मिनट भर और दौलत की फाँक
वो चले गए
कर रिश्तों की तिजारत
वो चले गए
महकमें भर रोशनी
बयाँ कर शायराना अंदाज
वो चले गए
तपिश गहन सन्नाटों का आवारापन
ये गुलिस्ताँ थमा
वो चले गए
राहों ने कब रोके रिश्ते
दूर तक आवाजों के अनछुए स्पंदन सुना
वो चले गए
©zindagiin2lines
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गुलाबी देह की बातों में न जाइए
मिट जाएगा ये वो दरिया पहचानिए
सो गया अम्बर सो गई रातें
गहराइयों में धरा की रम जाइए
उलझ कर रह गई लटों में उल्फतें
शायद ये भी भृम था मान जाइए
कोशिश करो चमकेगा जर्रा - जर्रा
नीली अजब रोशनी में डूब जाइए
©zindagiin2lines -
डूब कर फिर किनारे आ जाती हूँ
एक महीन सा है तेरी रहमत का धागा
बेअसर होते हर जख्म इस पथ्थर बदन पर
जोग जबसे तेरी मोहब्बत का लागा
©zindagiin2lines -
तुम डटी रहना
एक सख्त मीनार की तरह
गिराने बहुत आदम आएँगे
बुझी हुई आग में अंगारा ढूँढ
तुम्हे तिल तिल जलाएँगे
तुम उभरनाऔर तैरना
इन दरियाओं पर सँभलकर
नावों में सुराख बनाने
बहुत आएँगे
©zindagiin2lines -
तुम आए
और चले गए
लाए संघर्षों की बूँदें
और घनघोर अँधेरे
एक आस की ज्योत
और तुम्हें जी लिया
तुमने घावों को कुछ कम भी किया
तुम ही तो बन गए थे सबसे बड़े नासूर
कैफियत से गुजरे दिन रात
परदेशी की तरह
डरों ने मुँह तक आगाज किया
पाँवसे कैसे निकलती है जमीं अनुभव किया
तुम आने वालों से कहना
तेरा कड़वापन मिटा दे
पर तुझे याद करेंगे २०२०
©zindagiin2lines -
खल्लड़ में कूटी यादें सीकड़ी में जलाई
एक हवा के झोंके से फिर वो मेरे पास आई
बोली क्यों मिटाते हो मुझे
जन्मों साथ रहना चाहती हूँ हमने कहा बन्धन नये हो गए पुराने सपने खो गए तुम बहुत सताती हो
मुस्करायी यादें बोली मेरे सहारे तुम जी रहे हो
अनुभवों को क्यों खो रहे हो
मिट जाएगा अस्तित्व न रह पाएगा
भला मुझ जैसी दवाई कोई छोड़ता है
संचरित हो रहे रक्त को कोई मोड़ता है
संजीवनी हूँ में संजीवनी
सीकड़ी में पानी डाला
फिर यादों में खो गया
©zindagiin2lines -
कुफ्र किया न कबूलनामा
हम तल्ख इतने हो गए
गाफिर हो या हमदर्द
हम रहे न हम मक्बूल वो हो गए
©zindagiin2lines -
उस घर की नींव में दफन है कई किस्से,
सुने - अनसुने वाक्या।
खंबों से गुजरती हैं, अनदेखी विचलित करने वाली तरंगे।
अर्धसूखी गीली सी जमीं मुस्कराती है अपने आने वाले मेहमान पर।
घर के पिछवाड़े कुआँ जो अभी तक सूखा नहीं याद दिलाता है जिंदगी।
खिड़की, रोशनदान, दरवाजे सलीखों से खड़े राह देखते हैं तुम्हारी।
©zindagiin2lines -
चिड़िया बड़ी हो गई,
अब उसे माँ की जरूरत नहीं,
माँ तलाशने निकली फिर जिंदगी।
गल्त ये नहीं वो आते हैं,
बात इतनी तुम जा नहीं पाते।
©zindagiin2lines -
वक्त से मांग लेते हैं दो पल
शाम होती जिंदगी का कुछ तो निकले हल
चलोबैठ जाते हैं एक दूसरे के साथ
आँखों में भर के प्यार अपरम्पार
मीटिंग के बहाने
स्कूटर पर यूं ही हवा खाने
चलो चले मेले
मुस्कराते बच्चे देख जी ले
आइसक्रीम का जशन मनाने
उस मौसम के बहाने
रंग बिरंगे गुब्बारे देख ललचाए
जैसे सोने का महल देख भरमाएं
समेट औपचारिकताओं की पोटली
त्योहारों पे करे धमाचौकडी़
दिल को बग्घी बना मन के घोड़े दोडा़
चलो उड़ चले
©zindagiin2lines
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krishna_gautam 28w
आज़ादी से लेकर आज तक सरकारों का गिरना उठना जारी रहा ।
जिस कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत की सरकारों को अपनी मन मर्जी से उखाड़ फेंका ,, वो आज लोकतंत्र की दुहाई दे रहे हैं
