा बन चुका है॥
ना जाने अब है किस लड़की की बारी?
क्योंकी यह न तो पहली निर्भया है,
और ना आखरी;
कुछ दिन लोग चीखेंगे,चिल्लाएंगे,
फिर हर किस्से की तरह,
इसे भी यूं ही भूल जाएंगे;
पर बस!! बहुत हुआ,
पूछती है अब हर लड़की,
कि आखिर कब तक होगा यूं अत्याचार,
आखिर कब तक होगा यूं बलात्कार?
©_aradhana -
odysseus 16w
Inspired by
अजीब दास्तां है ये कहां शुरू कहां ख़तम
ये मंज़िलें हैं कौनसी न वो समझ सके न हम
(The mukhda is unchanged)
अजीब दास्तां है ये कहां शुरू कहां ख़तम
ये मंज़िलें हैं कौनसी न वो समझ सके न हम
किसी डगर पे वो कभी चले थे बनके हमकदम
बदल गई वो राह भी, नहीं है़ं आज साथ हम
सफर में एक मोड़पर दिलों पे यूं हुआ सितम
बिखर गया वो कारवां, हुए सनम से दूर हम
नसीब से मिले हमें वफ़ा की राह में अलम
यहां पे कौन है जिसे ये दास्तांं सुनाएं हम
वो दौर याद आ गया हुई है फिर ये आंख नम
हंसी की आड़ में मगर छिपा ही लेंगे अश्क़ हम
नहीं रुकेगी ज़िंदगी, नहीं रुकेगी ये क़लम
चलेंगे साथ वक़्त के, भुलाके अपने दर्द हम
©charudatta
©odysseus
Inspired by
अजीब दास्तां है ये कहां शुरू कहां ख़तम
ये मंज़िलें हैं कौनसी न वो समझ सके न हम
(The mukhda is unchanged)
Ajeeb daastan hai yeh kahaan shuru kahaan khatam
Yeh manzilein Hain kaun si na woh samajh sakey na hum
Kissi Safar pe woh kabhi chale thhey ban ke humkadam
Badal gayi woh raah bhi nahin Hain saath aaj hum
Safar mein ek mod par dilon pe Yun huva sitam
Bikhar Gaya woh kaarwaan huvey Sanam se duur hum
Naseeb se Miley humein wafaa ki raah mein Alan
Yahaan pe kaun hai jisey yeh daastan sunaayein hum
Woh daur yaad aa Gaya huvi hai phir se aankh num
Hansi ki aad mein magar chhipa hi lenge asha hum
Nahin rukegi Zindagi nahin rukegi yeh qalam
Chalengey saath waqt ke, bhulaake apne dard hum
©charudatta
©odysseus
#tribute_to_lata_tai
@mirakee @writersnetwork©odysseus
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arpita_sri 26w
@mirakee @mirakeeworld
Wo bachpan k din.....
Childhood memories ❤️
"Sapno ka wo aangan kaha? Darpan bta bachpan kaha"
♥️Bachpan
वो बचपन की बातों और यादों का क्या गज़ब का मेल था,
जब ज़िन्दगी एक खेल नहीं, ज़िन्दगी में खेल था।
©arpita_sri -
prakhar_kushwaha_dear 23w
आप सभी को प्रखर कुशवाहा के नमस्कार!