पहले मध्यप्रदेश में , आज राजस्थान का समय बता रहा कि अब क़ातिल मजबूर है और उसे क़त्ल की बड़ी चिंता है
#politics #bjp #congress #mp #rajsthan #samarth_1Politics
अपनों के क़त्ल पर , कह रहा था क़ातिल
ऐसे क़त्ल मत करो , ये बड़ा ज़ुर्म है साहब
©krishna_gautam -
कवि
निज वांछना युक्त कविता का निर्माण करो
जाति मजहब मिथ्या भावनाओ का परित्याग करो
यथार्थ शुद्ध शब्दों का जाल बुनो
हे कवि! तुम कवि धर्म स्वीकार करों
नजर घुमाओं समाज की बुराइयों पर
कलम चलाओ भ्रष्टाचारी जनसत्ता पर
शब्द रूपी व्यंग्य बाणो से प्रहार करो
हे कवि !तुम कवि धर्म स्वीकार करो
राष्ट्र प्रेम की ज्वाला में जलो कवियों की मिसाल बनो
महादेवी की यामा हो चाहे बच्चन की मधुशाला
जयशंकर और दिनकर की कलम का ध्यान करो
हे कवि !तुम कवि धर्म स्वीकार करो
तलवार से भी तेज हो धार ऐसी कलम तैयार करो
भर दो स्याही उसमे कविता के सम्मान की
कवियों से ओत प्रोत नए हिंदुस्तान का निर्माण करो
हे कवि !तुम कवि धर्म स्वीकार करो
©akanshatiwari -
smart_word 49w
इशफ़ाक़( दया)
इशफाक़ रखिए ज़रूरत मंदो से
परेशानियां कोई भी खरीदता नहीं । -
वो शब्द कहाँ से लाऊँ मैं
जो हृदय किसी का स्पर्श करें
जो भावों का उत्कर्ष करें
बिंध जाएँ जो इक कविता में
कण कण में जो एक हर्ष भरें
वो शब्द कहाँ से लाऊँ मैं
उस गीत को कैसे गाऊँ मैं
जिसकी लय पे हो मुग्ध कोई
पढ़ जिन को हो निस्तब्ध कोई
जो बरसें किसी थकित मन पर
हो जाए जिन से तृप्त कोई
वो शब्द कहाँ से लाऊँ मैं
उस गीत को कैसे गाऊँ मैं
जिस में भावों का शृंगार भी हो
भाषा भी हो, वर्ण विचार भी हो
लय ऐसी जो ना विस्मृत हो
साहित्य का निज प्रचार भी हो
वो शब्द कहाँ से लाऊँ मैं
उस गीत को कैसे गाऊँ मैं
©monikakapur -
monikakapur 52w
मैं तलाशता था भीड़ का मज़हब
लाख ढूँढा कहीं ख़ुदा ना दिखा
©monikakapur -
anil_ugreja 52w
English translation
Any work is accomplished by hard work, not just by thinking. Never, a deer comes into the mouth of a sleeping lion.
Hindi translation
परिश्रम करने से ही सफलता मिलती है
सिर्फ मन में सोचने से नहीं
जैसे कि सोये हुए शेर के
मुँह में हिरन अपने आप नहीं आते
बचपन में स्कूल में पढ़े हुए संस्कृत के इस श्लोक को
आज भी में अपनी असल ज़िन्दगी में दोहराता रहता हु
मुझे कुछ और याद हो ना हो पर ये पंक्तियाँ मुह ज़बानी याद है जो की मुझे हर राेज कड़ी मेहनत करने के लिए ओर प्रेरित करती रहती हैपरिश्रम
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः ।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ॥
©anil_ugreja -
an_eleutheromaniac 54w
दिल मांग रहा है मोहलत तेरे साथ धड़कने की
तेरे नाम से जीने की, तेरे नाम से मरने की
@_sparkling_soul.
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Hum अँग्रेजी seekh rahe हैं, ye thik हैं
Hum हिंदी bhul rahe हैं, ye galat हैं
©the_bleeding_hope -
मैं सदक़ा उतारुं मैं अर्ज़ी गुजारुं
मोहब्बत खुदाया न होगी दुबारा
©saifwrites -
alka_chouhan 59w
आयी कहाँ से थी तू
फरिश्ता बनने के लिए,
मैं ऋणी हूँ तेरी
तुझे माँ कहने के लिए।।
कहाँ से आ गयी इतनी ममता
मुझपे बरसाने के लिए,
धन्यवाद! मेरी माँ होने के लिए।।
कहाँ से आई इतनी हिम्मत मेरे
नखरे उठाने के लिए,
शुक्रिया! मेरी माँ होने के लिए।।
क्यों लड़ी तू मेरी जीत में भागीदार
बनने के लिए,
अब बता ना माँ,
क्या कीमत चुकाऊँ हर जन्म में
तेरी बेटी बनने के लिए।।
©alka_chouhan