पेश-ए-ख़िदमद है..."प्रेमातिरेक भाग-५"
आप सभी ने मेरी इस श्रृंखला को बेहद प्यार दे सफ़ल बनाया है,,
आप सभी का मैं दिल से आभारी हूँ,,
बहुत बहुत शुक्रिया, बहुत-बहुत धन्यवाद आप सभी का।।
शायद श्रृंखला का यह अंतिम भाग हो।
सभी भाग पढ़ने के इच्छुक, मुझे cmnt करके बता सकते हैं।
मैं आपको tag कर दूंगा।
पढ़ने से पहले मैं बताना चाहूँगा कि रचना पढ़ते वक्त शीर्षक "प्रेमातिरेक" को ध्यान में रखें ,, शीर्षक कवि की अपनी अमूर्त प्रेयशी के प्रति अगाध प्रेम को प्रदर्शित करता है। जिसके चलते कवि ख़ुद को तुच्छ और अपनी सखी को उच्च दर्जा प्रदान कर रहा है ना कि समस्त पुरुष जाति को महिला जाति से निम्न दिखाने का प्रयास कर रहा है।
अगर प्रेयशी कवि के भावों से अवगत होगी तो तुच्छ और उच्च का कोई महत्व नहीं रह जाता,, रह जाता है तो सिर्फ़ "प्रेम"।
बहुत बहुत धन्यवाद!"प्रेमातिरेक"
भाग - ५
मैं राजनीति सा बड़बोला,
तुम संविधान की ख़ामोशी।
मैं दल-बदलू एक नेता हूँ,
तुम न्याय बांटती संतोषी।।
मैं बेईमानी की रिश्वत हूँ,
तुम दौलत ख़ून-पसीने की।
मैं खोटा सिक्का क़िस्मत का,
तुम मंज़िल एक नगीने की।।
मैं जला-भुना सा बैठा हूँ,
तुम राहत की बरनाल सखी।
मैं क्रोधवश ज्यों गर्म हुआ,
तुम पैरासिटामॉल सखी।।
मैं माचिस की डिबिया जैसा,
तुम घी के दिए सी लगती हो।
मैं आग लगाना जानू बस,
तुम जलकर ख़ूब महकती हो।।
मैं घेरा हूँ इक खाल ढका,
तुम आती-जाती सांस सखी।
मैं बेसुध सा जज़्बाती हूँ,
तुम ज़िंदा इक अहसास सखी।।
मैं वक्र धनुष सा मुड़ा-तुड़ा,
तुम सीधी तीर निशाने की।
मैं पथिक, पंगु, पराजित हूँ,
तुम मंज़िल हार ना जाने की।।
मैं गुज़रा एक ज़माना हूँ,
तुम नई दुनिया सी लगती हो।
मैं भूला-बिसरा वरक़ हुआ,
तुम हर हर्फ़ों में दिखती हो।।
मैं घर में लगता पोछा हूँ,
तुम महलों की कालीन सखी।
मैं तंग जेब से रहता हूँ,
तुम घेवर की शौक़ीन सखी।।
मैं सूना सा तालाब बचा,
तुम नदियों वाला संगम हो।
मैं नतमस्तक हुई पताका हूँ,
तुम लहराता सा परचम हो।।
मैं कुछ ना 'डिअर' तुम्हारा हूँ,
तुम सबकुछ यार हमारी हो।
मैं लिपटूं तुमसे लौ जैसा,
तुम मोम सी पिघल हमारी हो।।
प्रखर कुशवाहा 'Dear' -
unnati_writes 26w
आँखों में उम्मीद भर
वो राह चलतों को कुछ यूँ देखा करता है
मानो बचपन को अपने स्याही से वो
खुद लिखना चाहता हो
स्वतंत्रता दिवस पर
हाथों में झंडा ले
या valentines पर
गुलाब पकड़े
वो हर गाड़ी के पीछे दौड़ता है
कभी किसी बड़ी सी गाड़ी के आगे
वो उम्मीद भरी निगाहों से देखता है
कभी तो किसी को तरस आएगा उस पर
वो हर दम यही सोचा करता है
अपनी बड़ी बड़ी आँखों में पानी भर
वो बच्चों को स्कूल जाते देखता है
उनकी फटी पुरानी किताबों को
वो दिन रात यूँ ही टटोलता है
फिर एक नई सुबह उठकर
एक नई उम्मीद से दिन निकालता है
लेकिन रात में हार कर
नींद की गोद में खाली हाथ सो जाता है।।
©unnati_writes
#umeed00
#umeed01
#umeed02
#umeed03
@psrathore @rani_shri @awkwardd @flame_ @shrutisinha @fouji_heartनया सवेरा
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ग़ज़ल
क्या ख़ूब तुमने मिशाल-ए-ख़िदमत अदा की,
हमनें कहा रोशनी करो, तुमने आग लगा दी।
तुम्हारे इशारों पे मैं तमाशाई का ज़रिया,
पर ये तो कहो हुकुम किस बात की सज़ा दी?
जो फ़रिश्ते थे कभी अब फ़रेबी हैं सब,
न जाने शराफ़त सब ने कहाँ गवाँ दी।
शातिर झूठ को जब सज़ा न हुई कटघरे से,
फ़िर उम्मीदों की शम्मा ख़ुद फ़ूंक के बुझा दी।
तुम वाकिफ़ थे मौत से तो बताया क्यूँ नहीं,
खांमखां ज़िन्दगी जी के मैंने ज़िन्दगी लुटा दी।
क्या काफ़िला अब हजारों का ज़नाज़े पे मेरे,
जब ज़रूरत पे दरवाजे में कुंडियां लगा दी।
बेसहारों को देख बिन लिबासों में 'डिअर',
मुट्ठी में ली इज्ज़त औऱ ख़ाक सी उड़ा दी।
प्रखर कुशवाहा 'Dear' -
prakhar_kushwaha_dear 31w
A tribute to our brave soldiers...
ऐ मौत मेरी, ज़रा मोहलत दे,
कहीं और न दुश्मन ज़िंदा हों,
कुछ और लड़ूं वतना के लिए,
फ़िर बेशक़ जान परिंदा हो।
मेरी रगों से बहती धार है जो,
दुश्मन के गले का फंदा हो,
रहे ख़ूब सलामत शान सदा,
ना देश मेरा शर्मिंदा हो।
तेरी मिट्टी में मिल जावां
गुल बनके मैं खिल जावां
इतनी सी है दिल की आरजू
तेरी नदियों में बह जावां
तेरे खेतों में लहरावां
इतनी सी है दिल आरज़ू.....
बचपन मे मेरे, तू कहती थी,
ये धरती लगे मेरी माँ जैसी,
एक माँ से दूजी माँ को मिला,
फ़िर माँ तुझको चिंता कैसी?
लहराते रहें ये तीन रंग,
हो इनकी चमक चंदा जैसी,
वर्दी में ख़ून बहाया जब,
हुई जान मेरी गंगा जैसी।
तेरी मिट्टी में मिल जावां
गुल बनके मैं खिल जावां
इतनी सी है दिल की आरजू
तेरी नदियों में बह जावां
तेरे खेतों में लहरावां
इतनी सी है दिल आरज़ू.....
प्रखर कुशवाहा 'Dear'"जय हिंद"
वर्दी में ख़ून बहाया जब,
हुई जान मेरी गंगा जैसी।
प्रखर कुशवाहा 'Dear' -
gunjit_jain 31w
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु की खबर से बहुत दुःख हुआ!
भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।
न जाने वो गम के किस दौर से गुज़र रहे थे, जिसने उन्हें ऐसा करने पर मजबूर किया
सभी की ज़िन्दगी में दुःख होते हैं, कुछ लोग ग़म को दूसरों के साथ बाँटते हैं जिस से उनके दिल को सुकून और उनके दुःख को खत्म कर पाने का कोई तरीका मिल जाता है, मगर कुछ लोग उस दुःख को अपने तक ही रख कर अंदर ही अंदर रोज़ मरते रहते हैं!!!
कृपया अपने दुःख को अपने तक रख कर अंदर ही अंदर न घुटें, किसी से उसको बांटे, कोई न कोई ज़रूर सहायता करेगा!
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ग़म'गीन सी ज़िन्दगी पर उस की
मुस्कराहट के नक़ाब लगे हुए थे।
उसकी खुश'हाल जी'स्त में, जाने
किस उदासी के धब्बे पड़े हुए थे।
हमेशा दूसरों को, हँसाने वाले की
आँखों में सिर्फ अश्क भरे हुए थे।
किसी को क्या पता है कि उस'के
दिल में, कि'तने रा'ज़ दबे हुए थे।
वो शख्स तो ज़िंदा था गुंजित पर
उस'के रू'ह और दिल मरे हुए थे।
©गुंजित जैन
RIP SUSHANT SINGH RAJPUTकुछ राज़ बाकि थे उस'के, जो उसी के साथ दफ़न हो गए,
सबको हंसाने वाले के यार महज़ ज़मीं और कफ़न हो गए।
©गुंजित जैन -
Ishq tumse waisa he hai,
Bas izhaar kam hote gaye
Tum humse, hum tumse...
Kuch iss tarah door hote gaye.
©nemoz_words -
krishna_gautam 36w
तेरे लफ़्ज़ों पर मरते मरते
हम एक बेवफ़ा हो गये
काश देश के लिए मरे होते
कम से कम शहीद तो कहलाते
©krishna_gautam
